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June 27, 2025

विधानसभा भर्ती घोटाले में कांग्रेस के हमले का बीजेपी ने किया पलटवार, पूर्व कैबिनेट मंत्री की पत्नी का मुद्दा उठाकर डराया

वर्तमान में उत्तराखंड की बीजेपी सरकार पर विधानसभा में हुई भर्ती में घोटाले के आरोप लग रहे हैं। आरोप है कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने नियमों को ताक पर रखकर अपने चहेतों को नौकरी दे दी। वहीं, इसी तरह के आरोप बीजेपी भी कांग्रेस शासनकाल के दौरान तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल पर भी लगा रही है। इसी तरह यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाला सामने आने पर और इस मामले में 33 लोगों की गिरफ्तार के बाद कांग्रेस प्रदेश सरकार पर और अधिक हमलावर हो गई है। कांग्रेस ने अन्य विभागों में भी भर्ती में घोटाले के आरोप लगाए। साथ ही पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री पर भी सवाल खड़े किए हैं। अब बीजेपी भी कांग्रेस के हमलों को लेकर पलटवार की राजनीति में उतर आई है। बीजेपी के नेता कांग्रेस नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री की पत्नी के खिलाफ कोर्ट के आदेश के तहत कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। सरकार बीजेपी की, पुलिस बीजेपी की, पूरा प्रशासन और सरकारी अमला बीजेपी का। फिर ऐसा क्या हुआ कि बीजेपी को सरकार से कार्रवाई की मांग करते हुए इसका प्रेस नोट जारी करना पड़ा है। क्योंकि मांग का प्रेस नोट तब जारी किया जाता है, जब कोई विपक्ष में हो और प्रेस नोट के जरिये मांग उठाता है। अब सरकार खुद की होने के बाद सरकार से मांग करके प्रेस नोट जारी करने से साफ है कि कांग्रेस के हमलों के जवाब में बीजेपी ने कांग्रेस को डराने की राजनीति शुरू कर दी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भाजपा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी की पत्नी और चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप में हाई कोर्ट की ओर से कार्रवाई के आदेश पर शीघ्र अमल करने का सरकार से अनुरोध किया है। पार्टी प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जो देवभूमि की सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी माँ नन्दा देवी राजजात यात्रा प्रबंधन जैसे धार्मिक कार्यों में भी घोटाले करने से बाज नहीं आए, वही आज विधानसभा के सामने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का ढोंग कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भाजपा नेता सुरेश जोशी ने बयान जारी करते हुए कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता की पत्नी व चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष को नैनीताल हाई कोर्ट ने भी अपने पद का दुरुपयोग कर गंभीर भ्रष्टाचार करने का दोषी पाया है । उन्होने जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व में सरकार की ओर से की गयी जांच में भी स्पष्ट पाया गया था कि वर्ष 2012-13 की माँ नन्दा देवी राजजात यात्रा प्रबंधन के अंतर्गत रजनी भंडारी ने बतौर जिला पंचायत अध्यक्ष यात्रा मार्ग में पुल, पुलिया व सड़क निर्माण की टेंडर प्रक्रिया का उल्लंघन्न करते हुए अपने चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को करोड़ों के राजस्व की हानि पहुंचाने वाले इस प्रकरण में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी वाली दो सदस्यीय पीठ ने इसी वर्ष 19 जुलाई को सरकार को दो महीने के अंदर ज़िला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा की धार्मिक आस्था और प्रदेश की पहचान से जुड़े इस महत्वपूर्ण कार्य में भी जो लोग भ्रष्टाचार करने से नहीं डरते। ऐसे लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध उन्होने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होने अफसोस जताते हुए कहा कि पैर से सिर तक भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे ऐसे कांग्रेसी नेता विधानसभा के सामने धरने पर बैठे हुए। यदि गौर से इस धरने की तस्वीर को देखें तो इसमें आपको अधिकांशत सत्ता में रहते घपले घोटाले के आरोपों से गिरे हुए दागदार चेहरे दिखाई देंगे। वहां ऐसे भी शीर्ष नेता ईमानदारी के बड़े बड़े दावे कर रहे थे, जो बतौर सीएम रहते कैमरे पर प्रदेश को लूटने का पट्टा जारी करते नज़र आए। आज जहां एक और धामी सरकार भर्ती प्रकरणों को लेकर राज्य के इतिहास की सबसे बड़ी और निर्णायक जांच को अंजाम दे रही है, वहीं दूसरी और विधानसभा अध्यक्ष ने भी सीएम के अनुरोध पर विधानसभा में अब तक हुई सभी भर्तियों की जांच के आदेश दिये हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि आज जब प्रदेश की जनता भाजपा सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ इस जंग को लेकर प्रशंसा कर रही है। ऐसे में करप्शन का प्रयाय बनी कांग्रेस को इस विषय पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होने सलाह देते हुए कहा कि राज्य और केंद्र के कांग्रेस नेताओं को जनता में भ्रष्टाचार को लेकर भ्रम फैलाने में अपनी ताकत जाया करने के बजाय अपनी इस ताकत को हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट की अपनी अपनी पैरवी में लगाना चाहिए।

ये है प्रकरण
गौरतलब है कि बेरोजगार संघ के प्रतिनिधिमंडल की ओर से सीएम को शिकायत की गई थी। उन्होंने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से चार और पांच दिसंबर 2021 को आयोजित स्नातक स्तर की परीक्षा में अनियमितता के संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंप कर कार्रवाई की मांग की थी। इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद डीजीपी अशोक कुमार ने भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर जांच एसटीएफ को सौंपी थी। परीक्षा में गड़बड़ी के मामले में सबसे पहले उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने छह युवकों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में एक आरोपी से 37.10 लाख रूपये कैश बरामद हुआ। जो उसके द्वारा विभिन्न छात्रों से लिया गया था। इस मामले में अब तक कुल 33 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसमें बीजेपी नेता भी शामिल है, जिसे पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इसके बाद अब हर दिन किसी ना किसी विभाग में भर्ती घोटाला उजागर हो रहा है। साथ ही पूर्व विधानसभा अध्यक्षों पर भी बैकडोर से नियुक्ति करने के आरोप लगे। वहीं, पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री पर भी ऐसे ही आरोप लग रहे हैं। ऐसे में अब मांग उठ रही है कि पूरे प्रकरणों की सीबीआइ से जांच कराई जाए, या फिर उच्च न्यायालय के सीटिंग जज की अध्यक्षता में गठित समिति से जांच हो। उधर, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने विधानसभाओं में हुई भर्तियों की जांच को कमेटी गठित कर दी है। ये कमेटी एक माह में रिपोर्ट देगी।

Bhanu Prakash

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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