उद्धव ठाकरे या एकनाथ शिंदे, सुप्रीम कोर्ट का आज आएगा फैसला, नेताओं की बढ़ी धड़कन, जानिए पूरा मामला
आज गुरुवार की सुबह से राजनीतिक दलों के नेताओं की धड़कनें बढ़ी हुई है। खासकर महाराष्ट्र को लेकर। आज 11 मई को शिवसेना बनाम शिवसेना विवाद में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ फैसला सुनाएगी। इस केस में नौ दिनों की सुनवाई के बाद 16 मार्च को संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। संविधान पीठ ने उद्धव ठाकरे गुट, एकनाथ शिंदे गुट और राज्यपाल की दलीलें सुनी थीं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ फैसला सुनाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि बीते साल एकनाथ शिंदे गुट के बगावत के बाद शिवसेना दो गुटों में बंट गई थी। फ्लोर टेस्ट से पहले उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए बुलाया था। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। उद्धव ठाकरे गुट की ओर से 16 विधायकों की सदस्यता की वैधता को चुनौती दी गई थी, जिस पर आज फैसला आने वाला है। इस फैसले पर सभी की नजर है, क्योंकि इसका महाराष्ट्र की राजनीति पर दूर तक असर पड़ेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुप्रीम कोर्ट के सामने मुद्दा
सुप्रीम कोर्ट के सामने जो मुद्दे हैं, उनमें एक सबसे अहम राज्यपाल कोश्यारी के उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट का सामना करने के लिए दिए गए आदेश की वैधता पर है। तत्कालीन राज्यपाल कोश्यारी के फ्लोर टेस्ट का आदेश देने के अगले ही दिन उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसी के साथ राज्यपाल द्वारा शिंदे को सरकार बनाने के लिए कोश्यारी के निमंत्रण की वैधता पर भी सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा। इसमें यह देखा जाएगा कि क्या कोश्यारी के पास शिंदे को सरकार बनाने के लिए निमंत्रण देने का अधिकार था, खासतौर पर जब शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता की कार्यवाही तत्कालीन डिप्टी स्पीकर के समक्ष लंबित थी। अगर पांच जजों की संविधान पीठ राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक घोषित करती है, तो उसे एकनाथ शिंदे की सरकार की वैधता पर भी अपना फैसला सुनाना होगा। इस फैसले के साथ उद्धव ठाकरे का राजनीतिक भाग्य जुड़ा हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन सवालों पर आएगा फैसला
1. क्या सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट अयोग्यता पर फैसला ले सकते हैं?
2. अयोग्यता मामला लंबित रहते क्या MLA सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं?
3. अयोग्य करार देने पर लंबित रहने के दौरान MLA के सदन की कार्यवाही का क्या होगा?
4. पार्टी के चीफ व्हिप यानी मुख्य सचेतक की नियुक्ति कौन कर सकता है?
5. शिवसेना के तत्कालीन व्हिप को शिंदे कैंप ने विधायक दल ने हटाकर क्या सही किया?
6. क्या शिंदे कैंप के 40 MLA को दलबदल कानून के तहत दूसरी पार्टी में विलय करना चाहिए था?
7. क्या राज्यपाल ने एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने का निमंत्रण देकर गलती की?
8. क्या पद से हटाने के लंबित प्रस्ताव के बावजूद डिप्टी स्पीकर अयोग्यता पर विचार करने में सक्षम थे ? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विधायकों के अयोग्य ठहराने पर शिंदे को देना पड़ सकता है इस्तीफा
सुप्रीम कोर्ट को उद्धव ठाकरे गुट की उस याचिका पर फैसला देना है, जिसमें शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई है। इनमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट इन विधायकों की सदस्यता खत्म करता है तो ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री शिंदे को अपना इस्तीफा देना होगा। ऐसी स्थिति में महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। इसमें बहुमत के लिए 145 का जादुई आंकड़ा छूना जरूरी है। फडणवीस-शिंदे सरकार के पास 166 विधायक हैं, जबकि महा विकास आघाड़ी के पास 120 विधायक हैं। दो विधायक अन्य हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अगर फैसला शिंदे के पक्ष में गया तो
सुप्रीम कोर्ट का फैसला एकनाथ शिंदे के पक्ष में जाता है तो यह बड़ी राजनीतिक जीत होगी। इसके साथ ही वह राज्य में लंबी पारी की तरफ जाने वाले खिलाड़ी बन जाएंगे। यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट से मुहर लगने के बाद उन्हें शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के पार्टी के पारंपरिक मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने की कोशिश का मुकाबला करने में भी मदद मिलेगी। इससे मुंबई महानगरपालिका के चुनावों में शिंदे गुट की संभावनाओं को मजबूती मिलेगी। शिंदे के पक्ष में फैसला आने से एक बार फिर से उद्धव गुट से दलबदल का दौर शुरू हो सकता है।
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Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।