Video: रोमानिया में सिंधिया को भारी पड़ी पीएम मोदी की तारीफ, मेयर ने फटकारा, बोले-व्यवस्था हमने की, आपने नहीं
रूस के यूक्रेन पर हमले के बीच सैकड़ों छात्र कई शहरों में फंस गए। इनको युद्धग्रस्त क्षेत्र से निकालने के लिए भारत सरकार ने हाथ खड़े कर दिए। पहले इन छात्रों से कहा गया कि जो जहां हैं, वहीं रहें। फिर बाद में एडवाइजरी जारी की गई कि सभी यूक्रेन खाली करें। चाहे पैदल ही क्यों ना निकलना पड़े। इस बीच गोलाबारी में एक छात्र की मौत हो चुकी है। वहीं, एक छात्र गोली लगने से घायल भी है। वहीं, छात्र अपनी जान को जोखिम में डालकर किसी तरह यूक्रेन के सीमावर्ती देशों में पहुंच रहे हैं। वहां से भारत सरकार इन छात्रों को स्वदेश पहुंचा रही है। अभी भी कई स्थानों पर भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। जिन्हें ये समझ ही नहीं आ रहा है कि वे किस तरह से बंकरों से बाहर निकलें।
राजनीतिक लाभ लेने की हो रही कोशिश
छात्रों को स्वदेश लाने के बाद भारत में बीजेपी इसका राजनीतिक लाभ लेने की भरपूर कोशिश कर रही है। भारत लौटने पर इन छात्रों को घर जाने से पहले मंत्रियों की ओर से भाषण पिलाए जा रहे हैं। वहीं, सोशल मीडिया में सरकार की वाहवाही को लेकर पोस्ट की जा रही हैं। हालांकि सच्चाई ये है कि ऐसे युद्ध के कई मौकों पर भारत विदेश में फंसे अपने नागरिकों को पहले भी स्वदेश लाता रहा है। तब इस तरह का राजनीतिक प्रचार किसी ने नहीं किया। खाड़ी युद्ध के दौरान तो पौने दो लाख भारतीय इराक से वापस लाए गए थे।
असहज हुए मंत्री सिंधिया
अब एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें रोमानिया के मेयर से डांट सुनकर सिंधिया को असहज होते देखा गया। सिंधिया रोमानिया के एक शहर में ठहराए गए भारतीय बच्चों से मिलने पहुंचे थे। यहां मौका मिलते ही उन्होंने मोदी सरकार का गुणगान करना शुरू कर दिया। इसके बाद सिंधिया की बात सुनकर वहां खड़े सिटी मेयर भड़क गए और सब के सामने मेयर ने सिंधिया को बुरी तरह लताड़ा।
मेयर ने टोटा और दिखाया आइना
मेयर ने सिंधिया को टोकते हुए कहा की आप ये बताएं कि यहां से कब जाएंगे। इन छात्रों के लिए यहां रहने और खाने की व्यवस्था हम कर रहे हैं, आप नहीं। आप ये सब बंद करो। शुरुआत में मेयर ने जब सिंधिया को टोका तो वह उत्तेजित होकर कहने लगे कि मुझे क्या बोलना है यह मैं तय करूंगा। सिंधिया के इसी बात पर मेयर भड़क गए और महाराज को फटकार लगाई। उधर मेयर का गुस्सा देख सिंधिया की टोन तत्काल बदल गई और कहने लगे कि मैं समझ रहा हूं। रोमानिया सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद। इसके बाद मेयर का गुस्सा थोड़ा कम हुआ और वे दूसरी तरफ चले गए।
When Raja Scindia tried to attempt familiar PR antics in Romania, the Romanian Mayor rebuked him and reminded him they are the ones who arranged for food & shelter. Students seen clapping. #OperationGanga pic.twitter.com/k6RSMkXJdw
— Rofl McAdams (@RoflGandhi_) March 3, 2022
एमपी कांग्रेस ने किया हमला
इसे लेकर एमपी कांग्रेस ने इस घटना को लेकर सिंधिया पर हमला किया है। भोपाल से विधायक पीसी शर्मा ने वीडियो शेयर कर लिखा कि- जब छपास की राजनीति हो तो ऐंसे शर्मनाक पल भी झेलने पड़ते हैं। दूसरे देशों में जाकर देश की गरिमा को ठेस पहुंचाते मोदी सरकार के मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, जब रोमानिया के मेयर ने उन्हें याद दिलाया कि बच्चों के खाने और रहने का बंदोबस्त हमने किया है, आपने नहीं। आप अपनी बात कीजिए।
इसी कड़ी में कांग्रेस नेता सलमान निजाम ने ट्वीट करते हुए कहा कि- जुमला भारत में काम करता है, विदेशों में नहीं। देखिए राहत शिविर में रोमानिया मेयर ने कैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया को पाठ पढ़ाया और कहा कि आप कब यहां से जाओगे। राहत शिविर में जगह और खाना हम दे रहे हैं, आप नहीं। छात्र तालियां भी बजा रहे हैं।
खाड़ी युद्ध के दौरान भी लाए गए थे पौने दो लाख भारतीय नागरिक
दो अगस्त 1990 को खाड़ी युद्ध शुरू होने के बाद वहां फंसे पौने दो लाख भारतीयों को सुरक्षित तत्कालीन सरकार ने निकाला था। इसके लिए विदेश मंत्री इंदर कुमार गुजराल, अतिरिक्त सचिव आईपी खोसला बग़दाद पहुंचे थे। जहां गुजराल की मुलाक़ात सद्दाम हुसैन से हुई। इस मुलाकात में सद्दाम हुसैन ने गुजराल को गले लगाया था और बातचीत बहुत अच्छी रही थी। इसके बाद सद्दाम ने भारतीयों के रेस्क्यू ऑपरेशन करने की इजाजत दे दी।
तब उस वक्त के भारत के दूतावास के कर्मचारी अपना दफ्तर बंद कर के भागे नही थे, बल्कि तब एम्बेसी के अधिकारी रोज वहां के लोकल बस प्रोवाइडर्स से संपर्क करते थे और रिफ्यूजीज को बसरा, बगदाद और अमान होते हुए 2000 किमी. दूर पहुंचाते थे। इस काम में हर रोज 80 बसें लगती थीं। एयर इंडिया की मदद से चलाया गया पोने दो लाख भारतीयों को निकालने का यह अभियान दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन माना जाता है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन के असली हीरो एयर इंडिया का चालक दल, एम्बेसी के कर्मचारी और राजनयिक थे। उस वक्त किसी नेता ने आज की तरह न तो फोटो खिंचवाई और न ही अपनी और सरकार की पीठ थपथपाई।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।