पांच महीने बाद भी पीआरडी जवानों को वेतन न देना सरकार की युवाओं के प्रति असंवेदनशीलताः धस्माना
दो साल तक कोविड काल में एसडीआरएफ में तैनात 62 पीआरडी जवानों के वेतन के मामले में राज्य सरकार की उदासीनता व लापरवाही गरीब अल्प वेतन भोगी पीआरडी जवानों पर भारी पड़ रही है। एक तो वेतन की मांग करने पर नाराज अधिकारियों ने उनको डयूटी से ही हटा दिया। साथ ही उन्हें अप्रैल से जुलाई तक का वेतन आज तक नहीं मिला। परेशान पीआरडी के जवान आज एक बार फिर उत्तराखंड कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना के पास अपनी पीड़ा लेकर पहुंचे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)इस मामले को धस्माना पीआरडी अधिकारियों से लेकर एसडीआरएफ, शाशन, मुख्य सचिव व मुख्यमंत्री के पास तक ले गए थे। आज एक बार फिर फोन पर अपर सचिव युवा कल्याण अभिनव कुमार से उन्होंने बात की और उनको पीआरडी के जवानों की समस्या याद दिलाई। अपर सचिव ने कहा कि वह मुख्यमंत्री धामी के साथ दिल्ली दौरे में हैं। वहां से वापस लौट आने पर प्रकरण को देखेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूर्यकांत धस्माना ने पीआरडी के इन 62 जवानों के मामले में सरकार की उदासीनता व लापरवाही पर कहा कि जो सरकार पीआरडी के 62 जवानों के हक के वेतन पर निर्णय नहीं ले पा रही है। वो हज़ारों की संख्या में अग्निपथ योजना से पैदा होने वाले बेरोजगार अग्निवीरों को क्या आश्वासन रोजगार का दे सकती हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी जब अधिकारियों की गैर जिम्मेदारी के कारण अल्प वेतन भोगी कर्मचारी जिनके घरों में चूल्हा जलना भी मुश्किल हो गया है, तो पूरे प्रदेश का निज़ाम कैसे चल रहा होगा इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




