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April 18, 2025

लखीमपुर हिंसा केसः स्टेटस रिपोर्ट में देरी पर यूपी सरकार से सुप्रीम कोर्ट नाराज, सुनवाई टालने के आग्रह को ठुकराया

यूपी के लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा के मामले की अदालत की निगरानी में जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई।

यूपी के लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा के मामले की अदालत की निगरानी में जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। इसकी सुनवाई सीजेआइ एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ कर रही है। यूपी सरकार की तरफ से हरीश साल्वे ने कहा कि हमने सील कवर में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। इस पर सीजेआइ ने यूपी सरकार पर नाराजगी जताई। सीजेआई ने कहा कि आपकी स्टेट्स रिपोर्ट हमें अभी मिली है। आपको कम से कम 1 दिन पहले फाइल करनी चाहिए। हरीश साल्वे ने कहा कि आप मामले की सुनवाई शुक्रवार तक टाल दीजिए। कोर्ट ने यूपी सरकार की ये मांग ठुकरा दी। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हम कल रात एक बजे तक इंतजार करते रहे कि कुछ मैटेरियल मिले। आखिरी क्षणों में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की गई।
सुनवाई के दौरान सीजेआइ ने यूपी सरकार से पूछा कि आपने 44 लोगों की गवाही ली है, बाकी की क्यों नहीं। साल्वे ने इस पर जवाब दिया कि फिलहाल प्रक्रिया चल रही है। साल्वे ने कहा कि दो अपराध हैं। एक मामला किसानों पर गाड़ी चढ़ाने का और दूसरा लिंचिंग का। पहले मामले में दस लोग गिरफ्तार किए गए हैं। सीजेआइ ने पूछा कि कितने लोग न्यायिक हिरासत और कितने पुलिस हिरासत में हैं ? यूपी सरकार की ओर से बताया गया है कि 4 आरोपी पुलिस हिरासत में हैं और 6 आरोपी पहले पुलिस हिरासत में थे अब न्यायिक हिरासत में हैं।
कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि बाकी आरोपी जो इस समय न्यायिक हिरासत में हैं, क्या उनकी पुलिस हिरासत की जरूरत नहीं है? यूपी सरकार ने कहा कि 70 से ज्यादा वीडियो मिले हैं। यूपी सरकार ने कहा कि क्राइम सीन को रिक्रिएशन ही चुकी है। उनसे पूछताछ भी हो चुकी है। कोर्ट ने पूछा कि पीड़ितों के मजिस्ट्रेट के सामने 164 के बयान का क्या हुआ। आप पुलिस से कहिए कि जल्द से जल्द 164 यानी मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराएं। सीजेआइ ने कि गवाहों की सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है। इस मामले में अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को होगी।
बता दें कि 8 अक्तूबर को पीठ ने आठ लोगों की ”बर्बर” हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर आठ अक्टूबर को असंतोष व्यक्त किया था। पीठ ने शीर्ष अदालत ने मामले में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के आरोपियों को गिरफ्तार ना करने के कदम पर सवाल उठाए थे। यूपी सरकार को सबूतों को संरक्षित रखने का निर्देश दिया था। साथ ही यूपी सरकार से कहा था कि वो सीबीआई से जांच के हक में नहीं है। सरकार की एसआइटी भी सवाल उठाते हुए पूछा था कि किस एजेंसी से मामले की जांच कराई जा सकती है। केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी ना होने से नाराज पीठ ने कहा था कि कानून सभी आरोपियों के खिलाफ समान रूप से लागू होना चाहिए। राज्य सरकार की ओर से पेश हरीश साल्वे ने माना था कि चूक हुई है। उन्होंने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। मामले में अभी तक केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
दरअसल, सीजेआइ को एक पत्र लिखकर दो वकीलों ने घटना की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की थी, जिसमें सीबीआई को भी शामिल किया जाए। इसके बाद ही शीर्ष अदालत ने मामले पर सुनवाई शुरू की। गौरतलब है कि किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कुचल दिया। इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक की कथित तौर पर पीट कर हत्या कर दी, जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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