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October 19, 2025

अफगानिस्तान का खजाना तालिबान से कोसो दूर, लौटना चाहते हैं पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी, जानिए क्या बोले- जो बाइडेन और क्या है भारत का स्टैंड

अफगानिस्तान में तालीबान का कब्जा होने के बाद से ही सब देश अपनी अपनी राय जाहिर कर रहे हैं। इस मामले में भारत वेट एंड वाच की स्थिति में है।

अफगानिस्तान में तालीबान का कब्जा होने के बाद से ही सब देश अपनी अपनी राय जाहिर कर रहे हैं। इस मामले में भारत वेट एंड वाच की स्थिति में है। इसके साथ ही अफगानिस्तान के राजनीतिक घटनाक्रम भी तेजी से बदल रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग अफगानिस्तान छोड़ना चाह रहे हैं। वहीं, सूचना ये आई कि अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी स्वदेश वापसी चाह रहे हैं। वहीं, अफगानिस्तान का खजाना सुरक्षित बताया जा रहा है। इसके तालिबानियों के हाथ न लगने के दावे किए जा रहे हैं। अब तक के अफगानिस्तान में चल रहे घटनाक्रम पर हम एक नजर डालते हैं।
बैंक प्रमुख ने किया ये दावा
अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक के प्रमुख ने कहा कि कब्जे के बावजूद तालिबान के पास देश की अधिकांश नकदी और सोने के स्टॉक तक पहुंच नहीं होगी। द अफगानिस्तान बैंक (DAB) के गवर्नर अजमल अहमदी ने ट्विटर पर कहा कि बैंक के पास करीब 9 अरब डॉलर का भंडार था, लेकिन इसका ज्यादातर हिस्सा विदेशी बैंकों में हैं, जो कि तालिबान की पहुंच से दूर है।
तालिबान के राजधानी में घुसने के डर से रविवार को देश छोड़कर भागे अहमदी ने कहा कि-अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक, ज्यादातर संपत्तियां सुरक्षित हैं, तरल संपत्तियां जैसे कोषागार और सोने में हैं। अमेरिकी प्रशासन के एक अधिकारी ने एजेंसी को बताया था कि अमेरिका में अफगान सरकार की केंद्रीय बैंक की किसी भी संपत्ति को तालिबान को उपलब्ध नहीं कराया जाएगा। अहमदी ने कहा कि यूएस फेडरल रिजर्व के पास में सात अरब का भंडार है, जिसमें से 1.2 अरब डॉलर का सोना शामिल है, जबकि शेष अन्य को अंतरराष्ट्रीय खातों में रखा गया है. जिसमें बेसल स्थित बैंक फार इंटरनेशनल सेटलमेंट भी शामिल हैं।
हंगामे के बिना संभव नहीं था अफगानिस्तान छोड़ना
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि हंगामे कि बिना अफगानिस्तान को छोड़ना संभव नहीं था। इसलिए संयुक्त राज्य अमेरिका ने विजयी तालिबान से लोगों के पलायन के लिए सुरक्षित रास्ता देने का अनुरोध किया था। काबुल हवाई अड्डे पर निराश करने वाले दृश्यों के बीच, जहां अमेरिकी सेना हजारों लोगों को निकालने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है, जो बाइडेन अफगानिस्तान में 20 साल के अमेरिकी युद्ध को समाप्त करने के अपने फैसले पर कायम रहे।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने ABC न्यूज टेलीविजन को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि यह विचार कि किसी भी तरह की अराजकता के बिना बाहर निकलने का एक तरीका है, लेकिन मुझे नहीं पता कि यह कैसे होता है। बाइडेन प्रशासन ने लंबे समय से अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध के “व्यवस्थित ड्रॉडाउन” का वादा किया था। राष्ट्रपति का कहना है कि अमेरिकी सेना का अफगानिस्तान में अब लंबे संघर्ष में लड़ने में कोई राष्ट्रीय हित नहीं है। बाइडेन ने टीवी चैनल से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि हजारों अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान वापस भेज दिया जाएगा, ताकि वहां से लोगों की सुरक्षित निकासी हो सके। 31 अगस्त को युद्ध समाप्त करने की समय सीमा समाप्त हो रही है।
हालांकि, उन्होंने पहली बार कहा कि वह लंबे समय तक भी अफगानिस्तान में रह सकते हैं। उन्होने कहा कि अगर एक भी अमेरिकी नागरिक अफगानिस्तान में छूट जाता है तो उसकी निकासी के लिए अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में ही रहेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि अमेरिका समर्थित अफगान सरकार के तेजी से पतन होने से वह स्तब्ध थे। उन्होंने कहा कि तालिबान अमेरिकियों को बाहर निकलने में सहयोग कर रहा है, लेकिन उन लोगों को कुछ और कठिनाई हो रही है जिन्होंने हमारी मदद की थी, जब हम वहां थे। उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमेन ने भी कहा कि तालिबान द्वारा प्रतिशोध न करने के वादे के बावजूद, अफगान नागरिकों का उत्पीड़न किया जा रहा है, जो चिंता की बात है।
वतन वापसी को पूर्व राष्ट्रपति गनी ने किए प्रयास
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद देश छोड़ कर भागे पूर्व रष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा है कि वतन वापसी को लेकर उनकी बातचीत जारी है। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि वह तालिबान और शीर्ष पूर्व सरकारी अधिकारियों के बीच बातचीत का समर्थन करते हैं। वह संयुक्त अरब अमीरात में शरण लेने के बाद स्वदेश लौटने के लिए बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा कि-मैं अब्दुल्ला अब्दुल्ला और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई के साथ चल रही बातचीत की सरकार की पहल का समर्थन करता हूं। मैं इस प्रक्रिया की सफलता चाहता हूं। रविवार को अफगानिस्तान छोड़ने के बाद फिलहाल वो संयुक्त अरब अमीरात में परिवार के साथ शरण लिए हुए हैं और तब के बाद से ये उनकी पहली उपस्थिति है।
तालिबानियों के राजधानी काबुल के करीब आते ही गनी देश छोड़ कर भाग गए थे, जिसके बाद अफगानिस्तान में दो दशक बाद तालिबान का शासन लौट आया। बुधवार को संयुक्त अरब अमीरात ने कहा कि वह मानवीय आधार पर गनी और उनके परिवार की मेजबानी कर रहा है। देश छोड़ने के बाद यह उनके ठिकाने की पहली पुष्टि है।
तालिबान ने विरोधियों से बदला नहीं लेने और महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने की कसम खाते हुए सुलह की प्रतिज्ञा की है। वहीं, तालिबान के क्रूर मानवाधिकार रिकॉर्ड के बारे में विश्व स्तर पर बड़ी चिंताएं हैं। इसीलिए हजारों अफगानी अभी भी भागने की कोशिश कर रहे हैं। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि विपरीत पक्ष के सभी लोगों को ए से जेड तक माफ कर दिया गया है। हम बदला नहीं लेंगे।
शीर्ष कमांडर अब्दुल गनी बरादर लौट चुका है काबुल
तालिबान का सह संस्थापक और शीर्ष कमांडर मुल्ला अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल लौट आया है। बरादर अभी तक कतर की राजधानी दोहा में था, जहां वो तालिबान और अमेरिकी अगुवाई वाले पश्चिमी देशों के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता में शामिल था। काबुल में मंगलवार को विमान उतरने के बाद तालिबान के अन्य नेताओं ने उसका जबरदस्त स्वागत किया था। माना जा रहा है कि मुल्ला बरादर को अफगानिस्तान का अगला राष्ट्रपति बनाया जा सकता है। अमेरिकी सेना की वापसी को लेकर समझौते को अंतिम रूप देने में मुल्ला बरादर की बड़ी भूमिका रही है।
मुल्ला बरादर ने 1990 के दशक में मुल्ला उमर के साथ तालिबान की स्थापना की थी। 9/11 के हमले के बाद जब अमेरिका ने तालिबान के खिलाफ हमला बोला तो तालिबान के अन्य बड़े नेताओं के साथ मुल्ला बरादर भी भूमिगत हो गया था। वह 2010 में पाकिस्तान में पकड़ा गया था। कहा जाता है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों ने उसे कराची से पकड़ा था, लेकिन जब अमेरिकी सेना की वापसी को लेकर तालिबान से वार्ता शुरू हुई तो बरादर को रिहा कर दिया गया। वो भी तालिबान और विदेशी ताकतों के बीच कतर की राजधानी दोहा में हुई बातचीत में भागीदारी करता रहा।
मुल्ला बरादर दक्षिण अफगानिस्तान के उरुजगान प्रांत में प्रभावशाली पख्तून समुदाय में हुआ था। बरादर 1990 के दशक में इस्लामिक शरिया के मुताबिक तालिबान की नींव रखने वालों में से एक था। 1980 के दशक में सोवियत संघ के अफगानिस्तान पर हमले के खिलाफ उसने मुजाहिदीनों के साथ मिलाकर संघर्ष किया था। बरादर ने कंधार से सोवियत फौजों के खिलाफ जेहाद का ऐलान किया। मुल्ला बरादर अफगानिस्तान के देहराऊद जिले का रहने वाला और पख्तून है। अमेरिका में 9/11 हमले के बाद जब 2001 में तालिबान जब सत्ता से बेदखल हुआ तो मुल्ला बरादर अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ अभियान में जुट गया था। वर्ष 2001 के पहले जब अफगानिस्तान में तालिबान शासनथा तो उस सरकार में मुल्ला बरादर उप रक्षा मंत्री की हैसियत से काम कर रहा था।
घटनाओं पर भारत की बारीकी से नजर
अफगानिस्‍तान में होने वाली घटनाओं पर भारत बारीकी से नजर जमाए हुए है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्‍यूयॉर्क में बुधवार को संवाददाताओं से चर्चा में कहा कि फिलहाल हमारा फोकस इस युद्धग्रस्‍त देश में मौजूद भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और सुरक्षित वापसी पर है। विदेश मंत्री से पूछा गया था कि तालिबान नेतृत्‍व को भारत किस तरह देखता है और कैसे डील करेगा। इसके जवाब में उन्‍होंने कहा कि यह अभी शुरुआती दिन हैं। विदेश मंत्री ने इस बात का सीधा जवाब नहीं दिया कि-क्‍या भारत, तालिबान के संपर्क में है। इस सवाल पर कि क्‍या भारत का हाल के समय में तालिबान से कोई संपर्क हुआ है, विदेश मंत्री ने कहा कि- इस समय हम काबुल के हालात पर ध्‍यान दे रहे हैं। तालिबान और इसके प्रतिनिधि काबुल पहुंच गए हैं। इसलिए मुझे लगता है कि हमें चीजों को वहां से शुरू करने की जरूरत है।
क्‍या भारत अफगानिस्‍तान में निवेश और और उससे जुड़ाव रखेगा, इसके जवाब में जयशंकर ने कहा कि- अफगानिस्‍तान के लोगों के साथ ऐतिहासिक संबंध जारी हैं। उन्‍होंने कहा -यह आने वाले दिनों में हमारे दृष्टिकोण का निर्धारण करेगा। मुझे लगता है कि यह शुरुआती दिन (अफगानिस्‍तान में तालिबान को लेकर) हैं। हमारा फोकस वहां मौजूद भारतीय लोगों की सुरक्षा पर हैं। जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शांति रक्षा पर खुली चर्चा की अध्यक्षता करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि- वह (अफगानिस्तान की स्थिति) यहां मेरी वार्ताओं के केंद्र में हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव और अन्य सहयोगियों के साथ ही अमेरिका के विदेश मंत्री से भी इस पर चर्चा कर रहा हूं। भारत अगस्त महीने के लिए सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है।
विदेश मंत्री सोमवार को न्यूयॉर्क पहुंचे थे। क्योंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान की स्थिति पर आपातकालीन बैठक की। दस दिनों के अंदर संयुक्त राष्ट्र के शक्तिशाली निकाय ने युद्धग्रस्त देश की स्थिति पर चर्चा के लिए भारत की अध्यक्षता में यह दूसरी बैठक की। जयशंकर ने अफगानिस्तान की स्थिति पर यहां संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मुलाकात के दौरान तथा अन्य द्विपक्षीय बैठकों में चर्चा की है।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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