अशोक आनन का गीत- हम रोशनदान हैं
हम रोशनदान हैं!
हम दीवार नहीं
रोशनदान हैं।
हमसे
आती है रोशनी
घर में।
हमारी
भाती है उपस्थिति
घर में।
हम रस्सी – पथ नहीं
पायदान हैं।
हम ही
मंज़िल के सरलतम
पथ हैं।
हम ही
सूर्य के सप्त अश्व
रथ हैं।
हम पतझड़ नहीं
हम बागवान हैं।
हम
सफ़ीना बन
पार लगाते हैं।
कभी
मंझधार में
तट बन जाते हैं।
हम समुन्दर नहीं
आसमान हैं।
हम ही
डुबतों के लिए
तिनका हैं।
हम ही
अंधियारे में
चिल्का हैं।
हम खरीदार नहीं
कद्रदान हैं।
कवि का परिचय
अशोक ‘आनन’, जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
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