सत्यपाल मलिक के बाद अब पूर्व सेना प्रमुख शंकर रॉय चौधरी ने भी पुलवामा हमले पर उठाए सवाल
जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की ओर से पुलवामा हमले को लेकर मोदी सरकार पर लगाए आरोपों के संबंध में पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर रॉयचौधरी ने भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि पुलवामा में जानमाल के नुकसान की प्राथमिक ज़िम्मेदारी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार की है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल द्वारा सलाह दी जाती है। अभी तक पुलवामा हमले को लेकर सरकार के खिलाफ बोलने वालों को देशद्रोही और पाकिस्तान समर्थक करार दिया जाता रहा है। अब एक बार पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और उनके बाद पूर्व सेना प्रमुख के बयानों से बीजेपी की बेचैनी बढ़नी स्वाभाविक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर रॉयचौधरी ने कहा कि पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ जवानों की मौत की प्राथमिक जिम्मेदारी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार पर है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार द्वारा सलाह दी जाती है। द टेलीग्राफ से बात करते हुए 18वें थल सेनाध्यक्ष रॉयचौधरी, द वायर के साथ एक साक्षात्कार में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के खुलासे पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
द वायर को दिए गए इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने कहा था कि 2019 का पुलवामा हमला, जिसमें विस्फोटकों से लदी एक कार के सीआरपीएफ के काफिले में घुस जाने के बाद 40 जवान शहीद हो गए थे, सरकार की अक्षमता और लापरवाही का परिणाम था। मलिक ने द वायर को बताया था कि सीआरपीएफ ने जम्मू से श्रीनगर तक सड़क मार्ग से यात्रा करने के बजाय विमान से यात्रा करने का अनुरोध किया था, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय (तब राजनाथ सिंह के नेतृत्व में था) ने उन्हें विमान प्रदान नहीं किया। भाजपा नेता सत्यपाल मलिक ने कहा था कि अगर उनके अनुरोध को मान लिया जाता तो मौतों को रोका जा सकता था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जनरल रॉयचौधरी ने द टेलीग्राफ से कहा कि पुलवामा में जानमाल के नुकसान की प्राथमिक जिम्मेदारी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार पर है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) द्वारा सलाह दी जाती है. यह एक धक्का था। उन्होंने कहा कि हमले के पीछे खुफिया विफलता के लिए एनएसए अजीत डोभाल को भी उनके हिस्से का दोष मिलना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मलिक ने यह भी दावा किया था कि जब उन्होंने उन विफलताओं के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया, जिनके चलते हमला हुआ था तो मोदी ने उन्हें ‘चुप रहने’ के लिए कहा. उन्होंने बताया था कि एनएसए डोभाल ने भी उन्हें चुप रहने को कहा था। मलिक ने कहा था कि हमले में इस्तेमाल विस्फोटक पदार्थ आरडीएक्स पाकिस्तान से आया था, तथ्य यह है कि एक कार जो हमले से पहले कई दिनों तक कश्मीर में ‘घूमती’ रही और पता ही नहीं चला, वह एक खुफिया तंत्र और सुरक्षा व्यवस्था की विफलता थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मलिक की बातों से सहमति व्यक्त करते हुए जनरल रॉय चौधरी ने अखबार को बताया कि 2,500 से अधिक कर्मचारियों को ले जा रहे 78 वाहनों के काफिले को ऐसे राजमार्ग से नहीं जाना चाहिए था, जो पाकिस्तान सीमा के इतने करीब हो। जनरल रॉयचौधरी ने इससे सहमति जताई। टेलीग्राफ के अनुसार उन्होंने कहा कि जम्मू और श्रीनगर के बीच अंतरराज्यीय राजमार्ग पर चल रहे सीआरपीएफ के काफिले पर पुलवामा में मुजाहिदीन के एक समूह ने घात लगाकर हमला किया था। अगर सैनिकों ने हवाई यात्रा की होती, तो जानमाल के नुकसान को टाला जा सकता था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जनरल शंकर रॉयचौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलने वाले सभी बड़े वाहनों और काफिलों पर हमेशा हमले का जोखिम रहता है। उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में पुलवामा आतंकी हमला हुआ था, वह हमेशा एक बहुत ही ‘जोखिम भरा क्षेत्र’ रहा है। उन्होंने द टेलीग्राफ को बताया कि जम्मू में सांबा (सतवारी हवाईअड्डे से 31 किमी) के साथ जाने वाली सड़क घुसपैठ के कारण हमेशा असुरक्षित रहती है, जो टनलों के जरिये होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
1991 और 1992 के बीच जम्मू कश्मीर में 16 कोर की कमान संभालने वाले जनरल ने कहा कि अंतरराज्यीय राजमार्ग पर आप जितना अधिक ट्रैफिक ले जाते हैं, आप उन्हें जोखिम में डालते हैं, क्योंकि सीमा पाकिस्तान से बहुत दूर नहीं है। जनरल रॉयचौधरी भी मलिक के इस बयान से सहमत थे कि आतंकी हमला खुफिया तंत्र की विफलता का परिणाम था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जनरल रॉयचौधरी ने टेलीग्राफ से कहा कि यह एक गलती है जिससे सरकार अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रही है। मैं दृढ़ता से मानता हूं कि सैनिकों को विमान से ले जाना चाहिए था, जो नागरिक उड्डयन विभाग, वायु सेना या बीएसएफ के पास उपलब्ध हैं। उन्होंने आगे कहा कि विफलता का कोई दावेदार नहीं होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस दिन हुआ था पुलवामा हमला
14 फरवरी 2019 को, जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारतीय सुरक्षा कर्मियों को ले जाने वाले सीआरपीएफ के वाहनों के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ, जिसमें 40 भारतीय सुरक्षा कर्मियों की जान गयी थी। यह हमला जम्मू और कश्मीर के पुलवामा ज़िले के अवन्तिपोरा के निकट लेथपोरा इलाके में हुआ था। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित इस्लामिक आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने ली। हालांकि, पाकिस्तान ने हमले की निंदा की और जिम्मेदारी से इनकार किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उस दिन शूटिंग में व्यस्त थे पीएम मोदी
जिस दिन पुलवामा हमला हुआ उस दिन पीएम मोदी डिस्कवरी के मशहूर शो ‘मैन वर्सेज वाइल्ड’ के एक एपिसोड की शूटिंग में व्यस्त थे। इस खास एपिसोड की शूटिंग बेयर ग्रिल्स ने भारत के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में की। पीएम मोदी और ग्रिल्स जंगल में घूमते और रबर की नौका में बैठे नजर आए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएम नरेंद्र मोदी 14 फरवरी को सुबह करीब सात बजे दिल्ली से देहरादून पहुंचे। देहरादून पहुंचने के बाद खराब मौसम के कारण उड़ान न भर पाने के कारण वे वहां करीब चार घंटे तक रुके रहे। सुबह सवा 11 बजे वे जिम कार्बेट नेशनल पार्क पहुंचे। वे वहां तीन घंटे तक रहे। उन्होंने वहां टाइगर सफारी, इको टूरिज्म जोन और रेस्क्यू सेंटर का उद्घाटन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएम मोदी ने ढिकाला का दौरा करने के लिए कालागढ़ से मोटरबोट में यात्रा की। ढिकाला पहुंचने के बाद उन्होंने जंगल की सैर की। पीएम मोदी को दोपहर बाद तीन बजे रुद्रपुर में जनसभा को संबोधित करना था, लेकिन यह रैली खराब मौसम और पुलवामा हमले के कारण स्थगित कर दी गई। उन्होंने फोन के जरिए संक्षेप में संबोधन दिया। इससे पहले पुलवामा की घटना हो चुकी थी। हालांकि, पीएम मोदी को पुलवामा में हुए हमले की सूचना 25 मिनिट की देरी से मिली। फिर भी उन्होंने जनसभा को फोन से संबोधित किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रामनगर से शाम सात बजे रवाना होने के बाद पीएम मोदी देर शाम को दिल्ली पहुंचे। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि ‘तीन बजकर 10 मिनट पर ही हमले की खबर आ गई थी। पांच बजकर 15 मिनट पर कांग्रेस ने भी रिएक्शन दे दिया था। मगर, मोदी जी क्या कर रहे थे। मोदी जी की दिनचर्या बता रहा हूं। वह दिन भर पार्क का भ्रमण करने के बाद नौका विहार और शूटिंग करवा रहे थे। छह बजकर 45 मिनट तक फिल्म की शूटिंग करते हैं, नौका विहार करते हैं।
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Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।