नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट दो जनवरी को सुनाएगा फैसला

इससे पहले, 7 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद करने के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें। जस्टिस नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, आरबीआई के वकील और
याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी थीं और अपना फैसला सुरक्षित रखा था। (खबर जारी, अगले पैरे पर देखिए)
याचिकाकर्ताओं के वकीलों में वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और श्याम दीवान शामिल थे। शीर्ष अदालत ने पक्षकारों को 10 दिसंबर तक लिखित दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया था। पीठ ने कहा था कि मामले में दलीलें सुनी गईं। फैसला सुरक्षित रखा जाता है। भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के वकीलों को संबंधित रिकॉर्ड पेश करने का जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे पर देखिए)
गौरतलब है कि आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट चलन से बाहर कर दिए थे। इसे लेकर बडे़ बड़े दावे किए गए। सरकार ने नोटबंदी को मास्टरस्ट्रोक बताया था। इस मास्टरस्ट्रोक के 6 साल बाद सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नकदी 2016 की तुलना में 72 प्रतिशत अधिक है। देश को काले धन से मुक्त कराने के लिए नोटबंदी का वादा किया गया था। ऐसा भी नहीं हुआ। आंकड़े बता रहे हैं कि काला धन घटने के बजाय बढ़ गया है। नोटबंदी के पड़े असर के बाद करोड़ों लोगों को फैक्ट्रियों और सेवा क्षेत्रों से निकाल दिया गया। बड़े पैमाने पर छंटनी की गई। वहीं, आतंकवाद पर भी लगाम नहीं लग पाई।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।