पोष माह में अभी पड़ेंगे चार पर्व, भगवान की करें पूजा, इन 21 वस्तुओं को न रखें धरती पर, बता रहे हैं आचार्य डा. संतोष खंडूड़ी
पौष माह में सभी प्रकार के मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं। इस दौरान शादी विवाह, मुंडन आदि संस्कार नहीं होते। वहीं, इस माह में पूजा करना फलदायी माना जाता है। या यूं कहा जाए कि ये माह भगवान साधना का महीना है। इस महीने कुछ व्रत और त्योहार भी पड़ते हैं। जो इस प्रकार आएंगें।
मोक्षदा एकादशीः यह एकादशी शुक्ल पक्ष को पड़ती है। इसे पुत्रदा एकादशी भी कहते हैं। यह 24 दिसंबर 2020 रात्रि 11:22 से प्रारंभ 25 दिसंबर 2020 रात्रि 2:00 बजे तक रहेगी।
शाकुंभरी पूर्णिमाः इसे पौष पूर्णिमा भी कहते हैं। यह 29 दिसंबर 2020 प्रातः 7:54 से 30 दिसंबर 2020 प्रातः 8:57 तक रहेगी।
सफला एकादशीः यह एकादशी कृष्ण पक्ष को 8 जनवरी 2021 रात्रि 9:41 से 9 जनवरी 2021 रात्रि 7:18 तक रहेगी। इसे सफला एकादशी भी कहते हैं।
पौष अमावस्याः 12 जनवरी 2021 दिन में 12:26 से 13 जनवरी 2021 प्रातःमें 10:30 तक रहेगी। पौष अमावस्या और का भी बहुत महत्व है। इस दिन अगर कोई पितृ दोष या कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए व्रत एवं उपवास के साथ पूजा करता है तो उसे निश्चित ही इन दोषों से मुक्ति मिलती है।
इन 21 वस्तुओं को पृथ्वी पर बिना पात्र के पर न रखें
इक्कीस वस्तुओं को सीधे पृथ्वी पर रखना वर्जित होता है। ये वस्तुयें पृथ्वी की ऊर्जा को अव्यवस्थित करती हैं और उस स्थानको अशुभ बनाती हैं।
ये वस्तुयें हैं -1-मोती, 2-शुक्ति (सीपी), 3- शालग्राम, 4- शिवलिंग, 5-देवी मूर्ति, 6- शंख, 7-दीपक, 8-यन्त्र, 9-माणिक्य, 10-हीरा, 11- यज्ञसूत्र (यज्ञोपवीत), 12-फूल, 13-पुष्पमाला, 14- जपमाला, 15- पुस्तक, 16 -तुलसी दल, 17-कर्पूर,18-स्वर्ण, 19-गोरोचन, 20- चंदन, 21-शालग्राम का स्नान कराया अमृत जल ।
इन सभी वस्तुओं को किसी आधार पर रख तभी उस पर इनको स्थापित कर पूजित किया जाता है। पृथ्वी पर अक्षत, आसन, काष्ठ या पात्र रख कर इनको उस पर रखते हैं।
मुक्तां शुक्तिं हरेरर्चां शिवलिंगं शिवां तथा ।
शंखं प्रदीपं यन्त्रं च माणिक्यं हीरकं तथा ।।
यज्ञसूत्रं च पुष्पं च पुस्तकं तुलसीदलम् ।
जपमालां पुष्पमालां कर्पूरं च सुवर्णकम् ।।
गोरोचनं च चन्दनं च शालग्रामजलं तथा ।
एतान् वोढुमशक्ताहं क्लिष्टा च भगवन् शृणु।।
अतः इन इक्कीस वस्तुओं को सजगता पूर्वक किसी न किसी वस्तुके ऊपर रखना चाहिए। प्रायः दीपक को लोग अक्षत पुंज पर रखतेहैं। पुस्तक को टेबल या मेज पर रखते हैं। शालग्राम और देवी की मूर्ति को पीठिका पर रखते हैं।
शंख को त्रिपादी पर रखते हैं। स्वर्ण को डिब्बी में रखते हैं।
फूल, फूलमाला को पुष्पपात्र में तथा यग्योपवीत को किसी पत्र पर रखते हैं।
।। ॐ श्री हीँ श्री कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्री ह्रीँ कमले कमलालये नमो नमः ।।
आचार्य का परिचय
आचार्य डॉक्टर संतोष खंडूडी (धर्मज्ञ)
कारगी चौक चंद्र विहार देहरादून।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।