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February 3, 2025

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मैदान छोड़ा, चुनाव न लड़ने को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा को लिखा ये पत्र, आप भी पढ़ें

उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लेटर बम से सबको चौंका दिया। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर चुनाव न लड़ने की इच्छा जाहिर की। सीएम पद से हटाने के बाद से ही पार्टी ने उन्हें साइडलाइन किया हुआ था। साथ ही ये भी तय नहीं था कि पार्टी उन्हें चुनाव लड़ाएगी या नहीं।

उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लेटर बम से सबको चौंका दिया। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर चुनाव न लड़ने की इच्छा जाहिर की। सीएम पद से हटाने के बाद से ही पार्टी ने उन्हें साइडलाइन किया हुआ था। साथ ही ये भी तय नहीं था कि पार्टी उन्हें चुनाव लड़ाएगी या नहीं।
पिछले साल मार्च माह में त्रिवेंद्र सिंह रावत को अचानक सीएम पद से हटाने का पार्टी नेतृत्व ने उस समय फैसला लिया, जब गैरसैंण में बजट सत्र चल रहा था। नौ मार्च को उन्होंने इस्तीफा दिया और पौड़ी सांसद तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया। उनके कार्यकाल भी ज्यादा दिन का नहीं रहा और दो जुलाई को उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा और पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड का सीएम बनाया गया। आखिरकार न तो त्रिवेंद्र सिंह रावत ये समझ पाए कि उन्हें पार्टी ने सीएम पद से क्यों हटाया और न ही उत्तराखंड की जनता को ही इस रहस्य का पता चल पाया। आखिर क्या कमी रह गई थी कि उन्हें सीएम पद से हटना पड़ा।
इसके बावजूद पार्टी ने भले ही उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी, लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार जनसंपर्क और पौधरोपण के साथ ही अन्य कार्यक्रमों के तहत अपनी राजनीतिक जमीन को सींचने में लगे रहे। अभी तक वह अपनी डोईवाला विधानसभा में सक्रिय नजर आ रहे थे। फिर अचानक उन्होंने 18 जनवरी को चुनाव न लड़ने की इच्छा जाहिर कर दी। सूत्र बताते हैं कि त्रिवेंद्र सिेंह रावत को पार्टी चुनाव लड़ाने के पक्ष में नहीं थी। ऐसे में उन्होंने खुद ही रास्ते से हटने में भलाई समझी। वहीं, सीएम रहने के दौरान उनका कई विधायकों से 36 का आंकड़ा रहा। इन विधायको की शिकायतों के चलते ही वे कमजोर पड़े और उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी। सीएम पद से कुर्सी गंवाने के बाद भी त्रिवेंद्र सिंह रावत का हरक सिंह रावत के साथ विवाद सार्वजनिक होते रहे।
हाल ही में हरक सिंह रावत के कांग्रेस में जाने की सुगबुहाट के चलते पार्टी ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित करने के साथ ही मंत्री पद से हटा दिया। वहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी अहसास हो गया कि अब चुनाव न लड़ने की पहले ही घोषणा करना बेहतर होगा। या यूं भी कहा जाए कि बीजेपी की ओर से तीन बार कराए गए सर्वे में उनकी रिपोर्ट कमजोर रही। ऐसे में त्रिवेंद्र ने खुद ही मैदान छोड़ने का निर्णय किया।
लिखा ये पत्र
पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे पत्र में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मुझे देवभूमि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने का अवसर मिला। ये मेरैा परम सौभाग्य है। मैने भी कोशिश की कि पवित्रता के साथ राज्यवासियों की समभाव सेवा करूं व पार्टी के संतुलित विकास की अवधारणा को पूर्ण करूं। साथ ही उन्होंने लिखा कि प्रधानमंत्री जी का भरपूर सहयोग व आशीर्वाद मुझे व प्रदेशवासियों को मिला, जो अभूतपूर्व था। मैं उनका हृदय की गहराइयों से धन्यवाद करना चाहता हूं।
त्रिवेंद्र सिंह रावत आगे लिखते हैं कि उत्तराखंड का व विशेषकर डोईवाला विधानसभा वासियों का ऋण तो कभी चुकाया ही नहीं जा सकता है। उनका भी धन्यवाद, कृतज्ञ भाव से करता हूं। डोईवाला विधानसभावासियों का आशीर्वाद आगे भी पार्टी को मिलता रहेगा। ऐसा मेरा विश्वास है।
इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत लिखते हैं कि-माननीय अध्यक्षजी विनम्र भाव से आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है। युवा नेतृत्व पुष्कर सिंह धामी के रूप में मिला है। बदली राजनीतिक परिस्थितियों में मुझे विधानसभा चुनाव 2022 नहीं लड़ना चाहिए। मैं अपने भावनाओं से पूर्व में ही अवगत करा चुका हूं। मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूं। वह आगे लिखते हैं कि राष्ट्रीय सचिव, उत्तराखंड प्रभारी, उत्तर प्रदेश लोकसाभा चुनाव 2014 में सहप्रभारी की जिम्मेदारी मैने निभाई है। महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश में चुनाव अभियानों में मैने काम किया है। वर्तमान में उत्तराखंड राज्य में चुनाव है। धामी के नेतृत्व में पुनः सरकार बने, उसके लिए पूरा समय लगाना चाहता हूं। अतः आपसे अनुरोध है कि मेरे चुनाव न लड़ने के अनुरोध को स्वीकार किया जाए। ताकि मैं संपूर्ण प्रयास सरकार बनाने के लिए लगा सकूं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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