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November 16, 2024

राजस्थान में पायलट चले सिंधिया की राह, कांग्रेस चली पंजाब की राह, दोनों स्थिति में एक ही हश्र आता है नजर

एक तरफ कांग्रेस विपक्षी एकता का राग अलापकर आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात देने की बात कहती है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस अपना कुनबा बचाने में हर बार देरी कर देती है। युवाओं की उपेक्षा और उम्रदराज लोगों की महत्वकांक्षा ही कांग्रेस की नैया को डुबाती जा रही है। समय रहते कांग्रेस निर्णय नहीं करती और एक के बाद एक युवा दिग्गज बागी तेवर दिखाते हैं और फिर कांग्रेस से किनारा कर लेते हैं। पहले मध्य प्रदेश, फिर पंजाब दोनों ही जगह कांग्रेस के छत्रप आपस में भिड़े और कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी। इसी तरह गुजरात में युवा नेता हार्दिक पटेल की भी जब हाईकमान में सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने भी कांग्रेस ने किनारा कर लिया। अब सवाल ये उठता है कि क्या सचिन पायलट सिंधिया की राह चल पड़े हैं। वहीं, कांग्रेस विवाद निपटाने की बाजय क्या पंजाब की राह फिर से चल रही है। दोनों की स्थिति में कांग्रेस का एक ही हश्र नजर आ रहा है। यानि कि आगामी चुनावों में इसका खामियाजा सत्ता गंवाने से हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चुनाव में सात माह का वक्त, पायलट ने दिखाए तेवर
राजस्थान विधानसभा चुनाव में करीब सात महीने का वक्त बचा है, लेकिन इससे पहले ही प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है। भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर अपनी सरकार को आड़े हाथों लेने के बाद सचिन पायलट ने सीएम गहलोत के खिलाफ एक नई जंग छेड़ दी है। इसके बाद सियासी हल्कों में कई तरह के सवालों ने जन्म ले लिया है। कुछ लोगों ने ये भी सवाल किया है कि क्या सचिन पायलट ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर चल पड़े हैं।

फिर से छिड़ा घामासान
राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर सियासी घमासान छिड़ गया है। हमेशा की तरह इस बार भी सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ अपना मोर्चा खोला है। विधानसभा चुनाव से पहले पायलट बागी तेवर दिखा रहे हैं। पूर्व डिप्टी सीएम ने अपनी ही सरकार के खिलाफ 11 अप्रैल को अनशन करने का ऐलान कर दिया है। पायलट का कहना है कि वसुंधरा राजे सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई करने का हमने वादा किया था लेकिन मौजूदा सरकार ने अपने इस वादे को पूरा नहीं किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सिंधिया ने भी दी सड़क पर उतरने की चेतावनी
दरअसल, साल 2020 में मार्च के महीने में मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी ही कमलनाथ सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया था। उन्होंने कहा था जनता की मांगे पूरी नहीं होने पर वे सड़क पर उतरेंगे। इसके जवाब में कमलनाथ ने कहा था अगर उन्हें उतरना है तो उतर जाएं। इसके बाद से उनके पार्टी छोड़ने के कयास लगाए जा रहे थे। वहीं 10 मार्च 2020 की सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए और उनके समर्थक विधायकों के जरिये कमलनाथ सरकार गिर गई। इसके बाद मध्य प्रदेश में एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान की सरकार आ गई। वहीं, सिंधिया को राज्यसभा में भेजा गया और वह मंत्री बन गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

राजस्थान में विवाद नहीं सुलझा तो पंजाब जैसी हो सकती है हालत
पायलट के इस कदम से पार्टी आलाकमान सकते में है। जानकारों का मानना है कि राजस्थान में गहलोत-पायलट का विवाद यदि नहीं सुलझा तो आगामी चुनाव में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। कांग्रेस की हालत पंजाब जैसी हो सकती है जहां नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के विवाद एवं आपसी वर्चस्व की लड़ाई की वजह से पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा और सत्ता गंवानी पड़ी। पंजाब में कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण सिद्धू-कैप्टन के बीच चला सियासी विवाद रहा। हालांकि, राजस्थान के मामले में कांगेस आलाकमान हरकत में आ गया। पायलट की नाराजगी सामने आते ही पार्टी आलाकमान दोनों नेताओं को समझाने-बुझाने की बात कही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पायलट ने फूंका बगावत का बिगुल
वहीं अब राजस्थान में सचिन पायलट के सुर भी सरकार के खिलाफ कहीं न कहीं सिंधिया की तरह ही उठने लगे हैं। सचिन पायलट ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी ही सरकार पर भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगाए। साथ ही उन्होंने गहलोत सरकार के खिलाफ अनशन करने की भी चेतावनी दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सरकार ने मजबूती से नहीं की कार्रवाई
सचिन पायलट ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई नहीं की गई तो वह गहलोत सरकार के खिलाफ अनशन करेंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ खान घोटाले के साथ ही ललित मोदी कांड पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी सरकार ने मजबूती से एक्शन नहीं लिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पहले पार्टी के अंदर उठाना चाहिए था मुद्दा
वहीं गहलोत सरकार पर इस आरोप के बाद कांग्रेस हाईकमान नाराज है। राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सचिन पायलट पर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि इस तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस करना उचित नहीं है। पायलट को पहले पार्टी के अंदर इस मुद्दे को उठाना चाहिए था। रंधावा ने ये भी कहा कि मेरे प्रभारी बनने के बाद सचिन पायलट के साथ 20 बैठकें हुईं, लेकिन उन्होंने भ्रष्टाचार का मुद्दा नहीं उठाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गहलोत-सचिन का विवाद है पुराना
पायलट और गहलोत के बीच विवाद नया नहीं है। साल 2018 में सरकार बनने के बाद दोनों नेताओं के बीच सियासी लड़ाई एवं विवाद कई बार देखने को मिला है। राज्य में गहलोत और पायलट के अपने-अपने गुट हैं जो मौका मिलते ही एक-दूसरे को नीचा दिखाने एवं हमला बोलने में देरी नहीं करते। 2018 के विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर दोनों गुट में खींचतान नजर आई और इसके बाद सीएम पद को लेकर भी दोनों में गतिरोध दिखा। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन और गहलोत के बेटे की हार के बाद पायलट और गहलोत में तल्खी और बढ़ गई। दोनों नेता एक-दूसरे के खिलाफ ज्यादा हमलावर हुए और जुबानी जंग तेज हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

2020 में 18 विधायकों के साथ बागी हो गए पायलट
दोनों नेताओं के बीच तल्खी और आपसी वर्चस्व की जंग इतनी बढ़ गई कि साल 2020 में पायलट अपने खेमे के 18 विधायकों को लेकर बागी हो गए। कांग्रेस टूटने की कगार पर आ गई। पायलट के बागी तेवर अपनाने पर गहलोत ने कार्रवाई की। सीएम गहलोत ने पायलट को मंत्री पद से हटाते हुए बागी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया। इस दौरान अटकलें यह भी लगीं कि भाजपा और पायलट के बीच साठगांठ है और वह पायलट को अपना समर्थन दे सकती है। हालांकि, इन अफवाहों को खुद पायलट ने खारिज कर दिया। उन्होंने साफ कहा कि वह भाजपा के साथ नहीं जाएंगे। विधायकों की अयोग्यता का मामला राजस्थान हाई कोर्ट तक पहुंचा। बाद में कांग्रेस आलाकमान खासकर प्रियंका गांधी के दखल के बाद पायलट के सुर नरम पड़े और उन्होंने अपना बगावती तेवर छोड़ा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गहलोत ने पायलट को कहा था ‘गद्दार’
राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान भी दोनों नेताओं के बीच गुटबाजी एवं जुबानी हमले देखने को मिले। राहुल गांधी की यात्रा जब राजस्थान प्रवेश की तो दोनों नेताओं के बीच पोस्टर वार शुरू हो गया। 24 नवंबर को गहलोत ने पायलट को ‘गद्दार’ बता दिया और कहा कि उन्हें सीएम नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने पार्टी को धोखा दिया और गद्दारी की है। गहलोत ने आरोप लगाया कि पायलट भाजपा से मिले हुए थे और 2020 में उन्होंने अपनी ही सरकार गिराने की कोशिश की। गहलोत के इस बयान पर पायलट ने कहा कि ‘गद्दार’ कहे जाने पर उन्हें दुख हुआ। पायलट ने गहलोत को इस तरह के बयान न देने की सलाह दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

2018 में कांग्रेस की जीत में पायलट की भूमिका अहम
राजस्थान के 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस ने सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पायलट ने मुद्दों की लड़ाई लड़नी शुरू की। वह लोगों तक पहुंचे और उनके आवाज बने। प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने पार्टी को जन-जन से जोड़ने की कोशिश की। पायलट की यह मेहनत रंग लाई और 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 100 से ज्यादा सीटें जीतने में सफल हुई। 2013 के विस चुनाव में पार्टी महज 20 सीटों पर सिमट गई थी। कांग्रेस की इस बड़ी चुनावी सफलता का श्रेय सचिन पायलट को दिया गया। इस जीत के बाद यह माने जाने लगा कि सीएम पद पर ताजपोशी पायलट की होगी लेकिन सत्ता और सीएम पद की रेस में बाजी गहलोत ने मार ली। समझा जाता है कि दोनों नेताओं के बीच विवाद की मूल वजह पायलट को सीएम न बनाया जाना ही है।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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