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December 17, 2024

पर्वतारोहण अभियान दल को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना, पुस्तक का किया विमोचन

उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने मंगलवार को श्रीकंठ पर्वत पर्वतारोहण अभियान दल के सदस्यों को सुभाष रोड स्थित कैम्प कार्यालय से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने मंगलवार को श्रीकंठ पर्वत पर्वतारोहण अभियान दल के सदस्यों को सुभाष रोड स्थित कैम्प कार्यालय से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस पर्वतारोहण अभियान का उद्देश्य पौधरोपण, पॉलिथीन के उपयोग से बचने और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना है। इस अभियान से युवाओं को गाइड आदि क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों की जानकारी मिलेगी। दल अगले 20 दिनों तक उत्तरकाशी के श्रीकंठ पर्वत पर चढ़ाई करेगा।
उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) के सहयोग से इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन के नेतृत्व में आयोजित होने वाले इस पर्वतारोहण अभियान दल में गढ़वाल क्षेत्र के 12 युवक-युवतियां प्रतिभाग कर रहे हैं। दल के सदस्य उत्तरकाशी से 75 किलोमीटर की दूरी वाहन से तय करेंगे तत्पश्चात 03 दिन के ट्रेक को पूरा करते हुए श्रीकंठ पर्वत के बेस कैंप पहुंचेंगे। अगले 20 दिन में यह दल श्रीकंठ पर्वत पर चढ़ाई करेगा। इसी वर्ष सितंबर माह में कुमाऊं मंडल के युवक-युवतियों के लिए छोटा कैलाश पर्वत पर पर्वतारोहण अभियान आयोजित किया जाएगा।
पर्वतारोहण अभियान दल के सभी सदस्यों को बधाई व शुभकामनाएं देते हुए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखण्ड में साहसिक खेलों की अपार संभावनाएं हैं। निश्चित रूप से पर्वतारोहण अभियान दल इस क्षेत्र में रुचि रखने वाले युवाओं को प्रेरित करेगा और प्रदेश के युवा इस क्षेत्र में पर्यटन, रोजगार संबंधी जानकारी प्राप्‍त करने और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में प्रमुख भूमिका निभा सकेंगे। उन्होंने इस तरह के प्रयासों में सरकार द्वारा हर संभव सहयोग दिये जाने का भी आश्वासन दिया।
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि यूटीडीबी ने इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन के साथ मिलकर पहली बार पर्वतारोहण अभियान आयोजित किया है। इसके साथ ही यूटीडीबी की ओर से पर्वतारोहण दल को सहयोग राशि के तौर पर 01 लाख रुपये की धनराशि भी दी जा रही है। इसी साल सितंबर माह में कुमाऊं मंडल के युवक-युवतियों हेतु छोटा कैलाश पर्वत पर पर्वतारोहण अभियान आयोजित किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य पर्वतारोहण क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं में अत्‍यधिक निपुणता लाना और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने के अवसर प्रदान कराना है।

उन्होंने कहा कि आज के समय में बहुत जरूरी है कि हम स्वस्थ व फिट रहें। इसके लिए आवश्यक है कि साहसिक खेलों की गतिविधियों में हम प्रतिभाग करें। प्रदेश सरकार का प्रयास है कि उत्तराखण्ड को साहसिक पर्यटन और अच्छे पर्यावरण के लिए जाना जाए, हम इसके लिए लगातार काम कर रहे हैं।
यूटीडीबी के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (साहसिक विंग) कर्नल अश्विनी पुंडीर ने कहा कि राज्य में साहसिक पर्यटन को नई ऊंचाइयां प्रदान की जा सके। इसके लिए राजकीय सहायता देकर सरकार स्थानीय लोगों को सशक्त बना रही है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि पलायन को रोकने और ग्रामीण क्षेत्रों को पर्यटन के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है।
यूटीडीबी की ओर से नेहरु पर्वतारोहण संस्थान, उत्तरकाशी के सहयोग से हाई एल्टीट्यूड गाइड कोर्स भी आयोजित किया जा रहा है। बीते कुछ दिनों पहले ही यूटीडीबी की चयन समिति की ओर से प्रदेश के 30 युवक व युवतियों का चयन किया गया है, जिनका प्रशिक्षण नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में चल रहा है। वे सभी प्रतिभागी गंगोत्री से केदारनाथ तक का ट्रेक पूरा करेंगे।
इस अवसर पर इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन की अध्यक्ष हर्षवंती बिष्ट, यूटीडीबी की अपर निदेशक एवं कार्यालय अध्यक्ष पूनम चंद, साहसिक (भूमि विशेषज्ञ) रण‌वीर सिंह नेगी, पर्वतारोहण अभियान दल के ट्रैक लीडर दिगंबर सिंह चौहान और दल के तकनीकी विशेषज्ञ राजेंद्र नाथ समेत दल के सभी 12 सदस्य उपस्थित रहे।

पर्यटन मंत्री ने किया आत्मबोध पुस्तक का विमोचन
साहित्यकार रवींद्र सिंह रावत (रवि अकेला) की अन्तस्-सागम काव्य संग्रह पुस्तक आत्मबोध का विमोचन मंगलवार को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने किया। सुभाष रोड स्थित कैंप कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में पुस्तक का विमोचन करते हुए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि यह पुस्तक उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
शिव आराधक लेखक रविन्द्र सिंह रावत (रवि अकेला) जीवन के प्रारम्भ से ही भगवान शिव शंकर के आराधक रहे हैं। पूजा ही कर्म है के भाव से उन्होंने चिकित्सा विभाग में लंबे समय तक अपनी सेवाएं दी। रवि अकेला ने हिमालय की कई गुफाओं में निवास कर साधना की हैं। इसके अलावा कई सिद्ध सन्तों का सानिध्य भी इन्हें मिला। जिसके परिणाम स्वरूप इनके जीवन की रेखा शंकर आराधना के साथ चलती रही और इसी का परिणाम है कि इन्होंने अपने बोध को किताबों में उतारा है। इस मौके पर साहित्यकार योगंबर दत्त बड़थ्वाल सहित अन्य गणमान्य भी मौजूद रहे।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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