शिक्षक एवं कवि रामचंद्र नौटियाल की कविता-सृष्टि
सृष्टि
परमात्मा भी कितना सुन्दर
रचनाकार है ?
कितनी सुन्दर रची है
प्रभु तुमने सृष्टि!
जहां तक डालो दृष्टि
बस नजर आती है
तुम्हारी रची सृष्टि
कितने सुन्दर पहाड बनाये
कितने सुन्दर मैदान।
पेड बनाये
पौधे, नदी
तालाब और झरने
सागर बनाये
पर हम,
एक छोटी सी चीज बनाने
का गुरूर करते हैं,
कुछ करने का दम्भ
भरते हैं।
सबसे बुद्धिमान और श्रेष्ठ
मानव को बनाया
शायद इसी उम्मीद व
विश्वास के साथ कि
यह मानव
इस सृष्टि के साथ
छेडछाड न करेगा
पर आश्चर्य ?
मानव ने प्रकृति
और अन्य जीवों के
साथ अन्याय किया
पेड काटते चले गया
जंगल साफ करते,
बस्ती शहर बसाते गए
अन्य जीवों का हक छीना,
शायद प्रभु ने
एक बार भी यह
जरूर सोचा होगा
कि कहीं मानव
अपनी बुद्धि का
दुरुपयोग ना करें।
इसीलिए शायद
सभी जानवरों
और पेड पौधों को
पत्थर पहाड़ को
सबसे मजबूत और
इंसान को सबसे
कमजोर बनाया होगा।
कवि का परिचय
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं। वह गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन व सृजन कार्य शुरू कर दिया था। वह कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां देते रहते हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।