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November 13, 2024

एम्स ऋषिकेश में स्तन कैंसर के प्रति किया जागरूक, बताया- सेल्फ एग्जामिनेशन बहुत कारगर, ऐसे कम करें खतरा

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश और नेटवर्क ऑफ क्लीनिकल ट्रायल्स इन इंडिया (एनओसीआई) के संयुक्त तत्वावधान में स्तन कैंसर जनजागरुकता माह के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया गया। बृहस्पतिवार को ऑंकोलॉजी ओपीडी में आयोजित जागरुकता कार्यक्रम में मरीजों और उनके तीमारदारों को स्तन कैंसर की बीमारी के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर कैंसर चिकित्सा विभाग के सह आचार्य डॉ. अमित सहरावत ने कहा कि दुनियाभर में स्तन कैंसर के मामले अन्य कैंसर के मुकाबले सबसे ज्यादा दर्ज किए जाते हैं। साल 2020 में रिपोर्ट किए गए कुल कैंसर मामलों में करीब 13.5 फीसदी स्तन कैंसर के थे। इसका कारण यह है कि महिलाओं में इस बीमारी के लक्षणों को लेकर जानकारी की कमी है, कुछ आसान तरीकों और एहतियात बरतने से इस कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डॉ अमित ने बताया कि ग्लोबोकेन 2020 की रिपोर्ट की अनुसार, 2020 में निदान किए गए नए कैंसर मामलों की संख्या 19 .3 मिलियन थी और लगभग 10.0 मिलियन लोगों की कैंसर के कारण मृत्यु हो गई थी। ग्लोबोकैन का अनुमान है कि 2040 में कैंसर के मामलों की संख्या बढ़कर 28.4 मिलियन हो जाएगी। डॉ. अमित सहरावत के अनुसार दुनियाभर में महिला स्तन कैंसर सबसे आम कैंसर (11.7%) के तौर पर फेफड़ों के कैंसर से आगे निकल गया है। इसके बाद फेफड़े (11.4%), कोलोरेक्टल (10.0%), प्रोस्टेट (7.3%), और पेट के कैंसर का स्थान (5.6%) है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर कैंसर चिकित्सा विभाग के सहायक आचार्य डॉ. दीपक सुंदरियाल ने बताया कि स्तन कैंसर के प्रति लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से प्रति वर्ष अक्टूबर माह को स्तन कैंसर जागरुकता माह के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि स्तन कैंसर पुरुषों और महिलाओं दोनों को हो सकता है, परन्तु यह महिलाओं में अधिक होता है। कई कारणों से स्तनों में बढ़ने वाली आसामान्य कोशिकाएं कभी- कभी गांठ का रूप ले लेती हैं। जो आगे चल कर कैंसर में परिवर्तित हो सकती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डॉ. दीपक ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर स्तन या स्तन के आसपास गांठ का उभरना, स्तन का रंग लाल होना, स्तन से खून जैसा द्रव्य बहना, स्तन पर डिंपल बनना, स्तन का सिकुड़ जाना या पीठ या रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत रहना स्तन कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। चिकित्सक के अनुसार यदि बीमारी के लक्षण के बारे में समय रहते पता चल जाए तो इसका उपचार हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि कैंसर ऐसी बीमारी है जो एक जगह से शुरू होकर बढ़ते-बढ़ते दूसरी जगह तक फ़ैल जाती है। व्यक्ति के शरीर में कैंसर बहुत पहले शुरू होता है, लेकिन इसकी पहचान वर्षों बाद हो पाती है, क्योंकि सामान्यतौर पर किसी व्यक्ति को देख कर यह नहीं बताया जा सकता है कि उसे कैंसर है, स्तन कैंसर भी इसी प्रकार का एक प्रमुख कैंसर है, जो कि वर्षों पहले कोशिकाओं में बनना शुरू होता है, जिसके बाद हजारों, लाखों कि संख्या में कोशिकाएं बढ़ती जाती हैं, बाद में यह ट्यूमर का रूप ले लेती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने जानकारी दी कि उभार या गांठ बनने पर ही व्यक्ति को पता चलता है कि इसे ब्रेस्ट कैंसर है। खासबात यह है कि वर्तमान में इसके कई बेहतर उपचार उपलब्ध हैं। लोगों की सर्वाइवल दर काफी अधिक है, जिसका बेहतर उपचार सर्जरी है। यह प्रारंभिक अवस्था में सबसे ज्यादा कारगर है। इसके साथ- साथ कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी के द्वारा भी इस बीमारी का उपचार किया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि इसमें सबसे अहम है कि समय रहते बीमारी की पहचान हो सके। 85 फीसदी मामलों में पीड़ित के परिवार में इससे पहले ब्रेस्ट कैंसर की कोई हिस्ट्री नहीं होती। यानी यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। लिहाजा इसके लिए सतर्कता के साथ साथ दूसरों को भी जागरुक करना भी जरुरी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सेल्फ एग्जामिनेशन बहुत कारगर
इस मौके पर एम्स ऋषिकेश की स्त्री रोग ऑन्कोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. शालिनी राजाराम ने कहा कि आमतौर पर शुरुआती स्टेज में स्तन कैंसर के कोई लक्षण नहीं पाए जाते। ट्यूमर इतना छोटा भी हो सकता है, कि वह महसूस नहीं हो। ट्यूमर होने का पहला संकेत अक्सर स्तन पर होने वाली गांठ ही होता है। इसे सेल्फ एग्जामिनेशन भी किया जा सकता है। ब्रेस्ट या इसके कुछ हिस्से में कोई स्राव, सूजन या गांठ इसके लक्षण हो सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

खतरा इस तरह किया जा सकता है कम
पोषण युक्त संतुलित भोजन, नियमित एक्सरसाइज , शरीर का सही वजन आदि कुछ तरीके हैं , जिनसे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम हो सकता है। इसी तरह बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग कराना भी महिलाओं में इस खतरे को कम करता है। इस दौरान डॉ. लखविंदर, एनओसीआई से रजत गुप्ता, द्वारिका रयाल, अंकित तिवारी, आरती राणा, नरेंद्र रतूड़ी, वैभव कर्नाटक, अनुराग पाल, नीरज भट्ट, गणेश पेटवाल, सतीश पाल आदि मौजूद रहे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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