कविता, भारत माता तेरे देश में किसान गरीब क्यों ?
भारत माता तेरे देश में किसान गरीब क्यों ?
आज़ादी से पहले भी वो गरीब था आज भी ज्यों का त्यों
दारू बेचने वाले अमीर हैं, धुआँ बेचने वाले भी अमीर हैं ?
फिर तंबाकू उगाने वाले ,बीड़ी बीनने वाले गरीब क्यों ?
भारत माता तेरे देश में किसान गरीब क्यों ?
दवा के नाम जहर बेचने वाले अमीर हैं , पानी बेचने वाले भी अमीर हैं
फिर दूध बेचने वाले गरीब क्यों ?
दूध की डेरी वाले अमीर अमीर क्यों ?
भारत माता तेरे देश में किसान गरीब क्यों ?
खून पसीने से कमाने वाले बहुत परेशान हैं
शक्ल से लगते ही नहीं कि वे इंसान हैं ।
फिर चारा ओर कोइला खाने वाले ही भगवान क्यों ?
भारत माता तेरे देश में किसान गरीब क्यों ?
खादी पहनने वाले अमीर हैं, खादी का गुणगान गाने वाले भी अमीर हैं
फिर खादी बनाने वाले गरीब क्यों ?
भारत माता तेरे देश में किसान गरीब क्यों ?
छोड़ देंगे वे कमाना तो
जवान सीमा पर भूखा मर जाएगा
देश फिर से गुलाम हो जाएगा
विज्ञान भी कुछ नहीं कर पाएगा
नेता तो काले धन से विदेश बस जाएगा
फिर महेन तू ओर तेरा किसान कहाँ जाएगा ?
पढ़ा है कि भरात देश कृषि प्रधान हैं
फिर भी किसान ज्यों का त्यों
भारत माता तेरे देश में किसान गरीब क्यों ?
रचनाकार का परिचय
नाम -डॉ. महेंद्र पाल सिंह परमार ( महेन)
शिक्षा- एम0एससी, डीफिल (वनस्पति विज्ञान)
संप्रति-सहायक प्राध्यापक ( राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी)
पता- ग्राम गेंवला (बरसाली), पोस्ट-रतुरी सेरा, जिला –उत्तरकाशी-249193 (उत्तराखंड)
मेल –mahen2004@rediffmail.com
मोबाइल नंबर- 9412076138, 9997976402 ।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।