भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पर किया पलटवार, मीडिया प्रभारी ने हरीश रावत पर कसा तंज

पीएम नरेंद्र मोदी के उत्तरखंडी टोपी पहनने पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गणेश गोदियाल के तंज पर पलटवार करते हुए भाजपा ने कहा कि राहुल को रुद्राक्ष तक न पहना पाने वाली कांग्रेस को मोदी का उत्तराखंड प्रेम हजम नहीं हो पा रहा है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा कि पीएम ने राष्ट्रीय पर्व पर यह टोपी पहनकर एक बार फिर उत्तराखंड से अपने जुड़ाव को प्रदर्शित करते हुए प्रत्येक राज्यवासी को भी गर्व से भर दिया है। गणतन्त्र दिवस के मौके पर मोदी का देवभूमि की इस पहचान को माथे पर सजाना असली उत्तराखंडियत को दर्शाता है।
सुरेश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड पीएम के दिल मे रहता है। फिर चाहे वो यहां के विकास की बात हो या संस्कृति और परंपराओं के सम्मान दिखाने की बात हो। उन्होने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि पीएम के ब्रह्मकमल टोपी पहनने पर आशंका जाहिर करने वालों को पहले बताना चाहिए उनके नेता राहुल गांधी ने देहारादून की रैली में रुद्राक्ष की माला को पहनने से क्यों इन्कार किया था। दरअसल उस समय राहुल ने ऐसा करके न केवल देवभूमि की सांस्कृतिक पहचान, बल्कि राज्य की मेहमान नमाजी को भी ठुकराकर उत्तराखंडियत का भी अपमान किया था। उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि राजनैतिक चश्मे से देखने की बजाय से अलग उत्तराखंडियत की बात करने वाले पूर्व सीएम हरीश रावत और अन्य कांग्रेसियों को प्रधानमंत्री के इस कदम की प्रशंसा करनी चाहिए। उनके इस कदम ने देश विदेश तक इस विशेष उत्तरखंडी टोपी के माध्यम से उत्तराखंडियत को प्रचारित करने का काम किया है।
हरीश रावत का सीट बदलना हार का एहसास
पूर्व सीएम हरीश रावत के अपनी सीट बदलने पर भाजपा ने कटाक्ष करते हुए कहा है कि खुद को उत्तराखंड की चाहत बताने वाले हरीश रावत का सीट बदलना साबित करता है कि उन्हे अपनी हार का एहसास हो गया है। पार्टी प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कहा कि जब कांग्रेस के स्वयंभू सीएम पद का चेहरा हरदा को ही हार के डर से सीट बदलनी पड़ रही है, तो स्पष्ट हो जाता है कि कांग्रेस में किसी को भी अपनी जीत का भरोसा नहीं है।
मनवीर चौहान ने कहा कि चुनावों में तय दिखाई दे रही हार से कॉंग्रेस में हड़कंप मचा हुआ है। तभी अपनी पहली और दूसरी सूची पर चंद दिन भी नहीं टिक पाये। तीसरी सूची में तीन उम्मीदवारों को बदलना पड़ा। उनके प्रदेश में सबसे बड़े चेहरे हरीश रावत स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि 16 सीटों पर वह लड़ाई में ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हरीश रावत को एहसास हो गया था कि उनका रामनगर में खुद उनके अपने ही उन्हे शिकस्त देने की ठान चुके है। तभी दो दिन बाद ही लालकुंआ भाग गए।





