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November 21, 2024

अंतरिक्ष से आया धरती पर पहला लेजर संदेश, वैज्ञानिक उत्साहित, दूसरे ग्रहों के राज खुलने की बनी उम्मीद

पृथ्वी को पहली बार अंतरिक्ष से लेजर मैसेज मिला है। ये मैसेज 16 मिलियन किलोमीटर (10 मिलियन मील) की दूरी से पृथ्वी पर भेजा गया। मैसेज को रिसीव करने में सिर्फ 50 सेकेंड लगे। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने कहा कि ये पहली बार है जब हमें लेजर मैसेज मिला है। यह पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से 40 गुना अधिक है। यह प्रयोग डीप स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशंस (DSOC) उपकरण से संभव हुआ, जो नासा के साइकी स्पेसक्राफ्ट पर यात्रा कर रहा था। यह 13 अक्टूबर को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना हुआ था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बड़ी उपलब्धि के रूप में देख रहे हैं वैज्ञानिक
अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के मुताबिक, 14 नवंबर को साइकी अंतरिक्ष यान ने कैलिफोर्निया में पालोमर वेधशाला में हेल टेलीस्कोप के साथ एक संचार लिंक स्थापित किया था। इस मैसेज को स्पेसक्राफ्ट साइकी से पृथ्वी तक पहुंचने में लगभग 50 सेकंड का समय लगा था। नासा जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में DSOC के प्रोजेक्ट टेक्नोलॉजिस्ट अबी बिस्वास ने कहा कि इस तरह का पहला सिग्नल प्राप्त करना हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है। हम काफी समय से ऑप्टिकल फाइबर का इस्तेमाल करके स्पेसक्राफ्ट के साथ कम्युनिकेशन को स्थापित कर रहे थे, लेकिन यह पहली बार है जब हमें लेजर संदेश मिला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दूसरे ग्रहों के खुलेंगे राज
NASA के अधिकारी टर्डी कोर्टिस के मुताबिक, स्पेस में कम्युनिकेशन को बेहतर करने के और तरीके भी खोजने का प्रयास जारी है। इससे भविष्य में दूसरे ग्रहों पर साइंटिफिक जानकारी, फोटो और वीडियो को आसानी से भेजा जा सकेगा। इसके अलावा दूसरे ग्रहों की कुछ रहस्यमयी चीजों का भी पता लगेगा। यह प्रयोग 2 साल तक चलने की योजना है, जिसमें तेजी से दूर के स्थानों से लेजर सिग्नल भेजे और प्राप्त किए जाएंगे। इस अचीवमेंट से स्पेस में कम्युनिकेशन को बेहतर करने का रास्ता निकलेगा। उन्होंने कहा कि इससे हम वो तकनीक इजात कर पाएंगे, जिससे भविष्य में दूसरे ग्रहों पर साइंटिफिक जानकारी, फोटो और वीडियो भेजे जा सकें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

13 अक्टूबर को लॉन्च हुआ था Psyche स्पेसक्राफ्ट
Psyche स्पेसक्राफ्ट को 13 अक्टूबर को फ्लोरिडा स्थित केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। इस एक्सपेरिमेंट के लिए डीप स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशंस (DSOC) सिस्टम का इस्तेमाल किया गया। ये DSOC सिस्टम Psyche स्पेसक्राफ्ट पर लगाया गया था। इस सिस्टम का इस्तेमाल लेजर-बीम मैसेज को पृथ्वी पर वापस भेजने के लिए किया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

रेडियो सिग्नल की बजाय लाइट का इस्तेमाल
वर्तमान समय में डीप स्पेस में स्पेसक्राफ्ट के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए पृथ्वी पर बड़े एंटीना लगाए जाते हैं। इन एंटीना से मैसेज भेजे और रिसीव करने के लिए रेडियो सिग्नल का उपयोग किया जाता है, लेकिन उनकी बैंडविड्थ सीमित होती है। इस एक्सपेरिमेंट के बाद अब NASA रेडियो सिग्नल की बजाय ‘लाइट’ का इस्तेमाल करके पृथ्वी और स्पेसक्राफ्ट के बीच संपर्क स्थापित कर सकता है। इसी लाइट या लेजर के माध्यम मैसेज भेजा और रिसीव किए जा सकते हैं। NASA के मुताबिक, यह सिस्टम अभी इस्तेमाल हो रही स्पेस कम्युनिकेशन डिवाइस की तुलना में 10 से 100 गुना ज्यादा तेजी से इंफॉर्मेशन को भेज सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

14 नवंबर को रिसीव हुआ था मैसेज
नासा ने बताया कि 14 नवंबर को Psyche स्पेसक्राफ्ट ने कैलिफोर्निया में पालोमर ऑब्जर्वेटरी में हेल टेलिस्कोप के साथ एक कम्युनिकेशन लिंक स्थापित किया। इस कम्युनिकेशन लिंक के सफल प्रयोग को ‘फर्स्ट लाइट’ नाम दिया गया है। इस दौरान DSOC के नियर-इंफ्रारेड फोटॉन को Psyche से पृथ्वी तक यात्रा करने में लगभग 50 सेकंड का समय लगा। इस टेस्ट के दौरान डेटा को ‘क्लोजिग द लिंक’ तकनीक के तहत अपलिंक और डाउनलिंक लेजर के माध्यम से भेजा गया था।
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