प्रकृति के सुकुमार कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल का जन्मदिन पर भावपूर्ण स्मरण, जनकवि डा.अतुल शर्मा ने कविता से अर्पित किए श्रद्धासुमन
चंद्रकुंवर जानते थे वह अधिक नहीं जी पाएंगे, लेकिन विवशता का यह भाव उन्होंने अपनी रचनाओं में नहीं आने दिया। उन्होंने अपने अल्पजीवन को प्रकृति का उपहार माना और कष्ट सहते हुए भी कविताओं के रूप में प्रकृति के ऋण से उऋण होने का प्रयास किया। वक्ताओं ने इस बात पर अफसोस जताया कि प्रकृति के इस चितेरे कवि को साहित्य जगत में वह स्थान नहीं मिला, जिसके वे वास्तविक हकदार थे। उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उन्हें जानने का प्रयास करें और उनकी कालजयी रचनाओं से भविष्य की पीढी़ को परिचित कराएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर प्रसिद्ध जनकवि डा.अतुल शर्मा ने प्रकृति के भावों को उजाकर करती अपनी कविताओं के माध्यम से चंद्रकुंवर बर्त्वाल को श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने कहा कि प्रकृति और चंद्रकुंवर एक-दूसरे के पर्याय हैं। हम प्रकृति के स्वरूप से छेड़छाड़ करने के बजाय, उसे अपने-अपने स्तर से संवारने का प्रयास करें। यही प्रकृति के इस सुकुमार कवि के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गोष्ठी में इस मौके पर उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी पहुंचे। उन्हें क्लब पदाधिकारियों ने क्लब की नवप्रकाशित डायरी भेंट की। उत्तराखंड पत्रकार यूनियन के महामंत्री हरीश जोशी, प्रेस क्लब की सृजन समिति के संयोजक दिनेश कुकरेती, वरिष्ठ पत्रकार शैलेंद्र सेमवाल, मसूरी प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष शूरवीर भंडारी, वरिष्ठ पत्रकार अजय राणा आदि ने विचार व्यक्त किए। संचालन प्रेस क्लब के महामंत्री ओपी बेंजवाल ने किया। इस मौके पर क्लब कार्यकारिणी सदस्य राजेश बड़थ्वाल व राजकिशोर तिवारी, पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष देवेंद्र नेगी, साहित्यकार रंजना शर्मा व रेखा शर्मा, केएस बिष्ट समेत काफी संख्या में क्लब के सदस्य मौजूद रहे। इससे पूर्व, महामंत्री ओपी बेंजवाल, संयुक्त मंत्री दिनेश कुकरेती व अन्य वरिष्ठ सदस्यों ने स्मृति चिह्न व क्लब की नवप्रकाशित डायरी भेंटकर जनकवि डा.अतुल शर्मा को सम्मानित किया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।