आल वेदर रोड और रेल सुरक्षा कवच
उत्तराखंड में सड़कों की सुरक्षा को लेकर आल वेदर रोड का दावा किया गया, अभी तक ऐसी सड़कों का पूरा निर्माण तक नहीं हो पाया है। इसी तरह भारतीय रेल को दुर्घटनाओं से बचने के लिए सुरक्षा कवच की बात की गई। दोनों ही मामलों में ढिंढौरा पीटा गया, लेकिन हकीकत तो शून्य निकली। ओडिशा में तीन ट्रेनों की टक्कर ने पूरे देश झकझोर दिया। शुक्रवार दो मई की शाम सात बजे हुए इस हादसे में 275 के करीब लोगों की मौत हो गई और 803 लोग घायल हैं। अब रेल सुरक्षा के कवच को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। (वीडियो में देखें पूरा समाचार)
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क्योंकि पिछले कई सालों से इसे लेकर ऐसा ढिंढौरा पीटा गया, जैसे ही सारी रेल लाइन में इसे लगा दिया गया हो। वहीं, कहीकत ये है कि इसके लिए एक लाख करोड़ का खर्च चाहिए, लेकिन अभी तक हजार करोड़ की इसके लिए खर्च नहीं किए गए हैं। ये भी अहम बात ये है कि जिस लाइन पर ये दुर्घटना हुई, वहां रेल कवच था ही नहीं। ऐसे में साफ है कि जब कोई योजना शुरू होती है या उसका उद्घाटन होता है तो ऐसा प्रचार किया जाता है, जैसे सबकुछ हो गया। ठीक इसी तरह उत्तराखंड में भी आल वेदर रोड का प्रचार भी पिछले दो तीन साल से हो रहा है। वहीं, हकीकत जाननी है तो बरसात के दिनों में उत्तराखंड के पहाड़ों का सफर कर लीजिए। हालात साफ दिख जाएंगे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।