युवा कवयित्री प्रीति चौहान की शानदार कविता-कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
मैं बीती बातों का जिक्र करू तो
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
वो साथ मे स्कूल जाना साथ मे घर आना
हाफ टाइम में गोल घेरे में बैठकर एक साथ टिफ़िन खाना
मैं बीती बातों को याद करू तो आँखे भर आती हैं
तो कुछ दोस्त बहुत याद आती हैं
मैं देर रात तक जागूँ
बीते पलों को याद करके तो
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
साथ रहकर बाते करते दिनभर
शाम होते होते कुछ बाते रह जाती थी
सपने सुनहरे सजाते खुद के लिए
साथ रहकर गगन मे तब उड़ने की चाहत थी
ऐसा होगा तो वैसा करेंगे
वैसा होगा तो ऐसा करेंगे
न जाने क्या क्या सोचते थे
कोई फिक्र नही थी आने वाले कल की
खुद में मस्त रहा करते थे
कुछ बाते थी फूलों जैसी
कुछ लहज़े थे खुशबू जैसे थे
मैं शहर ए-चमन में टहलु तो
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
अब न जाने कौन सी नगरी में
आबाद हैं जाकर मुद्दत से
सबकी ज़िन्दगी बदल गयी
एक नए सिरे मे ढ़ल गयी
मैं मुड़कर पीछे देखूं तो
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
किसी को अपने काम से फुरसत नही
तो किसी को दोस्तों की जरूरत नही
सारे यार ग़ुम से हो गये हैं
तू से तुम और तुम से आप हो गए
मैं गुजरे पल को सोचूँ तो
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
धीरे धीरे ज़िन्दगी यूँ ही कट जाती हैं
जीवन यादों की किताब बन जाती हैं
लौट कर बीते अफ़साने नही आते
फिर ज़िन्दगी मे दोस्त पुराने नही आते
जी लो इन पलों को हस के दोस्त
फिर लौटकर दोस्ती के जमाने नही आते
वो यार पुराने लौटकर नहीं आते
कवयित्री का परिचय
नाम-प्रीति चौहान
निवास-जाखन कैनाल रोड देहरादून, उत्तराखंड
छात्रा- बीए (द्वितीय वर्ष) एमकेपी पीजी कॉलेज देहरादून उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।