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May 16, 2025

मजार तोड़ने वाले अधिकारियों पर हो कार्रवाई, कश्मीरी छात्रों और ईसाई समुदाय को धकमाने के मामले में राज्यपाल करे हस्तक्षेप

देहरादून में विभिन्न सामाजिक संगठनों और विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त रूप से जिला मुख्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। इस दौरान राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर दून अस्पताल के पास दो सौ साल पुरानी मजार तोड़ने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। इसके साथ ही कश्मीरी छात्रों को देहरादून छोड़ने की धमकी देने और चकराता में ईसाई समुदाय के लोगों को बेवजह परेशान करने के मामले में भी राज्यपाल से हस्तक्षेप करने की मांग की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि कचहरी स्थित शहीद स्मारक पर एकत्रित हुए और नारेबाजी करते हुए डीएम कार्यालय तक गए। जहां जिला प्रशासन के माध्यम से राज्यपाल के नाम ज्ञापन प्रेषित किया गया। ज्ञापन में देहरादून की मलिन बस्तियों को उजाड़ने के मामले में भी राज्यपाल से हस्तक्षेप करने की मांग की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ज्ञापन में कहा गया है कि दून अस्पताल के बाहर जिस 200 साल पुरानी मजार को प्रशासन ने रात के अंधेरे में तोड़ दिया, उसका संचालन वक्फ बोर्ड की ओर से किया जा रहा था। बोर्ड के दो कर्मचारी भी वहां नियुक्त थे और आमदनी का सात प्रतिशत सेस सरकार को भी दिया जाता है। मजार सिर्फ एक व्यक्ति की शिकायत पर ध्वस्त कर दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

ज्ञापन में कहा गया कि मजारें हिन्दू-मुस्लिमों के बीच एकता बढ़ाने का सेतु रही हैं, लेकिन प्रशासन ने बिना सोचे-समझे गैर कानूनी तरीके से एक मजार तोड़ी है। इसलिए मजार तोड़ने का आदेश देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। पहलगाम की घटना के बाद कश्मीरी छात्रों को देहरादून छोड़ने की धमकी देने के मामले का भी ज्ञापन में जिक्र किया गया है। साथ ही कहा कि पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज किया, लेकिन धमकी देने वालों को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। इन लोगों को तुरंत गिरफ्तार करने और उन्हें कड़ी सजा दिलाने के लिए कोर्ट में ठोस पैरवी करवाने की भी मांग की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसके साथ ही चकराता में ईसाई समुदाय के लोगों को वहां तैनात स्पेशल फ्रंटियर फोर्स की ओर से बेवजह परेशान करने के मामले में भी राज्यपाल से हस्तक्षेप करने की मांग की गई है। ज्ञापन उत्तराखंड इंसानियत मंच, उत्तराखंड महिला मंच, चेतना आंदोलन, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, एसएफआई उत्तराखंड, उत्तराखंड मसीह समाज, किसान सभा उत्तराखंड, पेंशनर्स एसोसिएशन उत्तराखंड, हिन्द स्वराज मंच, सर्वोदय मंडल उत्तराखंड, एनएपीएसआर, नेताजी संघर्ष समिति, पीपुल्स फोरम, उत्तराखंड, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई एमएल, समाजवादी पार्टी, जनता दल एस, ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन, मजदूर सहायता समिति, नागरिक विकल्प मंच, सीटू सहित अन्य संगठनों की ओर से दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रदर्शन करने वालों में कमला पंत, डॉ. रवि चोपड़ा, नंदनंदन पांडेय, अनंत आकाश, लताफत हुसैन, अलख नारायण दुबे, त्रिलोचन भट्ट, तुषार रावत, हिमांशु चौहान, चंद्रकला, कमलेश खंतवाल, लेखराज, आरिफ खान, हरिजिन्दर सिंह, सुशील सैनी, अलमासुद्दीन सिद्दीकी, अरुण श्रीवास्तव, शंभु प्रसाद ममंगाईं, कुलदीप कुमार, रंजन सोलंकी, भगवंत सिंह पयाल, डॉ. एसएन सचान, सुरेन्द्र सिंह सजवाण, निर्मला बिष्ट, विजय नैथानी, हेमलता नेगी आदि शामिल थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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