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December 17, 2024

धरने पर बैठे हैं यूकेडी कार्यकर्ता, सुध नहीं ले रही सरकार, ये तो लंबी लड़ाई है

उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों की जुबां में वैसे तो कई गीत रहते थे, लेकिन एक गीत- लड़ना है भाई ये तो लंबी लड़ाई है, ये भी अक्सर गाया जाता था। राज्य बनने के बाद उत्तराखंड के लोगों को अहसास भी हो गया कि जिस गीत को वे अपना राज्य हासिल करने के लिए गाते थे, उसकी प्रासंगिकता अभी समाप्त नहीं हुई। अभी तो लड़ाई जारी रहेगी। हालांकि ये लड़ाई अब युवाओं के रोजगार के सवार पर है। लोग सोशल मीडिया में ही लड़कर अपने धर्म और कर्म की पूरी कर रहे हैं। वहीं, उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के युवा कार्यकर्ताओं ने इस लड़ाई को सड़क तक पहुंचा दिया है। ये लड़ाई उत्तराखंड में हुई विभिन्न भर्तियों के घोटालों की जांच सीबीआइ से कराने की मांग को लेकर है। देहरादून में घंटाघर स्थित यूकेडी के नेता, पूर्व विधायक एवं उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रणेता स्व. इंद्रमणि बडोनी की प्रतिमा के समक्ष कार्यकर्ता धरने पर बैठे हैं। आज उक्रांद युवा प्रकोष्ठ के धरने का तीसरा दिन है। जो प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष देहरादून दीपक रावत के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ। वहीं, सरकार ने ना ही इनकी सुध ली है और ना ही सीबीआइ जांच की मांग को लेकर कोई निर्णय लेने की संभावना है। क्योंकि यदि सीबीआइ से जांच होती है और सीबीआइ ईमानदारी से जांच करती है तो ये जगजाहिर है कि इन घोटालों में ऐसे लोग चपेट में आ जाएंगे, जो अभी सफेदपोश बनकर लोगों के दुख दर्द की बात करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

धरने के दौरान युवा प्रकोष्ठ के निवर्तमान केंद्रीय अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि युवाओं के रोजगार पर डाका डालने वालो के खिलाफ इस लड़ाई में प्रदेश की समस्त जनता को एकजुट होना पड़ेगा। कहा कि नौकरी घोटाले में अभी तक जो आरोपी पकड़े गए हैं, वे सभी अलग अलग स्थानों से हैं। धामी सरकार छोटी छोटी मछलियों को पकड़ कर अपनी पीठ थपथपाने का कार्य कर रही है। यह राज्य के युवा एवं मूल निवासियों का अपमान है। बड़े मगरमच्छो को सलाखों के पीछे पहुचाने के लिए इसकी सीबीआइ से जांच कराई जानी चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बिष्ट ने कांग्रेस सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि उनके समय में दरोगा भर्ती घोटाला में भी पेपर लीक का मामला सामने आया था। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने परिवार के ही सगे संबंधियों को विधानसभा में बैकडोर के माध्यम से लगा दिया था। उसके बाद विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल ने अपने संबंधियों और चहेतों को विधानसभा मे नौकरी पर लगाया। विधानसभा लोकतंत्र का मंदिर होता है। इसकी कसम खाकर ये जनता की सेवा का वचन लेते हैं। उसी मंदिर में इनके द्वारा अपनी कसम की खुले आम धज्जिया उड़ाई जाती हैं। इसलिए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल का नैतिक कर्तव्य बनता है कि वे तत्काल अपने पद से स्तीफा दें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जिला कार्यकारी अध्यक्ष किरन रावत ने कहा कि पहाड़ के युवा जहां एक ओर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन विभाग में ही बड़े बड़े सफेदपोश और नकल माफियाओं की मिलीभगत से पहाड़ युवाओं के साथ छल किया जा रहा है। धामी सरकार की ओर से भृष्टाचार मुक्त राज्य की बात की जाती है, लेकिन धरातल पर सारे मंत्री इसमे संलिप्त है। इसलिए अभी तक किसी ने सीबीआइ जांच का समर्थन नहीं किया। दीपक मडवाल ने कहा कि प्रदेश के युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे है और बाहरी लोग नौकरशाहों के साथ मिलकर उत्तराखंड को लूटने का कार्य कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दल के वरिष्ठ सदस्य उत्तम रावत ने कहा कि जब तक वीडीओ, वीपीडीओ, सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा, सहकारी भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच नहीं होती तब तक राज्य का युवा अपने आपको ठगा सा महसूस करेगा। आज धरने पर बृज मोहन सजवाण, उत्तम रावत, प्रताप कुंवर, अशोक नेगी, उतरा पंत बहुगुणा, पंकज उनियाल, प्रीति थप्लियाल, सुनील ध्यानी, प्रमिला रावत, पंकज पोखरियाल, संयुक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष नीलम नेगी, राधा चौहान, नीलम, मुकेश कुंद्रा, श्याम रमोला, अंकेश भंडारी, विकास भट्ट, हिम्मत सिंह मेहर अनुराग पांडे, कमलेश नौटियाल, मनोज कांबोज, सच्चिदानंद तिवारी, रमेश चंद्र बडोनी, उमेश रावत, आजाद अली, मोहम्मद मुस्ताक, मोहन सिंह भंडारी, पीएस चौहान, प्रमिला चौहान, शहजाद अली, अनुराग पैन्यूली, प्रभादेवी, राधा चौहान, नीलम रावत, सचिन, ललित, टीकम राठौर, राजेश्वरी रावत आदि शामिल थे।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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