युवा कवयित्री प्रीति चौहान की कविता-अरे यार जिंदगी में परेशानियां तो सबकी होती है

अरे यार जिंदगी में परेशानियां तो सबकी होती है।
खुद की किस्मत पर रोना शामों- सुबह किस लिए
अरे यार जिंदगी में परेशानियां तो सबकी होती है।
गम-ए जिंदगी गैरो से ही मिली हो ये जरूरी नही
इसके पीछे अपनो की भी मेहरबानी होती है।
अब हीर-रांझा, लैला-मजनू जैसी दास्ताँ नही
मगर छोटी मोटी प्रेम कहानियां सबकी होती है।
कोई लाखो में एक ही बच पाता है हवादीसों से
वरना बर्बादी सबकी होती है।
कितने दिन ही रख लोगे तुम उसे अपनी कैद में
सुनो आजादी सबकी होती है।
हिज़्र अंधेरो से बदत्तर होती है
मगर हिज़्र के बाद रोशनी जरूर होती है।
दुश्मनों के शिकार से ही मारा नहीं जाता हर सख्श
कभी कभी इसमें दोस्तों की भी जिम्मेदारी होती है।
जो बोल नही पाती उस बात को बताने के लिए
कागज कलम की तैयारी होती है।
कवयित्री का परिचय
नाम-प्रीति चौहान
निवास-जाखन कैनाल रोड देहरादून, उत्तराखंड
छात्रा- बीए (तृतीय वर्ष) एमकेपी पीजी कॉलेज देहरादून उत्तराखंड।
Arey yaar jindagi mai pareshani sabki hoti hain bahut hi arthpurn kavita