पानी में देर तक जिंदा रह सकता है कोरोना, कार्तिक पूर्णिमा के दिन नदी में स्नान करने से बचें, पढ़िए खबर
30 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का स्थान है। इस दिन गंगा सहित अन्य नदियों में स्नान का महत्व है। इस दिन स्नान करने से के साथ ही दीपदान, यज्ञ और ईश्वर की उपासना की जाती है। साथ ही इस दिन दान का भी महत्व है। इस बार देहरादून सहित उत्तराखंड के अधिकांश शहरों में कोरोना के मद्देनजर नदियों पर स्नान प्रतिबंधित है। फिर भी यदि कोई बहते या रुके जल में स्नान करने की सोच रहा हो तो इस खबर को जरूर पढ़ ले। फिर तय करे कि उसे कोरोना फैलाना है, या कोरोना से संक्रमित होना है। या फिर खुद को सुरक्षित रखना है। सबसे अच्छा उपाय तो ये है कि पानी की बाल्टी में गंगाजल की कुछ बूंदें डाल कर स्नान कर लिया जाए। ये भी गंगा स्नान के बराबर का पुण्य लाभ देगा। क्योंकि वैज्ञानिकों की राय है कि कोरोना का वायरस रुके और बहते पानी में भी जिंदा रहता है।
साफ पानी में सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर सकता है कोरोना
कोविड-19 वायरस को लेकर देश-दुनिया में हो रहे शोध के बीच विज्ञानियों का एक और मत सामने आया है। उनका मानना है कि यह वायरस बहते हुए और रुके हुए साफ पानी में भी लंबे समय तक जीवित रह सकता है। साथ ही सैकड़ों किलोमीटर का सफर भी तय कर सकता है। अलबत्ता, प्रदूषित जल में इस वायरस के सक्रिय रहने की संभावना कमजोर पड़ जाएगी।
विश्वभर के शोध में पता चला कि साफ पानी में जिंदा रह सकता है कोरोना
रुड़की स्थित राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (एनआइएच) के पर्यावरणीय जल विज्ञान प्रभाग के विज्ञानी डॉ. राजेश सिंह ने बताया कि एनआइएच ने इस पर अभी तक कोई शोध नहीं किया है। वहीं, विश्वभर में चल रहे शोध यह साबित कर रहे हैं कि कोरोना वायरस नदी के पानी में भी जिंदा रह सकता है। यदि कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति नदी अथवा तालाब में स्नान करेगा तो उसके जरिये वायरस पानी में आ सकता है। देश में विभिन्न पर्वों पर नदियों में होने वाले स्नान में हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। ऐसे में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
बहते हुए नदी के अंतिम छोर तक पहुंच सकता है कोरोना
डॉ. सिंह के मुताबिक इस वायरस के सफर की कोई सीमा नहीं है। अनुकूल परिस्थितियों में यह लंबे समय तक सक्रिय रहता है। यही नहीं, नदी के बहाव के साथ अंतिम छोर तक पहुंच सकता है। इस दौरान यह विकसित नहीं होगा, लेकिन सक्रिय रहेगा। मानव शरीर के संपर्क में आने पर यह अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देगा।
प्रदूषित पानी में जिंदा रहने की संभावना कम
दूसरी ओर, प्रदूषित पानी में वायरस के जिंदा रहने की संभावना कम रह जाती है। खासकर, जिन स्थानों पर नदी में बॉयो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर एक मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा होता है, तो वहां कोरोना वायरस के जिंदा रहने की संभावना क्षीण हो जाएंगी। जिस प्रकार साबुन अथवा सैनिटाइजर से हाथ धोने पर कोरोना वायरस को नष्ट हो जाता है, ठीक वैसे ही जहां पर प्रदूषित पानी में वायरस की सेल वॉल नष्ट हो जाती हैं।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।