उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय में सौ से अधिक कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर हाईकोर्ट की रोक

यह सब तदर्थ कर्मचारी हैं। बीते दिवस कोर्ट में इन कर्मचारियों की बर्खास्तगी को लेकर सुनवाई शुरू हुई थी, जो आज शनिवार को भी जारी रही। न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने इन कर्मचारियों को सुनवाई का मौका नहीं देने पर नाराजगी जताई थी और विधानसभा से इस बिंदु पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कोर्ट में विधानसभा सचिवालय का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता विजय भट्ट ने कहा कि हटाए गए लोगों की नियुक्ति बैकडोर से हुई। जिसमें मानकों का पालन नहीं हुआ। साथ ही इन्हें काम चलाऊ व्यवस्था के आधार पर रखा गया था। इसी व्यवस्था के आधार पर ही इन्हें नियमानुसार हटाया गया है। वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता देवीदत्त कामत, अवतार सिंह रावत व रविन्द्र बिष्ट ने कोर्ट को अवगत कराया कि विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा लोकहित को देखते हुए कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी। बर्खास्तगी आदेश में उन्हें किस आधार पर व किस कारण हटाया गया कहीं इसका उल्लेख नहीं किया गया। न ही कर्मचारियों का पक्ष हटाने से पहले सुना गया। जबकि हटाए गए कर्मचारी सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की भांति कार्य कर रहे थे। एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस तरह एक के बाद एक घोटाले होते रहे उजागर
गौरतलब है कि बेरोजगार संघ के प्रतिनिधिमंडल की ओर से सीएम को शिकायत की गई थी। उन्होंने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से चार और पांच दिसंबर 2021 को आयोजित स्नातक स्तर की परीक्षा में अनियमितता के संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंप कर कार्रवाई की मांग की थी। इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद डीजीपी अशोक कुमार ने भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर जांच एसटीएफ को सौंपी थी। परीक्षा में गड़बड़ी के मामले में सबसे पहले उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने छह युवकों को गिरफ्तार किया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मामले में एक आरोपी से 37.10 लाख रूपये कैश बरामद हुआ। जो उसके द्वारा विभिन्न छात्रों से लिया गया था। इस मामले में अब तक कुल 41 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसमें बीजेपी नेता भी शामिल है, जिसे पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। परीक्षा भर्ती मामले में अब तक कुल 94.79 लाख कैश बरामद किया है। इसी मामले में दो दर्जन से ज्यादा बैंक अकाउंट फ्रीज लिए जा चुके हैं। जिसमे करीब तीस लाख की राशि जमा है। साथ ही आयोग से सचिव संतोष बडोनी पहले पद से हटाया गया। फिर उन्हें निलंबित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके बाद अब हर दिन किसी ना किसी विभाग में भर्ती घोटाला उजागर हो रहा है। साथ ही पूर्व विधानसभा अध्यक्षों पर भी बैकडोर से नियुक्ति करने के आरोप लगे। वहीं, पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री पर भी ऐसे ही आरोप लग रहे हैं। ऐसे में अब मांग उठ रही है कि पूरे प्रकरणों की सीबीआइ से जांच कराई जाए, या फिर उच्च न्यायालय के सीटिंग जज की अध्यक्षता में गठित समिति से जांच हो। उधर, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने विधानसभाओं में हुई भर्तियों की जांच को कमेटी गठित कर दी थी। कमेटी की रिपोर्ट के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने बड़ा एक्शन लिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने विधानसभा में 480 में से 228 नियुक्तियां रद्द कर दी हैं। ये 2012 के बाद से की गई तदर्थ नियुक्तियां हैं। इनमें उपनल से की गई 22 भर्तियां भी रद्द कर दी गईं। इसके साथ ही उन्होंने सचिव मुकेश सिंघल को भी निलंबित कर दिया था। साथ ही कहा गया कि तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल की भूमिका की जांच की जाएगी। वहीं बताया गया कि 2012 से पहले हुई नियुक्ति पर विधिक जांच होगी। इसके बाद वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष पर भी अपने स्टाफ में उत्तराखंड से बाहरी लोगों को नियुक्ति देने के आरोप लगे। हालांकि ये नियुक्तियां उनके कार्यकाल तक ही रहेंगी।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।