सरकार की जिद्द से इस बार कॉलेजों में खाली रह जाएंगी सीटें, निजी कॉलेजों ने जताई चिंता, की गई ये मांग
नई शिक्षा नीति के नाम पर जितना प्रचार किया गया, परिणाम उसके उलट हैं। उत्तराखंड में तो छात्रों में कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। वहीं, निजी कॉलेज भी सरकार की नीति को लेकर परेशान हैं। दरअसल, केंद्रीय एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय ने प्रदेश के 10 अशासकीय डिग्री कॉलेजों की संबद्धता खत्म कर दी है। अब विवि से जुड़े 72 प्राइवेट कॉलेजों की संबद्धता को समाप्त करने का प्रस्ताव है। विवि की कार्यकारी परिषद ने इन कॉलेजों की संबद्धता अगले साल से खत्म करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय पिछले साल 20 जून को हुई शिक्षा मंत्रालय, राज्य सरकार व यूजीसी की संयुक्त बैठक के परिप्रेक्ष्य में लिया गया है। हालांकि कॉलेजों का कहना है कि विवि के 2009 में पारित एक्ट के तहत उन्हें असंबद्ध नहीं किया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज गढ़वाल मंडल के विभिन्न विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों की एक बैठक विधानसभा चौक स्थित होटल जेएसआर में संपन्न हुई। इस बैठक की अध्यक्षता एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूटस उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ सुनील अग्रवाल ने की। डॉ सुनील अग्रवाल ने बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि आज की बैठक में कॉलेजों के समक्ष उत्पन्न समस्याओं पर विचार किया गया। उन्होंने बताया कि श्री देव सुमन विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों द्वारा जानकारी दी गई कि विभिन्न कोर्सों में समर्थ पोर्टल के द्वारा रजिस्ट्रेशन की संख्या 5 से 10% के बीच में रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में ये भी कहा गया कि समर्थ पोर्टल लागू करने से पूर्व समर्थ पोर्टल का प्रचार-प्रसार नहीं किया गया। जिससे छात्रों में जागरूकता का अभाव रहा। इस कारण से कॉलेजों में अधिकार सीटें खाली रह जाएंगी और कॉलेजों का संचालन मुश्किल हो जाएगा। कॉलेजों की तरफ से इस संबंध में एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही शिक्षा मंत्री से भेंट करेगा। उस दौरान खाली सीटों को अन्य तकनीकी कॉलेजों की भांति स्वयं भरने की मांग की जाएगी। चर्चा की गई कि विभिन्न बोर्डों में अभी 12वीं कक्षा की कंपार्टमेंट की परीक्षाएं नहीं हुई है। कंपार्टमेंट की परीक्षा जुलाई में होगी और अगस्त तक उनके परिणाम घोषित होंगे। ऐसे में रजिस्ट्रेशन की तिथि 30 अगस्त तक बढ़ाना आवश्यक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय से संबंध कॉलेजों द्वारा यह भी जानकारी दी गई कि पिछले 2020 से कॉलेजों को संबद्धता के पत्र राजभवन से प्राप्त नहीं हुआ है। इसके कारण छात्रों को स्कॉलरशिप मिलने में समस्या उत्पन्न होगी। विश्वविद्यालय द्वारा कॉलेजों का निरीक्षण करवा कर संस्तुति कर दी जाती है। प्रवेश और परीक्षाएं भी करवा ली जाती है, लेकिन संबद्धता के पत्र प्राप्त नहीं हुए हैं। ऐसे में असमंजस की स्थिति बनी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस संबंध में निर्णय लिया गया कि शीघ्र ही राज्यपाल से मिलकर संबद्धता के पत्र जारी करने की मांग की जाएगी। हेमंत नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों द्वारा यह बात उठाई गई कि विश्वविद्यालय ने अगले सत्र से निजी कॉलेजों की संबद्धता समाप्त करने का प्रस्ताव दिया है। इस संबंध में अध्यक्षता कर रहे डॉ अग्रवाल ने कॉलेजों का आश्वस्त किया सेंट्रल यूनिवर्सिटी एक्ट के कारण निजी कॉलेजों की संबद्धता समाप्त करना विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कॉलेजों को यह भी बताया कि cuet के माध्यम से प्रवेश की बाध्यता से मुक्त रखने के लिए केंद्रीय सरकार द्वारा यूजीसी को चिट्ठी भेजी गई है। उसी चिट्ठी के आधार पर एसोसिएशन द्वारा विश्वविद्यालय और यूजीसी से वर्तमान सत्र के लिए भी भी हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के निजी कॉलेजों को cuet की बाध्यता से मुक्त रखने की मांग की गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक मे उपस्थित विभिन्न एसोसिएशनों द्वारा ऑल इंडिया अनेटेड विश्वविद्यालय महाविद्यालय एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ सुनील अग्रवाल को उपरोक्त विषयों पर आगामी कार्यवाही हेतु अधिकृत किया गया। बैठक में देहरादून हरिद्वार रुड़की लक्सर श्रीनगर के 52 कॉलेजों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए। इनमें मुख्य रूप से उच्च शिक्षा कल्याण परिषद के अध्यक्ष ललित जोशी, नर्सिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष राजकुमार शर्मा, जितेंद्र यादव, चौधरी दरियाव सिंह, हरेंद्र सिंह रावत, संदीप चौधरी, चौधरी छबील सिंह, अनिल तोमर, हरीश अरोड़ा, कमल साहनी, निशांत थपलियाल, अजय जसोला, सोमदत्त त्यागी, पीडी जुयाल, पीके जैन, मनन अग्रवाल, संजीव गर्ग, प्रेम कश्यप एचएल उपाध्याय सहित सहित 65 प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।