एसजीआरआर के छात्र हेम चंद्र पंत को मिली पीएचडी की उपाधि, विधार्थियो को दी करियर की टिप्स

नार्डोस्टैचिस जटामांसी वेलेरियन परिवार का एक छोटा, बारहमासी, प्रकंद फूल वाला पौधा है। यह पाकिस्तान, नेपाल, तिब्बत, चीन और भारत के हिमालयी क्षेत्रों में 3500-5000 एएसआई के बीच बढ़ता है। यह आवश्यक सुगंधित एम्बर रंग का तेल का एक प्राकृतिक स्रोत है। प्राचीन काल से, पौधे के तेल का उपयोग इत्र, औषधि और धार्मिक संदर्भ में किया जाता रहा है। यह एक लुप्तप्राय आयुर्वेदिक चिकित्सा जड़ी बूटी है जिसका उपयोग प्राचीन काल से कई औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता रहा है। बाजार में यह जड़, तेल और पाउडर के रूप में मिलता है। नार्डोस्टैचिस जटामांसी अपने औषधीय मूल्यों के कारण आयुर्वेद और यूनानी में एक अत्यंत महत्वपूर्ण जड़ी बूटी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने तंत्रिका तंत्र के संबंध में इसकी प्रभावकारिता के लिए कई अध्ययन किए गए हैं। आयुर्वेद में, यह तनाव, मिर्गी, ऐंठन और हिस्टीरिया के खिलाफ अत्यंत लाभप्रद है। हेम ने अपना शोध डॉ एन जी श्रीवास्तव और डॉ हर्षवर्धन पंत के संयुक्त निर्देशन में पूरा किया। बहारी परीक्षक के रूप में एसजीवी यूनिवर्सिटी जयपुर राजस्थान से आये प्रो गौरव शर्मा ने शोध कार्य को उच्चकोटि का बताया। इस अवसर पर डीन रिसर्च प्रो लोकेश कुमार , डीन साइंस प्रो अरुण कुमार, डॉ राकेश रॉयल, डॉ मनीष कुमार, डॉ सौरभ गुलेरी, डॉ मंजूषा त्यागी, डॉ बृजमोहन सहित अनेक शोध छात्र व छात्राएं उपस्थित थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
छात्रों को दी करियर गाइडेंस की टिप्स
श्री गुरु राम राय पीजी कॉलेज देहरादून के करियर गाइडेंस एंड प्लेसमेंट सेल की ओर से स्नातक और स्नात्तकोत्तर के अंतिम वर्ष के विधार्थियो के लिये करियर गाइडेंस के लिये एक सेमिनार का आयोजन किया गया। आज के सेमिनार के मुख्य वक्ता वरुण भूटानी थे। भूटानी ने आईआईटी बीएचयू से ग्रेजुएट और आईआईएम कलकत्ता से एमबीए किया। वह कई देशो में नौकरी कर वापस भारत आए और अब छात्रों के बीच रोजगार की सम्भावना पर व्यख्यान दें रहें हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वरुण भूटानी ने ऑनलाइन रोजगार व विभिन्न कंपनी में कैसे नौकरी प्राप्त करें पर अनेक तरीके बताये। उन्होंने छात्र छात्राओं को अपनी रूचि के अनुसार ही जॉब का चयन करने को कहा हैं। इस अवसर पर प्राचार्या प्रो मधु डी सिंह, करियर गाइडेंस सेल के प्रभारी डॉ हर्षवर्धन पंत, डॉ राकेश ढोंडियाल, डॉ विवेक कुमार, डॉ अनुभव प्रताप सिंह, डॉ आनंद सिंह राणा, डॉ दीपाली सिंघल सहित अंतिम वर्ष के अनेक छात्र छात्राएं उपस्थित रहें।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।