अग्निवीरः इजराइल की राह, ना शहीद का दर्जा, ना ही पेंशन, उठे योजना पर सवाल, मौत पर सियासी तूफान
भारत में दो अग्निवीरों की मौत ने नई बहस को जन्म दे दिया है। सवाल उठता है कि ड्यूटी के दौरान अग्निवीर की मौत पर क्या उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाएगा। क्योंकि अग्निवीरों के लिए शहीद का दर्जा देने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसा मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है। दूसरा सवाल ये है कि क्या छह माह की ट्रेनिंग लेकर एक जवान पूर्ण रूप से सैनिक बन सकता है। वह क्या हर मोर्चे पर डटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसे लेकर बहस शुरू हुई, साथ ही इनके भविष्य को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पिछले साल जब भारत की जब तीनों सेनाओं के लिए अग्निपथ योजना योजना लागू की गई थी तब कई सैन्य विशेषज्ञों और पूर्व सैनिकों ने इस योजना की आलोचना की थी। इस योजना को पेंशन और वेतन के मद पर बढ़ रहे सेना के ख़र्च को कम करने के मक़सद से लाया गया था। विशेषज्ञों ने कहा था कि इस योजना से सेना की क्षमता और सक्रियता प्रभावित होगी। अग्निवीरों को चार साल के लिए भर्ती किया जा रहा है। ये सवाल भी उठाया गया था कि एक सैनिक को पूरी तरह तैयार होने में 8 से 10 साल तक का समय लगता है। ऐसे में सवाल उठे कि क्या छह माह में एक पूर्ण सैनिक तैयार हो सकता है। (पूरा समाचार नीचे दिए गए वीडियो में देखकर समझिए)
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।