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November 10, 2024

विश्व प्रेस स्वतंत्रता के सूचकांक में 180 देशों में भारत का 150वां स्थान, आठ पायदान नीचे लुढ़का

प्रैस की आजादी की बात होती है तो यही प्रचारित किया जाता है कि भारत में मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। क्या ऐसा वास्तव में है। क्योंकि बोर्ड परीक्षाओं का पेपर लीक करने की खबर छापने पर यहां पत्रकारों को ही जेल में डाल दिया जा रहा हो।

प्रैस की आजादी की बात होती है तो यही प्रचारित किया जाता है कि भारत में मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। क्या ऐसा वास्तव में है। क्योंकि बोर्ड परीक्षाओं का पेपर लीक करने की खबर छापने पर यहां पत्रकारों को ही जेल में डाल दिया जा रहा हो। या फिर अन्य मामलों की रिपोर्टिंग को लेकर भी मीडिया के उत्पीड़न की खबरें बार बार पढ़ने को मिलती हैं। अब यदि प्रेस की आजादी को लेकर विश्व स्तर के सर्वे की बात करें तो भारत की स्थिति बेहद कमजोर है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत पिछले साल के 142वें स्थान से फिसलकर 150वें स्थान पर आ गया है। एक वैश्विक मीडिया निगरानीकर्ता की ओर से मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल को छोड़कर भारत के अन्य पड़ोसी देशों की रैंकिंग में भी गिरावट आई है। इसमें पाकिस्तान 157वें, श्रीलंका 146वें, बांग्लादेश 162वें और म्यांमार 176वें स्थान पर पहुंच गए हैं। ये रैंकिंग कुल 180 देशों की है। आरएसएफ 2022 विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक के अनुसार, नेपाल वैश्विक रैंकिंग में 76वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि पिछले साल उसे 106वें, पाकिस्तान को 145वें, श्रीलंका को 127वें, बांग्लादेश को 152वें और म्यांमार को 140वें स्थान पर रखा गया था।
इस साल नॉर्वे (प्रथम) डेनमार्क (दूसरे), स्वीडन (तीसरे) एस्टोनिया (चौथे) और फिनलैंड (पांचवें) स्थान पर है, जबकि उत्तर कोरिया 180 देशों और क्षेत्रों की सूची में सबसे नीचे है। रूस को इस रिपोर्ट में 155वें स्थान पर रखा गया है, जो पिछले साल 150वें स्थान से नीचे था। चीन दो पायदान ऊपर चढ़ते हुए 175वें स्थान पर आ गया। पिछले साल चीन 177वें स्थान पर था।
अंतरराष्ट्रीय गैर लाभकारी संगठन ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान में कहा कि विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और नौ अन्य मानवाधिकार संगठन भारतीय अधिकारियों से पत्रकारों और ऑनलाइन आलोचकों को उनके काम के लिए निशाना बनाना बंद करने का आग्रह करते हैं। बयान में आगे कहा गया कि विशेष रूप से, आतंकवाद और देशद्रोह कानूनों के तहत उन पर मुकदमा चलाना बंद कर देना चाहिए।
रिपोर्टर्स सेन्स फ्रंटियर्स (आरएसएफ) ने कहा कि कि भारतीय अधिकारियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करना चाहिए और आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के लिए, राजनीति से प्रेरित आरोपों में हिरासत में लिए गए किसी भी पत्रकार को रिहा कर देना चाहिए। साथ ही उन्हें निशाना बनाना तथा स्वतंत्र मीडिया का गला घोंटना बंद करना चाहिए। इसमें कहा गया है कि अधिकारियों की ओर से पत्रकारों को निशाना बनाने के साथ-साथ असहमति पर व्यापक कार्रवाई ने हिंदू राष्ट्रवादियों को ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों तरह से भारत सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को धमकाने, परेशान करने और दुर्व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
आरएसएफ 2022 विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत के तीन पत्रकार संगठनों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि नौकरी की असुरक्षा बढ़ी हैं। वहीं प्रेस की स्वतंत्रता पर हमलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। भारत ने इस संबंध में रैंकिंग में बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। इंडियन वुमंस प्रेस क्लब, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और प्रेस एसोसिएशन ने कहा कि पत्रकारों को मामूली कारणों से कठोर कानूनों के तहत कैद किया गया है और कुछ मौकों पर सोशल मीडिया मंच पर मौजूद कानून के स्वयंभू संरक्षकों से उन्हें जान को खतरे का सामना करना पड़ा है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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