धर्मसंसद में नरसंहार के आह्वान करने वालों के खिलाफ पुलिस ने की खानापूर्ति, अब नामचीन 76 वकीलों ने सीजेआइ को लिखा पत्र
हरिद्वार धर्म संसद में नफती भाषण के मामले में उत्तराखंड पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर खानापूर्ति कर दी। वहीं, इसे लेकर लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट के 76 नामचीन वकीलों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस एनवी रमना को चिट्ठी लिखी है।
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दिल्ली और हरिद्वार में हुई ऐसे धर्म संसद में जातीय नरसंहार का आह्नान तक किया गया था। पत्र में वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने कहा है कि पुलिस कार्रवाई न होने पर त्वरित न्यायिक हस्तक्षेप जरूरी हो जाता है, ऐसे में मौजूदा वक्त में ऐसी कार्रवाई बेहद आवश्यक हो जाती है। इस पत्र में दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, वृंदा ग्रोवर, सलमान खुर्शीद और पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज अंजना प्रकाश जैसे नामचीन वकीलों का भी नाम हैं।
पत्र के अनुसार, दिल्ली और हरिद्वार में हुई धर्म संसद में न केवल घृणित भाषण दिए गए, बल्कि एक समुदाय के नरसंहार की खुला आह्वान किया गया। वकीलों के पत्र में कहा गया है कि यह न केवल भारत की एकता और अखंडता के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि लाखों मुस्लिम नागरिकों की जिंदगी को खतरे में डालने का मामला है।
नरसंहार की ऐसी बातों और नफरती बयानबाजी को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी आलोचना की गई है।
चार दिन पहले एक पुलिस केस भी दर्ज किया गया है, लेकिन इसमें सिर्फ एक व्यक्ति को नामजद किया गया है। बाद में दो अन्य व्यक्तियों धर्म दास और साध्वी अन्नपूर्णा का नाम भी इसमें शामिल किया गया है। पुलिस ने सिर्फ मुकदमा दर्ज कर अपना फर्ज निभा लिया है। ठीक उसी तरह जैसे लखीमपुर खीरी के मामले में हुआ था। जब सुप्रीम कोर्ट की फटकार लगी तब ही पुलिस हरकत में आई। नफरती भाषों के मामले में उत्तराखंड पुलिस की यूपी पुलिस की राह चल रही है।
एक वीडियो में साध्वी अन्नापूर्ण (पूजा सुखन पांडे) यह कहते हुए दिख रही हैं कि-अगर आप उन्हें हटाना चाहते हैं तो उन्हें मार डालें… हमें ऐसे 100 लोग चाहिए जो उनके 20 लाख लोगों को मार सकें। हालांकि इतना सब होने के बावजूद ऐसे धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजकों और हेट स्पीच देने वालों ने साफ कहा है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।