Recent Posts

Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Recent Posts

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

December 13, 2025

ग्राफिक एरा में आर्ट ऑफ एकंरिंग पर कार्यशाला, व्हाट्सएप ने मीडिया पर खड़े कर दिए सवाल

मीडिया पर्सनल्टी व वरिष्ठ एंकर अनुराग मुस्कान ने कहा कि मीडिया में धारणाएं बदल गई हैं और स्पर्धा बढ़ गई है। व्हाट्सएप पर भरोसा नहीं किया जा सकता, यह अफवाहों के जरिये मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहा है। वरिष्ठ एंकर अनुराग मुस्कान आज देहरादून में ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में आर्ट ऑफ टीवी एंकरिंग विषय पर आयोजित कार्यशाला को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि मीडिया में धारणाएं बदलने के कारण अब लिबास और अंदाज भी बदल गए हैं। पहले एंकर के लिए यह धारणा होती थी कि उसे अच्छा दिखना चाहिए और आवाज बेहतरीन होनी चाहिए, लेकिन अब यह धारणा भी बदल गई है। स्पर्धा बढ़ने के कारण अब अपनी निजी जिंदगी के लिए समय निकालना भी मुश्किल हो गया है। कई पत्रकार तो यह भी नहीं जानते कि उनके बच्चे किस क्लास में पढ़ रहे हैं। व्हाट्सएप पर कहीं के फोटोग्राफ, कहीं के वीडियो और किसी और कंटेट के साथ डाली जाने वाली सूचनाएं अखबारों और टीवी पर न देखकर उन्हें सच मानने वाले लोग मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हैं। यह भी आज के दौर की एक चुनौती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि आज जिसके पास मोबाइल है वह पत्रकार है और उसके बनाये वीडियो मीडिया में जगह पा सकते हैं। इस वजह से रिपोर्टर के लिए कम्पटीशन भी बढ़ गया है। उन्होंने एंकरिंक के अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि पत्रकारों और एंकर को कई बार बिना कुछ खाये-पिये 18-18 घंटे तक लगातार काम करना पड़ता है और व्यवसाय की मांग यह है कि चेहरे पर हमेशा ताजगी – मुस्कान नजर आनी चाहिए। मुस्कान ने कहा कि टीवी लोगों के बैडरूम तक पहुंच रखता है। अच्छी एंकरिंग के लिए चीखने-चिल्लाने के बजाय सहज और सरल तरीके से बड़ी से बड़ी खबर दी जा सकती हैं। उन्होंने कई उदाहरण देते हुए बताया कि जोर से बोलने से बात का वजन नहीं बढ़ जाता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

मुस्कान ने कहा कि एक अच्छा एंकर कभी भी रिपोर्टर की खबर का क्रेडिट खुद नहीं लेता। एक अच्छे एंकर को अच्छा स्टोरी टेलर होना चाहिए और उसके चेहरे के भाव और बॉडी लेंग्वेज भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। रिपोर्टर और एंकर के बीच कॉर्डिनेशन होना भी आवश्यक है। एंकरिंग करने के लिए तत्काल निर्णय लेने की क्षमता विकसित करना भी बहुत जरूरी है। कई बार ऐसे हालात बन जाते हैं कि कुछ ही सेकेंड में सही फैसला न किया जाए, तो एंकर की प्रतिष्ठा खराब हो सकती है। ओटीटी के आने के बाद अब कई और बदलाव आने लगे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि आज मीडिया में क्रेडिबिल्टी की कमी आने लगी है। एंकर और रिपोर्टर को अपनी विश्वसनीयता पर ध्यान देना चाहिए। अभी मीडिया को गोल्डन एरा आना बाकी है। पहले पत्रकारिता बहुत अच्छी थी, लेकिन इसमें पैसे बहुत कम थे। आज पैसा है, लेकिन क्वालिटी में कमी आ गई है। श्री मुस्कान ने विश्वास जाहिर किया कि नई पीढ़ी कमियों को दूर करके पत्रकारिता का स्वर्णिम युग लाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि ग्राफिक एरा छात्र-छात्राओं को हीरे की तरह तराश कर तैयार कर रहा है, लेकिन इसके बाद चमक बिखेरने और स्पर्धाओं के बीच अपनी जगह बनाने के लिए मेहनत करने का काम छात्र-छात्राओं का है। अनुराग मुस्कान ने छात्र-छात्राओं के तमाम सवालों के जवाब दिए। इसके बाद टीवी के स्टार एंकर अनुराग मुस्कान के साथ सेल्फी लेने का एक लम्बा दौर चला। पत्रकारिता के विदेशी छात्र-छात्राएं भी उनके साथ सैल्फी लेते नजर आये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इससे पहले पत्रकारिता के प्रोफेसर व निदेशक इंफ्रा. डॉ सुभाष गुप्ता ने कहा कि एंकरिंग एक मजेदार कार्य है। इसके लिए केवल पढ़ना ही जरूरी नहीं है, बल्कि सच के साथ खड़े होने का जज्बा और प्रवाह के विपरीत तैरने का हौसला भी जरूरी है। पत्रकारिता विभागाध्यक्ष विक्रम रौतेला ने कहा कि मुस्कान देश के उन चुनिंदा एंकरों में हैं जिन्होंने अपनी लगन और परश्रम से विश्वसनीयता और लोकप्रियता हासिल की। क्रेडिबिल्टी हासिल करना आसान नहीं होता। उनके बेहतरीन वक्ता होने का ही प्रमाण है कि उनकी स्पीच के दौरान पूरे बड़े हॉल में कोई अपनी जगह से हिला भी नहीं, सब मंत्र मुग्ध से बैठे रहे। ऐसी स्थिति तक पहुंचने के लिए एंकर और पत्रकारों को बहुत ज्यादा अध्य़यन करना और दुनिया के साथ जुड़े रहना होता है। कार्यक्रम का संचालन डॉ हिमानी बिंजोला ने आज के हालात का सटीक विवरण देते हुए किया। कार्यशाला में डॉ ताहा सिद्दीकी, विदुषि नेगी, संदीप भट्ट, नवनीत गैरोला, आशीष शर्मा, विपुल तिवारी और राकेश ढौंढियाल भी शामिल हुए।

Bhanu Prakash

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *