एम्स ऋषिकेश ने सर्जरी कर बनाया रिकॉर्ड, तीन दिन के नवजात से लेकर 90 वर्ष के बुजुर्ग की हो चुकी सर्जरी

10 साल पहले 2 जून 2014 को पहला ऑपरेशन करने के बाद से एम्स ऋषिकेश अब तक एक लाख 33 हजार से अधिक लोगों की सर्जरी कर उन्हें स्वास्थ्य लाभ दे चुका है। विश्व स्तरीय उच्च तकनीक आधारित स्वास्थ्य सुविधाओं को विकसित करते हुए संस्थान ने यह उपलब्धि हासिल की है। इनमें तीन दिन के नवजात से लेकर 90 साल तक के वृद्ध की सर्जरी भी शामिल है। अपनी स्वास्थ्य समस्या को लेकर इन 10 वर्षों में 53 लाख 45 हजार लोग एम्स की ओपीडी पंहुचे। इनमें से तीन लाख 84 हजार 400 रोगियों को अस्पताल में भर्ती कर उनका इलाज किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऋषिकेश में एम्स की स्थापना होने के बाद जब दिसम्बर 2013 में रोगियों को अस्पताल में भर्ती करने की सुविधा शुरू हुई तो पहली सर्जरी रीढ़ की हड्डी में न्यूरो समस्या से जूझ रहे एक पेशेन्ट की की गयी थी। एम्स में यह पहला ऑपरेशन 2 जून 2014 को किया गया था। संस्थान के निदेशक पद पर रहते हुए तत्कालीन न्यूरो सर्जन डॉ. राजकुमार ने इस सफल सर्जरी को अंजाम दिया था। साल दर साल एम्स की ओपीडी में रोगियों की संख्या बढ़ती चली गयी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके साथ ही ऐसे रोगियों की संख्या भी बढ़ने लगी, जिन्हें उपचार के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य तकनीकों को आगे बढ़ाते हुए एम्स ने रोगियों का इलाज करने के मामले में पीछे मुड़कर नहीं देखा। नतीजा यह है कि एम्स के अनुभवी सर्जन डॉक्टर 31 दिसम्बर 2024 तक कुल 1 लाख, 33 हजार 329 सर्जरी कर चुके हैं। वर्ष 2014 के दौरान बिना मॉड्यूलर के 4 ऑपरेशन थियेटरों से शुरू होने वाले एम्स अस्पताल में अब 64 ऑपरेशन थियेटरों की लंबी श्रृंखला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तीन दिन के नवजात की सर्जरी
कुछ ऐसे भी नवजात होते हैं, जिनकी आहार नाल, सांस नली के साथ चिपकी रहती है। ऐसे बच्चे जन्म लेने के दौरान से ही न तो स्तनपान कर सकते हैं और न ही उनके मुंह से कोई तरल पेय अन्दर जा सकता है। एम्स में ऐसे नवजातों की सर्जरी पिडियाट्रिक सर्जन करते हैं। इस विभाग की ओर से नौ जुलाई 2022 को ऐसी ही समस्या से ग्रसित एक नवजात की सर्जरी की गयी। उसे किसी अन्य अस्पताल ने एम्स रेफर किया था। यह बच्चा एम्स में भर्ती करते समय मात्र चार घन्टे पूर्व जन्मा था। एक दिन बाद डॉक्टरों ने इसकी सर्जरी कर दी थी। पिथौरागढ़ का यह बच्चा स्वस्थ होकर अब ढाई साल का हो गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
90 साल की वृद्धा की भी हो चुकी सर्जरी
अति वृद्धावस्था वाले लोगों में पैर फिसलने की वजह से कूल्हा टूट जाने अथवा कूल्हा हिल जाने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। एम्स के ऑर्थोपेडिक विभाग के सर्जन ऐसे लोगों की सर्जरी कर कूल्हे का प्रत्यारोपण कर देते हैं। कूल्हा खिसक जाने से पीड़ित छिद्दरवाला की रहने वाली 89 साल से अधिक आयु की ऐसी एक पेशेन्ट की सर्जरी एम्स में 2 मई 2020 को की गयी थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अंगों का भी हो रहा प्रत्यारोपण
पिछले वर्ष कांवड़ यात्रा मे आया एक कांवड़िया रूड़की के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। सिर पर गंभीर चोट की वजह से कौमा में जाने के बाद 30 जुलाई को डॉक्टरों की टीम ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। बाद में परिजनों ने स्वेच्छा से इस कांविड़ये के अंग दान कर दिए। जिन्हें चण्डीगढ़ और दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती रोगियों को प्रत्यारोपित करने का कार्य भी एम्स ऋषिकेश द्वारा बखूबी निभाया जा चुका है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सभी तरह के रोग से संबंधित सर्जरी की सुविधा
एम्स ऋषिकेश की चिकित्सा अधीक्षक प्रो. सत्या के मुताबिक, संस्थान में न्यूरो सर्जरी, कार्डियक सर्जरी, पिडियाट्रिक सर्जरी, यूरोलॉजी और सभी तरह के कैंसर रोग से संबन्धित सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है। यह सभी सुपर स्पेशिलिटी स्तर की सर्जरी हैं। आपात् स्थिति के मरीजों के इलाज की आवश्यकता हो देखते हुए अस्पताल के ट्रॉमा सेन्टर में दो ऑपरेशन थियेटर विशेष तौर से संचालित हो रहे हैं। यहां मेजर और माईनर स्तर पर औसतन 10-15 सर्जरी प्रतिदिन की जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इलाज की जरूरत के मुताबिक, ओटी रात दिन संचालित
एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह के मुताबिक, इलाज की आवश्यकता को देखते हुए अस्पताल मे ओटी व्यवस्था रात-दिन संचालित की जा रही हैं। वर्ल्ड क्लास हेल्थ फेसिलिटी और स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में संस्थान की दृढ़ संकल्पिता का ही परिणाम है एम्स में अब अंग प्रत्यारोपण की सुविधा भी उपलब्ध है। गम्भीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को जीवन बचाने के लिए अब राज्य से बाहर के अस्पतालों की ओर रूख करने की आवश्यकता नहीं है।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।