एम्स ऋषिकेश में महिलाओं में बढ़ रही मूत्र रोग संबन्धी कार्यशाला, जागरुकता से होगा समय पर इलाज

महिलाओं में मूत्र रोग से संबंधी विभिन्न समस्याओं पर जन जागरूकता लाने के उद्देश्य से एम्स ऋषिकेश में कार्यशाला का आयोजन किया गया। यूरोलॉजी विभाग तथा टेलिमेडिसिन सोसाईटी ऑफ इंडिया उत्तराखंड स्टेट चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यशाला में महिलाओं ने मूत्र रोग से संबंधित विभिन्न समस्याओं पर खुलकर चर्चा की गई। साथ ही यूरीन संबन्धी समस्याओं से बचने के लिए समय पर इलाज शुरू करने की सलाह दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस कार्यक्रम में मोटिवेटर के तौर पर अधिकांशतः वह महिलाएं शामिल थीं, जिन्हें पूर्व में मूत्र रोग से संबन्धित विभिन्न समस्याएं रही हैं और इलाज कराने के बाद अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं। कार्यक्रम के पहले सत्र में मूत्र रोगों के प्रति महिलाओं का दृष्टिकोण, बीमारी के प्रति जागरूकता और उसके इलाज के बारे में विस्तार से समझाया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दूसरे सत्र में इलाज के बाद स्वस्थ हो चुकी महिलाओं द्वारा मूत्र रोग से ग्रसित अन्य महिलाओं को बीमारी के लक्षणों को पहचानने और ऐसी महिलाओं को सही समय पर इलाज करने को लेकर प्रेरित किया गया। काशीपुर की परमिन्दर कौर, बिजनौर के धर्मपुरा गांव की सुमन देवी, बिजनौर की ही सरिता देवी, सहारनपुर की प्रियंका, रूद्रपुर की डा. पूजा जौहरी, नेशनल चिल्ड्रन एजुकेशन गुमानीवाला, ऋषिकेश की प्रधानाचार्य गीता त्रिपाठी, मुजफ्फरनगर की पुष्पा देवी और बिजनौर की लक्ष्मी देवी आदि महिलाओं ने पेशाब से संबंधी अपनी समस्याओं और इलाज के बाद मिले स्वास्थ्य
लाभ के बारे में विस्तारपूर्वक अपने अनुभव साझा किए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन महिलाओं ने बताया कि पेशाब से संबन्धित किसी भी समस्या का पता चलने पर समय रहते इलाज करा लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर से बीमारी से संबन्धित बात करते समय किसी भी प्रकार की झिझक नहीं करें और यूरीन संबन्धी सभी बीमारियों का एम्स ऋषिकेश में इलाज संभव है। उनका कहना था कि इस प्रकार के मामलों में पहले एक्सरसाईज और फिर आवश्यकता पड़ने पर दवा या सर्जरी की तकनीक अपनाई जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तीसरे सत्र में ओपन हाउस के माध्यम से उल्लिखित विषय पर खुली चर्चा की गई। यूरोलॉजी विभाग की एसआर डॉ. सुरभि अग्रवाल ने प्रोजेक्टर द्वारा महिलाओं को यूरीन संबन्धी विभिन्न बीमारियों और उनके इलाज के बारे में बताया। इस दौरान महिलाओं ने यूरोलॉजी विभाग के चिकित्सा विशेषज्ञों के सम्मुख अपनी समस्याओं को रखा और सवाल-जबाव के माध्यम से आवश्यक जानकारी प्राप्त की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए संस्थान की कार्यकारी निदेशक और टेलिमेडिसिन सोसाईटी ऑफ इन्डिया, उत्तराखण्ड चैप्टर की अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने कहा कि बीमारियों को छिपाने से बीमारी जटिल होने लगती है और विलम्ब होने पर इलाज में कठिनाई पैदा होती है। समय पर इलाज शुरू नहीं करने पर इसका असर मरीज के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि यूरीन से संबंधी बीमारियों के प्रति प्रत्येक महिला जागरूक रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम को प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक और जेरेटिक विभाग की हेड प्रो. मीनाक्षी धर, टीएसआई के राष्ट्रीय सचिव मूर्थि रेमिला और आयोजन समिति के अध्यक्ष व एम्स के यूरोलॉजिस्ट प्रो. ए.के. मंडल आदि ने भी संबोधित किया। राष्ट्रीय हेल्थ मिशन के सहयोग से डिजिटिल व ऑनलाइन माध्यम सहित कार्यक्रम में 150 से अधिक महिलाओं ने प्रतिभाग किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आयोजन सचिव और एम्स यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर मित्तल ने बताया कि महिलाओं में यूरीन संबन्धी एक ही बीमारी के कई स्वरूप हो सकते हैं। लेकिन बीमारी के स्वरूप के अनुसार प्रत्येक मरीज के लिए इलाज व सर्जरी के तरीके अलग-अलग होते हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं को चाहिए कि वह यूरीन संबन्धी किसी भी प्रकार की समस्या के लिए प्रत्येक मंगलवार को फीमेल पेल्विक मेडिसिन क्लीनिक एम्स के यूरोलॉजी विभाग की ओपीडी में संपर्क करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम के दौरान रियल हीरो के रूप में यूरीन संबन्धी समस्याओं और उनके निदान के बारे में अपने अनुभव साझा करने वाली 8 महिलाओं को संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह द्वारा सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम में यूरोलाजी विभाग के डा. विकास पंवार, डा. पीयूष गुप्ता सहित विभाग के एस.आर. व जे.आर. के अलावा विभिन्न क्षेत्रों से पहुंची महिलाएं भी शामिल थीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महिलाओं की यूरीन संबंधी प्रमुख समस्याएं
एम्स के यूरोलॉजिस्ट डॉ. अंकुर मित्तल ने बताया कि खांसी करते समय या उठते -बैठते समय पेशाब का निकल जाना (एसयूआई), पेशाब में बार-बार संक्रमण होना (रिक्रेंट यूटीआई), बच्चेदानी के रास्ते शरीर का बाहर आना (वॉल्ट प्रोलेप्स), पेशाब को नियंत्रित नहीं कर पाना और बार-बार पेशाब करने जाना (ओवर एक्टिव ब्लेडर) तथा प्रत्येक समय बच्चेदानी के रास्ते पेशाब का निकलते रहना (वीवीएफ) जैसी समस्याएं महिलाओं की यूरीन संबन्धी प्रमुख समस्याएं हैं। उन्होंने बताया कि इन सभी बीमारियों का एम्स के यूरोलॉजी विभाग में आधुनिक मेडिकल तकनीक आधारित बेहतर इलाज संभव है।
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Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।