अमेरिकी रिपोर्ट में भारत में मानवाधिकारों की स्थिति खराब, भारत की तीखी आलोचना, मनमानी गिरफ्तारी, असाधारण हत्याएं
अमेरिकी विदेश विभाग ने सोमवार 20 मार्च को मानवाधिकार के मुद्दे पर अपनी वार्षिक एनालिटिकल रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में उन्होंने (NCRB) के आंकडे जारी करते हुए भारत में हो रहे महत्वपूर्ण मानवाधिकार के मुद्दों और दुर्व्यहार के बारे में बताया है। भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो और मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर ये रिपोर्ट तैयार की गई है। अमेरिका की रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत में 2022 में ज्यूडिशयल कस्टडी में हत्या, प्रेस की स्वतंत्रता, धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाली हिंसा समेत मानवाधिकार उल्लंघन के कई घटनाएं सामने आई हैं। वहीं, भारत इन आरोपों का खंडन करता रहा है। भारत सरकार का कहना है कि उसकी नीतियों का लक्ष्य सभी समुदायों का विकास है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि 2014 में बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद से वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की सालाना रैंकिंग 140 से लुढ़क कर पिछले साल 150 पर आ गई थी, जो अब तक की उसकी सबसे खराब रैंकिंग है। एक्सेस नाउ नामक संस्था के मुताबिक इंटरनेट पर पाबंदी लगाने के मामले में भी भारत पांच साल से दुनिया का अव्वल देश बना हुआ है। पिछले साल ही अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा था कि भारत में कुछ सरकारी, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा किए जा रहे मानवाधिकार उल्लंघन पर उनकी सरकार नजर बनाए हुए है। इस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत में मानवाधिकारियों के उल्लंघनों पर चिंता
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की मानवाधिकारों पर सालाना रिपोर्ट में पहले भी भारत में उल्लंघनों पर चिंता जताई गई थी। इस साल की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार या इसके एजेंटों द्वारा गैर-न्यायिक हत्याएं की जा रही हैं, लोगों को यातनाएं दी जा रही हैं। पुलिस या जेल अधिकारियों द्वारा लोगों के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया जा रहा है। पत्रकारों और राजनीतिक विरोधियों को बेवजह गिरफ्तार किया जा रहा है और उन्हें जेल में परेशान किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बुलडोजरों का इस्तेमाल कर बनाया जा रहा निशाना
अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया कि नागरिक संगठनों ने इस बात पर चिंता जताई है कि केंद्र सरकार कई बार मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को हिरासत में लेने के लिए अनलॉफुल एक्टीविटीज प्रिवेंशन एक्ट (यूएपीए) का इस्तेमाल करती है। सोमवार को जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि भारत के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि बुलडोजरों का इस्तेमाल करके सरकार ऐसे मुसलमानों को निशाना बना रही है, जो उसकी नीतियों के आलोचक हैं। उनके घर और आजीविका के साधनों को बर्बाद किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा
मानवाधिकार संगठन कहते रहे हैं कि हाल के सालों में भारत में मानवाधिकारों की स्थिति काफी खराब हुई है। पिछले नौ साल में देश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और कई मानवाधिकार कार्यकर्ता आरोप लगाते हैं कि इस दौरान अल्पसंख्यकों व असहमतों को यातनाएं देने की घटनाएं बढ़ी हैं। मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि भारत सरकार की नीतियां और गतिविधियां मुस्लिम समुदाय के खिलाफ काम कर रही हैं। उसका कहना है कि भारत की हिंदुत्वादी सरकार ने 2014 में सत्ता संभालने के बाद से धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब कनाडा में जातिगत भेदभाव के खिलाफ मुहिम
इस आरोप के समर्थन में 2019 के नागरिकता कानून का उदाहरण दिया जाता है, जिसे संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने भी मूलभूत रूप से भेदभावपूर्ण बताया है। इस कानून के तहत भारत ने मुसलमानों को छोड़कर बाकी सभी धर्मों के ऐसे लोगों को अपने यहां नागरिकता देने का प्रावधान किया है, जिन्हें उसके पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यक होने के कारण यातनाएं झेलनी पड़ी हों। अन्य उदाहरणों में धर्म परिवर्तन विरोधी कानून और 2019 में भारतीय कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म किए जाने जैसी कार्रवाइयों का जिक्र किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लगातार खराब होती स्थिति
2022 में भारतीय अधिकारियों ने कई प्रदेशों में ऐसे लोगों के घर और दुकानें गिरा दीं, जो कथित तौर सत्ता विरोधी आंदोलनों में शामिल हुए। जिनके घर गिराए गए उनमें अधिकतर मुसलमान थे। आलोचक कहते हैं कि यह कार्रवाई देश के 20 करोड़ मुसलमानों को डराने के मकसद से की जा रही है। अधिकारी कहते हैं कि सारी कार्रवाई कानून के तहत की जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अमेरिकी संसद के लिए तैयार की जाती है ये रिपोर्ट
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के विभाग ने वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट जारी की है जो अमेरिकी संसद को दुनियाभर में हो रही मानवाधिकार की स्थिति के बारे में जानकारी देती है। इस सालाना रिपोर्ट में ईरान, उत्तर कोरिया और म्यांमार जैसे कई अन्य देशों के साथ रूस और चीन में भी बड़े पैमाने पर हुई मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं की आलोचना की गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सरकार में है जवाबदेही की कमी
इस रिपोर्ट के एक हिस्से में भारत वाले हिस्से में दावा किया गया है, सरकार के सभी स्तरों पर आधिकारिक भ्रष्टाचार के लिए जवाबदेही की कमी है, जिससे अपराधियों को समय पर सजा नहीं मिल पाती है। साथ ही इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कानून लागू करने में ढिलाई, प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों की कमी और बोझ से दबी और संसाधनों की कमी वाली अदालती व्यवस्था के कारण मामलों में कन्विक्शन रेट भी बहुत कम है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत ने पहले भी किया था खारिज
भारत ने इससे पहले भी अमेरिकी सरकार की इस तरह की रिपोर्ट्स को रिजेक्ट कर दिया था। भारत ने जोर दिया है कि भारत में सभी के अधिकारों की रक्षा के लिए अच्छी तरह से स्थापित लोकतंत्र की प्रथा को और मजबूत किए जाने की जरूरत है। अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया कि इंटरनेट पर रोक, शांतिपूर्ण तरीके से एकत्र होने पर पाबंदी, देश और विदेश के अतंरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों को प्रताड़ित किए जाने की भी घटनाएं हुईं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।