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April 16, 2025

चींटियां भी होती हैं नशेड़ी, नशे के चक्कर में हो जाती हैं बर्बाद, नशा सप्लायर का रखती हैं ख्याल, पढ़ें रोचक खबर

चींटी दुनिया की सबसे छोटी प्रजातियों में से एक है। ऊंचाई से गिरकर फिर चढ़ना चीटियों की आदत है। इंसान और चींटी ही ऐसी प्रजाति हैं जो भोजन इकठ्ठा करके रखते हैं। क्या आपको पता है कि चींटियों के कान भी नहीं होते, इसलिए वह सुन भी नहीं पातीं। ऐसे में वे पैरों की वाइब्रेशन और उसके आस-पास की तंत्रिकाओं से हलचल का पता लगाकर उसके अनुरूप ही काम करती हैं। चींटियां हमेशा एक लाइन में चलती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सब चीटियां एक तरल पदार्थ छोड़ती जाती हैं, जिससे पीछे वाली चींटी उसके पीछे चलती रहती है। इसी तरह चीटियों सा अद्भुत संसार है। हम आज इसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। बस आप खबर को पूरी पढ़िए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बेहद कमाल की होती है चीटियों की खासियत
सबसे आम और आसानी से पाए जाने वाले कीड़ों में चींटियां भी शामिल हैं। ये अक्सर हमें अपने घरों में या उसके आस-पास देखने को मिल जाती हैं। ये दिखने में बेहद छोटी होती हैं, लेकिन इनके अंदर जो खासियत है वह बेहद कमाल की हैं। चींटी अपने आप में कुदरत का बेहद खास क्रीचर है, जिसके बारे में जानकर आपको हैरानी होगी। ये बात हम सब जानते हैं कि चींटी बहुत मेहनती होती है। हैरान करने वाली बात ये है कि उसकी तुलना में उसका शरीर बहुत सारी कॉम्प्लिकेशंस से भरा रहता है। इस जीव के बारे में काफी चीजें बेहद अजीब हैं। आपने चींटियों को अक्सर एक साथ एक लाइन बनाकर चलते देखा होगा क्योंकि बेहद सामाजिक होती हैं। इन्हें कुनबे में ही रहना पसंद होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सीधी साधी चीटियों का भयानक रूप भी, बंटे होते हैं काम
चींटी को संसार का सबसे छोटा प्राणी माना जाता है, लेकिन इनकी अपनी कुछ विशेषताएं भी हैं। इनका अपना संचार अपने आप में कम विचित्र नहीं है। सीधी-सादी दिखने वाली इन चींटियों का भयानक रूप तब देखने को मिलता है, जब वह अपनी कॉलोनी की लड़ाई लड़ती हैं। ये इतने भायानक तरीके से लड़ती हैं, कि इसमें उनकी जान तक चली जाती है। ये भी मधुमक्खियों की ही तरह कॉलोनी में काफी व्यवस्थित ढंग से चलती हैं। यहां पर सभी के काम बंटे हुए होते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दिमाग में ढाई लाख मस्तिष्क कोशिकाएं, लेती हैं छोटी झपकियां
आपको जानकर हैरानी होगी कि छोटी सी दिखने वाली इन चींटियों के दिमाग में कुल ढाई लाख मस्तिष्क की कोशिकाएं पाई जाती हैं। इसी के सहारे वो अपना नन्हा सा दिमाग दिन-रात चलाती रहती हैं। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि उन्हें अपने शरीर और दिमाग को चार्ज करने के लिए सोने की जरूरत भी नहीं होती, बल्कि वह दिन में कई बार छोटी-छोटी झपकियां लेकर काम चलाती हैं। हर दिन ये लगभग 250 झपकियां लेती हैं, जो 1 मिनट से भी कम की होती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शरीर से 20 गुना वजन ढोने की क्षमता
एक और खास बात ये है कि चीटियां अपने छोटे से शरीर से 20 गुना अधिक वजन ढो सकती हैं। आपने भी कई बार उन्हें खाने के टुकड़े या किसी मरे जीव को सिर पर उठाकर ले जाते देखा होगा, जो उनके काफी बड़े होते हैं। वहीं कुछ चींटियों के पंख भी होते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि हर चींटियों की प्रजातियां पंख उगा सकती हैं, ये उनके ऊपर होता है। इसके अलावा चींटियों को ठंड पसंद नहीं है। इसलिए वे जाड़े में गायब हो जाती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चीटियों की किस्म
शायद आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि संसार के देशों में 15 हजार से भी अधिक किस्मों की अनोखी चींटियां पाई जाती हैं। रूस के साइबेरिया में आधा इंच लंबी उड़ने वाली नीले रंग की चींटियां पाई जाती हैं, जो कि अक्‍सर मीठे-मीठे फलों का रस चूसती रहती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नशे के पीछे कर देती हैं सब कुछ बर्बाद
अमेरिका के उत्तरी रेगिस्तान में काले रंग की ऐसी जहरीली चींटियां पाई जाती हैं जिनसे विष का निर्माण भी किया जाता है। दक्षिण अफ्रीका के जंगलों में फ्रेरिक्सी जाति की लाखों चींटियां अपने समूह में रहती हैं। दरअसल, ये नशाखोर होती हैं। ये नशे के पीछे अपना सब कुछ बरबाद कर लेती हैं। हां, इन चींटियों को ‘पियक्कड़’ नाम से भी जाना जाता है। इन पियक्कड़ चींटियों का नशा भी अजीब होता है। अफ्रीका की वादियों में गेबरिला नामक एकोडन नस्ल का कीड़ा पाया जाता है। यह लाल वर्ण का होता है तथा इसका शरीर बिलकुल चिकना होता है। चींटियां जब इसके बदन को काटती हैं, तो इसके बदन से एक तरह का सुगंधित द्रव झरना शुरू हो जाता है। इस सुगंधित द्रव में एक तरह का नशा होता है, जिसे ग्रहण कर चींटियां अपनी मस्ती में मस्त रहती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नशे का सप्लायर होता है खास मेहमान
ये चींटियां इस कीड़े को अपने बिल में खास मेहमान बनाकर रखती हैं। उसके खाने-खुराक की विशेष देखभाल करती हैं। यहां तक कि उसके बच्चों की भी देखरेख करती हैं। इस आदर-सत्कार के बदले ये कीड़ा चींटियों को जब भी आवश्यकता होती है, उनका प्रिय ‘ड्रिंक’ प्रदान करता है। यह मीठा नशीला द्रव इन चींटियों को पतन की ओर इस हद तक धकेलता है कि ये अपना रोजमर्रा के कार्य और स्वयं के अंडों, बच्चों की देखभाल का काम भी नजरअंदाज कर जाती हैं। अपना सारा समय वे कीड़े की सेवा व उसके आसपास ही डोलते रहने में व्यतीत कर देती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

यहां की चीटियां खून चूसकर करती हैं नशा
इसी तरह की सफेद चींटियां ऑस्ट्रेलिया के पर्वतों पर भी मिलती हैं, लेकिन ये जहरीले जीव-जंतुओं का खून चूसकर नशा किया करती हैं। मेडागास्कर में 3 इंच लंबी चींटियां घने जंगलों में वृक्षों की खोखल में पाई जाती हैं। ये किसी भी सोते हुए पक्षी पर एकसाथ हमला करती हैं, फिर उसके जिस्म का पूरा खून चूसकर ही दम भरती हैं। खून चूसने के उपरांत इन चींटियों को एक तरह का नशा चढ़ता है और ये अपने स्थान पर आकर 2-3 दिन तक बेहोश पड़ी रहती हैं। नशा उतरने पर ये पुन: नए शिकार की तलाश में चल पड़ती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

खड़े वृक्षों को कर जाती हैं चट
कोमारा द्वीप की चींटियां तो बड़ी खतरनाक होती हैं। ये जब अपने विशाल समूह में होती हैं, तो खड़े वृक्षों तक को चट कर जाती हैं। प्रकृति के लिए यह चींटी कैंसर का काम करती है। यहां के आदिवासी इन चींटियों के हमले से बचने के लिए बंदर पालकर रखते हैं, क्योंकि ये बंदर इन चींटियों को बड़े चाव से खाना पसंद करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गिरगिट की तरह भी बदलती हैं रंग, पारिस्थितिकी तंत्र में बेहद सहायक
अलास्का की खाड़ी के कोडिएक, एफोग्नक व शूयक द्वीपों में हरे रंग की चींटियां पाई जाती हैं। ये वृक्षों के पत्तों को चूसकर नशा करती हैं तथा अपने शरीर का रंग गिरगिट की भांति बदल लेती हैं। जैव विविधता के जानकारों का मानना है कि हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में चींटियां बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे मिट्टी के पोषक तत्वों का पुनर्चक्रण करती हैं और बीजों के प्रसार में मदद करती हैं। इस कारण से वे कीटों के सबसे बेहतरीन अध्ययन समूहों में से एक हैं। विशालकाय हाथी भी चींटियों से डरते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इन इलाकों में नहीं मिलती चीटियां
आप चींटियों को सामाजिक प्राणी भी कह सकते हैं क्योंकि वे हर जगह पाई जाती हैं, चाहे वह गांव हो या शहर, वे हमेशा कॉलोनियों में रहते हैं। चीटियां धरती पर लगभग हर जगह पाई जाती हैं. केवल अंटार्कटिका, ग्रीनलैंड, आइसलैंड और कुछ द्वीप राष्ट्रों में चींटियों के अस्तित्व का दावा नहीं किया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चींटियों के बारे में रोचक तथ्य
-चीटियां हाइमनोप्टेरा कीट समूह से संबंधित हैं, जिसमें ततैया (Wasps) और मधुमक्खियां भी शामिल हैं।
– नए शोध के अनुसार, पृथ्वी पर चींटियों की उत्पत्ति 140 से 168 मिलियन वर्ष पूर्व यानि जुरासिक काल के दौरान हुई थी।
-चींटियों की 12,000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से अधिकांश काले, भूरे या लाल रंग की होती हैं, लेकिन कुछ जगहों पर हरी चींटियां भी पाई जाती हैं।
-चीटियां निश्चित रूप से आकार में छोटी होती हैं, लेकिन वह बेहद बलवान होती हैं और उनमें अपने शरीर के वजन का 10 से 50 गुना भार उठाने की क्षमता होती है।
-अधिकांश प्रजातियां अपना घोंसला मिट्टी, पत्तों के कूड़े या सड़ने वाले पौधों में बनाती हैं।
-चीटियां सभी कीड़ों में सबसे लंबे समय तक जीवित रहती हैं, यह 30 साल तक जीवित रहती हैं।
-चींटी रानी 30 साल तक जीवित रह सकती है, और श्रमिक चीटियां 1 से 3 साल तक जीवित रहते हैं।
-चींटियों के कान नहीं होते हैं, लेकिन वे अपने पैरों के भीतर विशेष अंगों के माध्यम से कंपन ध्वनि का पता लगा सकते हैं।
– चींटियों के शरीर में फेफड़े (Lungs) नहीं पाए जाते हैं। उनके शरीर में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिनसे ऑक्सीजन प्रवेश करती है और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलती है।
-चींटियों के दो पेट होते हैं, इसलिए नहीं कि वे लालची होती हैं. वास्तव में, वे एक पेट में अपने लिए और दूसरे पेट में दूसरों के लिए भोजन जमा करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चीटियों का इस तरह होता है संसार
-चींटी अपने आकार के मामले में दुनिया के सबसे मजबूत जीवों में से एक है।
-चींटियां अक्सर झपकी लेती रहती हैं और बहुत आलसी भी होती हैं।
-चींटी की प्रजाति दुनिया के सबसे जहरीले कीट में से एक है।
-जब कॉलोनी की रानी की मृत्यु हो जाती है, तो कॉलोनी केवल कुछ महीनों तक ही जीवित रह सकती है।
-अब तक मिली चींटियों की सबसे बड़ी कॉलोनी 6000 किलोमीटर (3750 मील) चौड़ी थी।
– आपको जानकर हैरानी होगी कि चींटियां एक वर्ग मील में प्रति वर्ष अनुमानित 50 टन मिट्टी को स्थानांतरित करती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पानी के भीतर भी रह सकती हैं जीवित
-चीटियों की अधिकांश प्रजातियां पानी के भीतर लगभग 24 घंटे तक जीवित रह सकती हैं।
-फेफड़ों की कमी के कारण चींटियां पूरे दिन पानी के भीतर रह सकती हैं।
-वर्तमान में पृथ्वी पर लगभग 1,000,000,000,000,000 (10 क्वाड्रिलियन) चीटियां मौजूद हैं। एक स्रोत का अनुमान है कि दुनिया में लगभग एक चौथाई चीटियां हैं।
-वैज्ञानिकों का अनुमान है कि हर इंसान के लिए पृथ्वी पर कम से कम 15 लाख चींटियां हैं।
दुनिया में सबसे चतुर कीट, मरते दम तक नहीं मानती हार
-अगर दुनिया के सभी इंसानों का द्रव्यमान और दुनिया में सभी चींटियों का द्रव्यमान मापा दिया जाए, तो यह बराबर होगा।
-चीटियां आधिकारिक तौर पर दुनिया की सबसे चतुर कीट हैं. इनमें 250,000 मस्तिष्क कोशिकाएं होती हैं।
-बहुत से लोग मानते हैं कि चींटियों के खून का रंग नीला होता है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। चींटियों का खून पूरी तरह से रंगहीन होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

लड़ते हुए मरते दम तक नहीं मानती हार
-चीटियां लड़ाकू प्रवृत्ति की होती हैं। अगर उनमें लड़ाई होती है तो वे मरते दम तक हार नहीं मानते और लड़ते रहते हैं।
-मरने के बाद चींटियों के शरीर से ओलिक एसिड नामक रसायन निकलता है, जिससे अन्य चींटियों को पता चलता है कि वह चींटी मर चुकी है।
-यदि ओलिक एसिड किसी दूसरी चींटी पर पर छिड़का जाता है, तो अन्य चीटियां उसे भी मृत समझने लगती हैं।
-धरती पर इंसान और चींटियां ही दो ऐसे जीव हैं जो अपना भोजन जमा करके रखते हैं।
-एशियाई वीवर चींटी अपने भार से 100 गुना ज्यादा भार उठा सकती हैं।
-दुनिया के कई हिस्सों में इंसानों द्वारा चीटियों को लजीज व्यंजन के तौर पर खाया जाता है।
-शोधकर्ताओं ने पाया है कि कुछ अमेजोनियन चींटियां क्लोनिंग के माध्यम से प्रजनन करती हैं। यह बताया गया है कि रानी चींटियां बेटियां पैदा करने के लिए आनुवंशिक रूप से खुद की नकल करती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

ये भी हैं रोचक तथ्य
-फायर चींटियां (Fire ants) उत्तरी अमेरिका में प्रति वर्ष अनुमानित $5 बिलियन का नुकसान करती हैं।
-चींटियों की कुछ प्रजातियों के बिल जमीन में 2 फीट तक गहरे होते हैं।
-शरीर की संरचना और वजन के कारण चींटियों को ऊंची इमारत या हवाई जहाज से फेंकने पर भी चोट नहीं लगती है।
-दुनिया की सबसे छोटी चींटी दुनिया की सबसे बड़ी चींटी के दिमाग में फिट हो सकती है।
-फिरौन चींटी दुनिया की सबसे छोटी (2 मिमी) चींटी प्रजाति है।
-दुनिया की सबसे बड़ी चींटी टाइटेनोमिर्मा गिगेंटम प्रजाति की है, जिसके पंख 6 इंच के होते हैं। यह अब तक पाई जाने वाली सबसे बड़ी विशालकाय चींटी है, जो सबसे बड़ी मौजूदा विशालकाय चींटियों से भी बड़ी है।(खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सबसे खतरनाक बुलेट चींटी
-चींटी की एक प्रजाति है, जिसे आमतौर पर बुलेट चींटी के रूप में जाना जाता है, जिसका नाम इसके बेहद दर्दनाक डंक के कारण रखा गया है। उनके क्रिटर्स 1.6 इंच तक लंबे हो सकते हैं।
-बुलेट चींटी (Bullet Ant) का डंक किसी भी कीड़े में सबसे ज्यादा दर्द देने वाला होता है. इसके जहर से भरे डंक का असर 24 घंटे तक रह सकता है। इसकी तुलना आपकी उंगली को 240 वोल्ट के सॉकेट में डालने से की गई है। कहते हैं कि इसके काटने से बंदूक की गोली लगने की तरह का दर्द होताहै।
-ब्लैक गार्डन चींटी का जीवन काल (15 वर्ष) कुत्ते की तुलना में अधिक लंबा होता है।
-Guinness World Records के अनुसार, दुनिया की सबसे खतरनाक चींटी ऑस्ट्रेलियाई बुलडॉग चींटी (Bulldog Ant) है। माना जाता है कि इसके कारण 1936 से अब तक कम से कम 3 लोगों की मौत हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसे तैरती हैं पानी में
-अमेज़ॅन वर्षावन में पाई जाने वाली फायर चींटी अपने पैरों को आपस में जोड़कर एक बेड़े का आकार ले लेती है। यह तकनीक उन्हें नदियों में तैरने और जंगल में यात्रा करने में मदद करता है।
बनाती हैं गुलाम, चुराती हैं अंडे
–गुलाम बनाने वाली चींटियां भी होती हैं। जैसा कि उनके नाम का तात्पर्य है, जो दुश्मन प्रजातियों की अन्य चींटियों की कॉलोनियों से अंडे चुराती हैं और युवाओं को श्रमिक गुलाम बनाती हैं।
-मध्य और दक्षिण अमेरिका में बड़े जबड़े और दर्दनाक डंक वाली आर्मी चीटियां (पाई जाती हैं, जो बिलों में नहीं रहती हैं। ये चीटियां हमेशा चलती रहती हैं और अत्यधिक प्रभावी शिकारी होती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

क्या चीटियां देख सकती हैं
आपके मन में कभी न कभी यह सवाल जरूर आया होगा कि क्या चीटियों की आंखें होती हैं? दरअसल दोस्तों अधिकांश चींटियों की दो बड़ी यौजिक आंखें होती हैं। चीटियों की नजर सिर्फ 1-2 फीट तक ही देखने योग्य होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चींटियां अपनी आंखों का ज्यादा इस्तेमाल आसपास देखने के लिए नहीं करती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आंखों में होते हैं कई लेंस
अपने सिर पर बने दो एंटीना के माध्यम से, वे वस्तुओं को समझते हैं और उनका पता लगाते हैं, अपने घोंसले के साथी की पहचान करते हैं, और दुश्मनों तथा खतरों को भी महसूस करते हैं। इनकी आंखों में कई छोटे-छोटे लेंस होते हैं, जिसकी वजह से ये हर दिशा में एक साथ देख पाते हैं। वैसे तो कई चींटियां ऐसी होती हैं जो पूरी तरह से अंधी होती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चींटी का जीवन चक्र
अन्य सामाजिक कीड़ों (मधुमक्खियों, तितलियों, ततैया) की तरह चींटियों का जीवन काल चार चरणों में पूर्ण रूप से कायापलट से गुजरता है।
1- अंडा (egg)
2- लार्वा (larva)
3- प्यूपा (pupa)
4- वयस्क (adult) (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसे बनती हैं रानी चींटी
लार्वा अवस्था में इसे मिलने वाला पोषण और देखभाल इसके वयस्क रूप को निर्धारित करता है। जिन लार्वा को अच्छा भरण-पोषण मिलता है उनके पंख विकसित हो जाते हैं और वे रानी चींटियां बन जाती हैं। खाद्य स्रोतों की कमी के कारण पर्याप्त पोषण प्राप्त नहीं करने वाले लार्वा श्रमिक चींटियों में विकसित होते हैं, जिनके पंख नहीं होते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चींटियों के बस्ती के बारे में
-प्रजातियों के आधार पर, चींटियों की कॉलोनियों में सैकड़ों से लेकर लाखों चींटियां हो सकती हैं। चींटियों की कॉलोनी में 3 प्रकार की चीटियां होती हैं। रानी चींटी, मादा श्रमिक और नर चीटियां। रानी चींटी का आकार अन्य चींटियों से बड़ा होता है। रानी और नर चींटियों के पंख होते हैं, जबकि श्रमिक चींटियों के पंख नहीं होते। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

संभोग के बाद रानी चींटी के झड़ जाते हैं पंख
रानी चींटी, जिसका एकमात्र उद्देश्य प्रजनन करना और हजारों अंडे देने का होता है ताकि उनकी कॉलोनी मजबूत और शक्तिशाली बनी रहे। नर चींटी का मुख्य कार्य केवल रानी चींटी के साथ ही संभोग करना होता है। उसके बाद वे अधिक समय तक जीवित नहीं रहते। हांलाकि रानी अपनी संक्षिप्त संभोग अवधि के दौरान कई नर चीटियों के साथ संभोग कर सकती है, लेकिन वह फिर कभी संभोग नहीं करती। एक बार जब एक रानी चींटी सहती है, तो उसके पंख झड़ जाते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

श्रमिक चीटियों में ज्यादातर मादा
चींटियों की कॉलोनी में काम करने वाली ज्यादातर चींटियां श्रमिक चींटियां मादा होती हैं। ये सभी मादा चींटियां बांझ होती हैं और प्रजनन में कोई योगदान नहीं करती हैं। श्रमिक चीटियां घोंसले का निर्माण और मरम्मत करती हैं, भोजन की आपूर्ति करती हैं, लार्वा (युवा) की देखभाल करती हैं, और घोंसले को साफ रखती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तय करती हैं इतनी दूरी, रानी की मौत के बाद बाकी की भी मौत
मादा श्रमिक चीटियां अपने कालोनी से 200 मीटर तक की लंबी दूरी तय कर सकती हैं। यह एक छोटे से जीव के लिए एक लंबी दूरी है। रानी चींटी के मरने के बाद कॉलोनी की बाकी चींटियां ज्यादा दिन जीवित नहीं रहती हैं और कुछ ही महीनों में मर जाती हैं। जब कई चींटी कॉलोनियां एक बड़े क्षेत्र में एकजुट हो जाती हैं, तो वे एक सुपर कॉलोनी बनाती हैं, जिसमें 300 मिलियन तक चींटियां हो सकती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चींटियों का वैज्ञानिक नाम
चींटियों का वैज्ञानिक नाम Formicidae है। चींटियों के अध्ययन को Myrmecology के नाम से जाना जाता है। चीटियां सर्वाहारी (Omnivores) होती हैं, जिसका अर्थ है कि वे पेड़-पौधों और अन्य जीवों दोनों को खाती हैं। आपने देखा होगा कि चींटी को जहां भी कोई खाद्य पदार्थ मिलता है, वह उसके चारों ओर चिपक जाती है। वैसे चींटियां फल, पेड़-पौधों के बीज, मीठी चीजें खाती हैं और जानवरों का मांस भी खाती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

क्या चीटियां पानी पीती हैं
अन्य जीवों की तरह, चींटियों को जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन वे अन्य कीड़ों की तरह पानी के बड़े स्त्रोत पर निर्भर नहीं होती हैं। कई चीटियां अपने द्वारा खाए गए भोजन से पानी प्राप्त करती हैं। चींटियां समूह बनाकर जमीन के नीचे अपना घोंसला बनाकर एक जगह पर रहती हैं। सभी चीटियां एक साथ काम करती हैं, इसी कारण चींटियों को सामाजिक प्राणी कहा जाता है। जिस तरह इंसान समाज में रहकर अपना कामकाज करता है, उसी तरह चींटियां भी अपना काम करती हैं।
चींटी के काटने पर क्या करें
डंक वाली जगह को साबुन और पानी से धोएं, फिर उस जगह पर एंटीसेप्टिक लगाएं। अगर सूजन और जलन की समस्या ज्यादा हो तो तुरंत डॉक्टर से उपचार लेना चाहिए।

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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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