मंकीपॉक्स ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित, दुनिया के 75 देशों में फैला, भारत में दो केस, जानिए बीमारी और लक्षण
कड़ी स्क्रीनिंग के निर्देश
बता दें कि केरल में मंकीपॉक्स का दूसरा मरीज मिलने के बाद से ही केंद्र सरकार पूरी तरह से सतर्क हो गई थी। केंद्र ने एयरपोर्ट-बंदरगाहों पर कड़ी स्क्रीनिंग का दिया निर्देश दिया था। ताकि वक्त रहने मंकीपॉक्स के मरीजों की पहचान कर उनका इलाज किया जा सके। साथ ही इनसे दूसरों में होने वाली बीमारी को रोका जा सके। वहीं राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सभी पांच हवाई अड्डों पर निगरानी बढ़ा दी थी। भारत में अभी तक मंकीपॉक्स के दो केस मिल चुके हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
केरल में दो केस
अभी तक देश में मंकीपॉक्स के दो केस सामने आ चुके हैं और दोनों केरल से हैं। दूसरे केसे के बारे में केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि 31 वर्षीय युवक पिछले सप्ताह दुबई से केरल आया था। बीमारी के लक्षण दिखने पर उसकी जांच की गई तो वह मंकीपॉक्स पॉजिटिव मिला। मंत्री ने कहा कि कन्नूर के रहने वाले युवक का परियाराम मेडिकल कॉलेज में उसका इलाज चल रहा था। बता दें कि पिछले हफ्ते कोल्लम जिले से मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि होने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों की सहायता के लिए पिछले सप्ताह केरल में एक उच्च स्तरीय बहुअनुशासनात्मक टीम भेजी थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मंकी पॉक्स क्या है
मंकी पॉक्स चिकन पॉक्स, स्माल पॉक्स यानी के चेचक वायरस जैसा ही है। कह लीजिये की पॉक्स वायरस का सबसे भयानक रूप है। इस वायरस को सबसे पहले साल 1970 में एक बंदर के शरीर में पाया गया था, जिसके बाद यह बंदरों से इंसानों में फ़ैल गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मंकी पॉक्स कैसे फैलता है
मंकी पॉक्स एक दुर्लभ वायरस है, लेकिन घातक है। यह कोई बुखार नहीं है, बल्कि संक्रमण है जैसे टोमेटो फीवर, कोरोना, राइनो फ्लू, बर्ड फ्लू आदि। जब कोई इंसान किसी ऐसे इंसान के संपर्क में आता है जो मंकी पॉक्स से संक्रमित है तो उसे भी मंकी पॉक्स का संक्रमण अपनी चपेट में ले लेता है। इतना ही नहीं बंदर, गिलहरी, कुत्ते, बिल्ली जैसे जानवरों में भी यह संक्रमण होता है, लेकिन उनके लिए यह वायरस नया नहीं है। कोई भी इंसान किसी संक्रमित जानवर के संपर्क में भी आए तो उसे मंकिपॉक्स हो जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक घातक वायरस है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स एक घातक वायरस है। यह संक्रमित के करीब जाने पर स्वास्थ्य इंसान को भी संक्रमित कर देता है। मंकी पॉक्स में कारण शरीर में होने वाले घाव से यह वायरस दूसरे इंसान के शरीर में आंख, नाक, मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शरीर पर उठने लगते हैं दाने
अगर किसी को मंकिपॉक्स हो जाता है तो उसके शरीर में दाने उगने लगते हैं, जो बाद में फूटने लगते हैं। खोपड़ी से लेकर तलवों तक यह बड़े-बड़े फफोलों की तरह फैल जाते हैं। संक्रमित व्यक्ति को चुभन, जलन, और खुजली होती है, खुजलाने पर और तकलीफ होती है, शरीर में रैशेज पड़ जाते हैं। उन फफोलों से खून का रिसाव होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मंकी पॉक्स के लक्षण
यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी UKHSA का कहना है कि मंकी पॉक्स के शुरुआती लक्षण, बुखार आना, सिर दर्द होना, थकान होना, स्किन में छोटे-छोटे दाने आना, मांसपेशियों से लेकर पूरे शरीर में दर्द होना, जी मिचलाना, थकान होना है। इसके बाद 7 से 21 दिनों तक शरीर में बड़े-बड़े घाव होने लगते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पुरुषों को जल्दी चपेट में लेता है मंकी पॉक्स
UKSHA का कहना है कि ब्रिटेन में जो अबतक मंकी पॉक्स के नए मामले मिले हैं, उनमे से ज्यादातर मरीज पुरुष हैं। उन पुरुषों में से ज़्यादातर समलैंगिक (Gay) हैं। बाकी वायरस किसी का जेंडर देखकर नहीं फैलता है, लेकिन मंकी पॉक्स ऐसा वायरस है जो पुरुषों को जल्दी अपनी चपेट में लेता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे हुआ मंकी पॉक्स वायरस का जन्म
साल 1970 में एक बंदर के शरीर में इस वायरस को पाया गया था। इसके बाद अफ्रीका के 10 देशों में यह महामारी की तरह फैलने लगा। अमरीका में मंकी पॉक्स का पहला केस 2003 में मिला था, जबकि 2017 में नाइजीरिया में इस वायरस ने आक्रामक रूप ले लिया। हजारों लोग इस संक्रमण से जूझे। इनमे 75 फीसद पुरुष थे। वहीं ब्रिटेन में सबसे पहला केस 2018 में मिला था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नौ फीसद है डेथ रेट
अमेरिका में हाल ही में इस साल का पहला मंकी पॉक्स केस सामने आया है। वहीं कनाडा, ब्रिटेन, पुर्तगाल, फ्रांस में अबतक सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं। इससे शरीर घावों से भर जाता है। यहां भी पूरा खेल इम्युनिटी का रहता है। एक रिपोर्ट के अनुसार मंकी पॉक्स का डेथ रेट 9 फीसद है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।