आप की मुफ्त बिजली गारंटी योजना को हाईकोर्ट से मिली राहत, याचिका याचिका, निर्वाचन आयोग के पाले में गेंद
उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी की मुफ्त बिजली गारंटी योजना के खिलाफ दायर याचिका को हाईकोर्ट नैनीताल ने निस्तारित कर दिया। कोर्ट ने कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपना प्रत्यावेदन निर्वाचन आयोग के समक्ष देने का आदेश दिया।
उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी की मुफ्त बिजली गारंटी योजना के खिलाफ दायर याचिका को हाईकोर्ट नैनीताल ने निस्तारित कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपना प्रत्यावेदन निर्वाचन आयोग के समक्ष देने का आदेश दिया। यानी अब आप को हाईकोर्ट से राहत मिल गई और अब गेंद निर्वाचन आयोग के पाले में चली गई है।देश में आम आदमी पार्टी अपने चुनावी वायदों को गारंटी का नाम दे रही है। इसके तहत लोगों से संपर्क कर गारंटी कार्ड बांटे जा रहे हैं। दिल्ली के सीएम एवं आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की थी कि यदि उत्तराखंड में आप की सरकार बनी तो 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाएगी। घोषणा तक तो मामला ठीक था, लेकिन आप कार्यकर्ता घर घर जाकर लोगों को गारंटी कार्ड बांट रहे हैं। उनका रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं, जैसे सरकार करती है। इसे लेकर ही कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई और उसमें इसके तरीकों पर सवाल उठाए गए।
इससे पहले मंगलवार सात दिसंबर को न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एकलपीठ में देहरादून के विकासनगर निवासी व उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य संजय जैन की याचिका पर सुनवाई हुई थी। आज फिर इस याचिका में सुनवाई हुई। याचिका में कहा है कि आम आदमी पार्टी के कर्नल अजय कोठियाल द्वारा उत्तराखंड की जनता को उनकी सरकार आने पर फ्री में 300 यूनिट बिजली देने का केजरीवाल मुफ्त बिजली गारंटी कार्ड बांटा जा रहा है। इसमे शर्त रखी है कि पहले उन्हें पार्टी द्वारा जारी मोबाइल नम्बर पर मिस्ड कॉल करना है, फिर उन्हें 300 यूनिट बिजली का गारंटी कार्ड जारी किया जा रहा है। यह कार्ड सदस्यों को संभाल के रखना है, तभी उनको सरकार बनने पर 300 यूनिट बिजली फ्री में दी जाएगी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि आप पार्टी द्वारा लिखित में रजिस्ट्रेशन कराना पूरी तरह असंवैधानिक है। आम आदमी पार्टी द्वारा 300 यूनिट फ्री में देने का कोई लिखित पत्र सरकार को नहीं दिया, न ही इनकी सरकार है। साथ ही उन्हें सरकार ने भी इसकी कोई अनुमति नहीं दी। फिर वे किस हैसियत से लोगों से गारंटी कार्ड भरवा रहे हैं। इस तरह के गारंटी कार्ड भराना लोक प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 123 के विरुद्ध है। यह कृत्य भृष्ट आचरण की श्रेणी में आता है।
याचिकर्ता ने कहा कि यह आचरण जनता को गुमराह करने वाला है, इस पर आदर्श आचार संहिता के अंतगर्त रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में आदर्श आचार संहिता कमीशन बनाने के आदेश दिए थे। याचिकाकर्ता यह भी कहना है कि वह इसका विरोध नहीं करते है, लेकिन बिना सरकार के गारंटी कार्ड देना जनता के साथ धोखा है। यह तो सरकार का काम है। याचिका में केंद्रीय निर्वाचन चुनाव आयोग, राज्य निर्वाचन आयोग, आम आदमी के अजय कोठियाल को पक्षकार बनाया था।




