युवा कवयित्री अंजली चंद की कविता- डर और उम्मीद

डर उसके चले जाने का
उम्मीद उसके ठहर जाने की
डर उसे खो देने का
उम्मीद उसे ही पाने की
डर पापा के डांट का
उम्मीद माँ के लाड की
डर छोटे बच्चे रहने का
उम्मीद बड़े हो जाने की
डर ठहर जाने का
उम्मीद निरन्तरता की
डर बुरे वक़्त के आने का
उम्मीद अच्छे वक़्त के इंतजार की
डर बिगड़ते हालातों का
उम्मीद हर हाल में जीत की,
डर काल्पनिक प्रयास का
उम्मीद झलक वास्तविकता की,
जिंदगी संतुलित रहती है डर से,
और
जिंदगी संतुलित बनती है उम्मीद से..
कवयित्री का परिचय
नाम – अंजली चंद
पता – बिरिया, मझौला, खटीमा जिला उधम सिंह नगर, उत्तराखंड। पढ़ाई पूरी करने के बाद अब सरकारी नोकरी की तैयारी कर रही हैं।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।