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June 26, 2025

पद्म अवार्ड पर नया विवाद, पूर्व सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य ने ठुकराया, आजाद पर जयराम रमेश का कटाक्ष

पद्म अवार्ड के नामों के ऐलान के बाद नया विवाद पैदा हो गया है। पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य ने पद्म भूषण का सम्मान स्वीकार नहीं करने का ऐलान किया है।

पद्म अवार्ड के नामों के ऐलान के बाद नया विवाद पैदा हो गया है। पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य ने पद्म भूषण का सम्मान स्वीकार नहीं करने का ऐलान किया है। वहीं बुद्धदेब भट्टाचार्य के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देने के सहारे ही कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने पार्टी में अपने ही सहयोगी पर परोक्ष तौर पर निशाना साधा है। पद्म पुरस्कार को स्वीकार न करने के मामले बहुत कम ही सामने आते हैं, क्योंकि अवार्ड पाने वालों को पहले ही अनिवार्य तौर पर इसकी सूचना दी जाती है। उनके यह सम्मान स्वीकार किए जाने के बाद ही उनके नाम की घोषणा की जाती है।
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य की ओर से कहा गया है कि किसी ने भी उन्हें यह सम्मान दिए जाने के बारे में कोई सूचना नहीं दी। पीटीआई ने बुद्धदेब के हवाले से कहा है कि अगर सचमुच में उन्होंने मुझे पद्म भूषण देने की घोषणा की है तो मैं इसे अस्वीकार कर सकता हूं। उल्लेखनीय है कि पद्म पुरस्कारों की सूची में विपक्षी दल के नेता बुद्धदेब के साथ गुलाम नबी आजाद का भी नाम शामिल है। साथ ही यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को भी मरणोपरांत पद्म विभूषण दिए जाने का ऐलान किया गया है। माकपा सूत्रों के अनुसार यह भट्टाचार्य के साथ ही पार्टी का भी फैसला है। यूपी के के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत कल्याण सिंह और हेलीकॉप्टर दुर्घटना का शिकार हुए भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत को मंगलवार को मरणोपरांत पद्म विभूषण सम्मान दिए जाने की घोषणा की गई है।
बुद्धदेब वर्ष 2000 से 2011 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे हैं. वो जादवपुर विधानसभा क्षेत्र से लगातार 24 साल तक विधायक निर्वाचित हुए। वह माकपा के शीर्ष नीति निकाय पोलितब्यूरो के भी सदस्य रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस के बंगाल में जीत के पहले वो ही बंगाल के मुख्यमंत्री रहे। हालांकि सिंगुर और नंदीग्राम जैसे आंदोलन के कारण उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी।
जयराम रमेश के ट्विट से बवाल
वहीं बुद्धदेब और उनकी पार्टी सीपीएम के इस फैसले को लेकर जयराम रमेश का ट्वीट नया सियासी बवंडर खड़ा कर सकता है। उन्होंने लिखा-सही कदम उठाया, वो आजाद रहना चाहते हैं, न कि गुलाम। बुद्धदेब के साथ गुलाम नबी आजाद के नाम भी पद्म भूषण पाने वालों की सूची में है। दोनों को उनके सार्वजनिक क्षेत्र में योगदान के लिए यह पुरस्कार दिए जाने का ऐलान गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर किया गया है।आजाद की ओर से इस पूरे घटनाक्रम पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

उसके ठीक पहले ही जयराम रमेश ने पूर्व नौकरशाह पीएन हक्सर द्वारा सम्मान लौटाए जाने को लेकर एक किताब के अंश का भी उल्लेख किया। उन्होंने लिखा, जनवरी 1973 में हमारे देश के सबसे ताकतवर सिविल सेवक को बताया गया कि पीएमओ से उनकी विदाई के बाद उन्हें पद्म विभूषण दिया जा रहा है। इस पर पीएन हक्सर का जवाब यहां है, यह बेजोड़ और अनुकरण के योग्य है। हालांकि कांग्रेस के एक अन्य नेता शशि थरूर ने गुलाम नबी आजाद को यह सम्मान मिलने का स्वागत किया गया है।
गृह मंत्रालय के अधिकारियों का तर्क
बुद्धदेब भट्टाचार्य के मामले में गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी को पद्म भूषण दिए जाने के बारे में सूचित किया गया था और उन्होंने इसके लिए गृह मंत्रालय का आभार भी जताया था। पद्म पुरस्कारों का यह ऐलान यूपी समेत पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के ठीक पहले किया गया है। यूपी, पंजाब, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।

2008 के बाद दूसरे कांग्रेसी
वर्ष 2008 के बाद पद्म पुरस्कार पाने वाले गुलाम नबी आजाद दूसरे कांग्रेसी नेता हैं। तब प्रणब मुखर्जी को पद्म विभूषण से नवाजा गया था और तब वो यूपीए सरकार में मंत्री भी थे। वर्ष 2019 में मोदी सरकार के दौरान भारत रत्न सम्मान दिया गया। शशि थरूर ने लिखा, गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण से सम्मानित किए जाने पर बधाई। किसी की भी सार्वजनिक सेवा के योगदान को मान्यता मिला अच्छा है, फिर चाहे वो दूसरे पक्ष की सरकार द्वारा ही क्यों न हो।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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