धर्म के नाम पर जनता देती रहेगी वोट, महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दों पर होती रहेगी चोट, काले कपड़ों को राम मंदिर से जोड़ा
ये साफ है कि जब तक भारत में लोग धर्म के आधार पर बंटे रहेंगे और उनका वोट देने का पैमाना भी यही होगा तो तब तक जनता से जुड़े मुद्दे बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दे हाशिये में चले जाएंगे। यदि कोई ऐसे मुद्दे उठाएगा तो उसे भी धर्म से ही जोड़ दिया जाएगा। यहां तो ऐसा ही नजर आ रहा है। पांच अगस्त को कांग्रेस ने महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन किया। दिल्ली में कांग्रेस नेताओं ने काले कपड़े पहन रखे थे। वहीं, बीजेपी ने इसे राम मंदिर से जोड़ दिया। पहले गृह मंत्री अमित शाह फिर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे राम भक्तों का अपमान बताया है। इन नेताओं का कहना था कि आज के ही दिन राम मंदिर का शिलान्यास किया गया था। ऐसे में कांग्रेस ने इसी दिन को विरोध प्रदर्शन के लिए चुना। अब यदि आप पूरे साल भर देखो तो हर दिन कोई दिन विशेष होता है। ऐसे में राम मंदिर का अपमान की बात हजम नहीं होती। हां यदि कांग्रेस के प्रदर्शन में राम मंदिर को लेकर नारे लगते तब कहा जा सकता था कि राम भक्तों का अपमान किया गया है। खैर जब ऐसा कहकर वोट पक्के हो रहे हों तो फिर बीजेपी नेताओं के बयान में कोई दोष नहीं है। क्योंकि बीजेपी के ऐजेंडे में पहले राम मंदिर का निर्माण रहा, फिर कोर्ट से केस जीतने के बाद अब भव्य निर्माण है, जो चल भी रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)जनता को भी जनता से मुद्दों से नहीं मतलब
राजनीतिक दलों का धार्मिक मुद्दा तब तक जिंदा रहेगा, जब तक जनता इस मुद्दे को लेकर वोट करती रहेगी। आपस में बंटती रहेगी। भले ही बेरोजगारी और महंगाई से उसकी कमर टूट जाए। इससे उसे कोई लेना देना नहीं है। सांसदों को रेल में फ्री यात्रा है, लेकिन बुजुर्गों को टिकट में 50 फीसद की छूट खत्म कर दी गई। विधायकों और सांसदों को मोटी पेंशन भले ही मिलती रहे, लेकिन सेना में पेंशन ना देनी पड़े तो अग्निपथ योजना लाई गई। पुरानी पेंशन बहाली को लेकर कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन वोट भी वो वहीं देंगे, जिन्होंने पुरानी पेंशन बंद की। ऐसे में साफ है कि जनता को जनता के मुद्दों की बजाय अब हिंदू-मुस्लिम, धार्मिक मुद्दे ही ज्यादा पसंद हैं। ठीक उसी तरह जैसे श्रीलंका में धर्म के आधार पर चुनाव लड़े और जीते जाते रहे। अब वहां की दुर्गत देखकर भी भारत में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। यहां तो राष्ट्रभक्ति और देश द्रोह का सार्टीफिकेट बंट रहे हैं। जनता को चिंता है कि इसे लेने से कहीं चूक ना जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खुद करते रहे विरोध, अब मजाल है कोई करे
प्रदर्शन तो होते रहते हैं। चाहे केंद्र सरकार हो या फिर किसी प्रदेश की सरकार। विपक्षी दल सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन करते रहते हैं। अब स्थिति ये है कि प्रदर्शन करने वाले के बयान मीडिया तक शायद ही पहुंचे, लेकिन जिसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं, उनके बयान जरूर पहुंच जाते हैं। मसलन कांग्रेस का उत्तराखंड में प्रदर्शन होता है, लेकिन कांग्रेस की ओर से यहां प्रदर्शन का कोई प्रेस नोट जारी नहीं होता। इसके उलट बीजेपी के किसी नेता का बयान प्रदर्शन के विरोध में जारी हो जाता है। हालांकि, जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तब बीजेपी भी प्रदर्शन करती रही। वर्तमान में बीजेपी सांसद स्मृति ईरानी तो अक्सर महंगाई को लेकर सड़क पर धरने पर बैठ जाती थी। जब बीजेपी सत्ता में आई तो उसने सबसे पहले महंगाई के सपोर्टर तैयार करने शुरू किए। जो हर बार महंगाई बढ़ने को देश हित में जोड़ते हैं। ऐसे में मजाल है किसी की जो महंगाई का विरोध करे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कोस तो रहे हैं, लेकिन मन ही मन
एक किस्सा मैं अपने मोहल्ले का सुनाता हूं। मेरे भाई ने बताया कि मोहल्ले का एक दुकानदार पहले तक आनलाइन भुगतान को लेकर काफी उत्साहित रहता था। वह कहता था कि देश के लिए कितना बड़ा कदम उठाया गया है। सरकारें ऐसी ही होनी चाहिए। वह नगद भुगतान नहीं लेता था। उसे आनलाइन भुगतान ही करना पड़ता था। ऐसे में उसकी दुकान तक पांच रुपये का सामान तक खरीदने के लिए जब भी जाते तो मोबाइल भी साथ ले जाना पड़ता था। उसकी भक्ति अटूट थी। हो सकता है अब भी हो, लेकिन उसने आनलाइन पेमेंट लेना बंद कर दिया। परचून के इस छोटे मोहल्ले के दुकानदार की जगह एक दिन उसकी पत्नी दुकान में थी। ज्यादा पैसों का सामान खरीदने पर जैसे ही भाई ने मोबाइल निकाला तो उसने आनलाइन पेमेंट लेने से मना कर दिया। कारण पूछा तो उसने बताया कि जितना कमा रहे हैं, उससे ज्यादा टैक्स में निकल रहा है। हो सकता है वह अब भी ताली बजाने को तैयार रहेगा। क्योंकि वह व्यवस्थाओं को कोस तो रहा है, लेकिन मन ही मन। अब इसी बात को यदि विपक्ष का कोई व्यक्ति बोले तो शायद वो दुकानदार उसके चरित्र पर व्यक्तिगत हमले करने से भी नहीं चूकेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अमित शाह ने कांग्रेस पर साधा निशाना, कपड़ों को राम मंदिर से जोड़ा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महंगाई, बेरोजगारी और जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग को लेकर सरकार के खिलाफ काले कपड़े पहनकर किए गए प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है. शाह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है। जिस दिन राम मंदिर का शिलान्यास हुआ था, उसी दिन कांग्रेस नेताओं ने काले कपड़े पहनकर यह विरोध प्रदर्शन किया। शाह ने कहा कि कांग्रेस ने विरोध के लिए उस दिन को चुना और काले कपड़े पहने क्योंकि वे अपनी तुष्टिकरण की सियासत को बढ़ावा देने के लिए ‘कुटिल’ संदेश देना चाहते हैं क्योंकि इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम जन्मभूमि के निर्माण कार्य की नींव रखी थी। अमित शाह के इस बयान के बाद अब पूरे देश भर में ये बयान सर्कूलेट हो गए होंगे। जहां लोगों को पता नहीं होगा, वहां स्थानीय नेता अब इस बयान को सर्कूलेट करते रहेंगे। वहीं, विपक्षी दल प्रदर्शन करने के बाद अपने कर्तव्य की इतिश्री मान लेता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीएम योगी ने आगे बढ़ाया अमित शाह का बयान
यूपी के सीएम योगी ने आदित्यनाथ ने अमित शाह के बयान को आगे बढ़ाते हुए शुक्रवार को कहा था कि आज अयोध्या दिवस है। सैकड़ों वर्षों से हर भारतीय, आस्थावान भारतीय को इस दिवस का इंतजार था। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कार्य के शुभारंभ दिवस पर काले कपड़े में विरोध प्रदर्शन करना रामभक्तों का अपमान है। उच्चतम न्यायालय के फैसले से एक सर्वांनुमति बनी और अयोध्या में 5 अगस्त 2020 को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण का शुभारंभ हुआ। प्रात; काल से अयोध्या में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आकरके अपनी आस्था वहां व्यक्त कर रहे हैं। इस दिवस पर भारत की आस्था को अपमानित करने वाला कांग्रेस के नेताओं का आचरण अत्यंत निंदनीय है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीएम योगी ने आगे कहा कांग्रेस पार्टी कई दिनों से आंदोलन कर रही है अपने सामान्य कपड़ों में कर रही थी, सहमति-असहमित हो सकती है, लेकिन 5 अगस्त की तिथि जिस दिन श्रीराम मंदिर निर्माण कार्य के शुभारंभ दिन, अयोध्या दिवस के दिन, सुप्रीम कोर्ट के सम्मान दिवस के दिन, राम भक्तों को अपमान करने वाला कांग्रेस का यह आचरण एक बार फिर जगजाहिर हुआ है। उन्होंने कहा आज कांग्रेसियों ने काले कपड़े पहनकर जो प्रदर्शन किया है, यह रामभक्तों का अपमान है। अयोध्या दिवस का अपमान है, भारत के लोकतंत्र का अपमान है। हम कांग्रेस के इस कृत्य की निंदा करते हैं और कांग्रेस पार्टी जिस प्रकार का आचरण कर रही है मुझे लगता है कोई भी भारत का आस्थावान व्यक्ति कांग्रेस के इस आचरण का समर्थन नहीं कर सकता है। कांग्रेस पार्टी को इस आचरण के लिए देश से मांफी मांगनी चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस सांसदों ने काले कपड़े पहनकर किया था प्रदर्शन
गौरतलब है कि महंगाई और बेरोज़गारी के मुद्दे पर कांग्रेस सांसदों ने शुक्रवार को काले कपड़े पहनकर प्रदर्शन किया था। ऐसे प्रदर्शन दिल्ली से लेकर देशभर में पार्टी की ओर से किए गए। पार्टी ने संसद से राष्ट्रपति भवन तक जाने के लिए मार्च निकाला था। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भी मार्च में शामिल हुए थे, हालांकि मार्च को विजय चौक पर रोक दिया गया और सांसद वहीं धरने पर बैठ गए। इसके बाद पुलिस ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था, जिन्हें बाद में रिहा कर दिया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महंगाई और बेरोजगारी पर देशव्यापी हल्लाबोल शुरू करने से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स को संबोधित करते हुए कहा था कि मौजूदा दौर में हम लोकतंत्र की मौत देख रहे हैं। उन्होंने कहा था कि भारत ने लगभग एक सदी पहले जो कुछ भी ईंट-पत्थरों से बनाया था, वह आपकी आंखों के सामने नष्ट किया जा रहा है। जो कोई भी तानाशाही विचार के खिलाफ खड़ा होता है, उस निशाना बनाया जाता है, उन्हें जेल में डाल दिया जाता है, उन्हें गिरफ्तार किया जाता है और पीटा जाता है। कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि महंगाई हद से ज़्यादा बढ़ गई है, सरकार को कुछ करना पड़ेगा। हम इसके लिए ही आंदोलन कर रहे हैं।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




