धामी को ही अगले सीएम का चेहरा घोषित करने के बाद पर्यटन मंत्री जुटे इस रहस्य को जानने में, लिखा केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री को पत्र
इन दिनों सतपाल महाराज केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं। अपना प्रोजेक्ट उन्हें बता रहे हैं, साथ ही मदद की गुहार कर रहे हैं। इस कड़ी में हाल ही में वह नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, खाद्य प्रसंस्करण एवं जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी से भी मुलाकात कर चुके हैं। भविष्य में उत्तराखंड में सीएम कौन होगा, इन सब बातों से इतर वह अपने विभागों को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। ऐसे में वह इन दिनों विभागीय कार्यों के लिए आर्थिक मदद को दिल्ली दरबार तक दौड़ लगा रहे हैं। अबकी बार उन्होंने पर्यटन मंत्री को पत्र लिखकर उनसे एक नया रहस्य उजागर करने की गुहार लगाई है।
गोविषाण टीले के रहस्य को जानने के लिए पर्यटन राज्य मंत्री को पत्र भेजा
प्रदेश के पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने शनिवार को केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट को पत्र प्रेषित कर गोविषाण टीले में उत्खनन कराए जाने को कहा है। उन्होंने पत्र के जरिये काशीपुर स्थित गोविषाण टीले की ऐतिहासिकता व पुरातात्विक महत्व को देखते हुए यहां उत्खनन कराए जाने को कहा है।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड उत्तर भारत में स्थित पर्यटन योग एवं आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। उधमसिंह नगर की तराई में स्थित काशीपुर में नगर से आधे मील की दूरी गोविषाण टीला है। यह टीला अपने भीतर कई इतिहास समेटे हुए हैं। उन्होंने केंद्रीय पर्यटन मंत्री को लिखे पत्र में कहा कि काशीपुर को हर्षवर्धन के समय में “गोविषाण” के नाम से जाना जाता था। इसी कालखंड के दौरान चीनी यात्री हेवनसांग एवं फाहियान यहां आए।
हेवनसांग के अनुसार मादीपुर से 66 मील की दूरी पर एक ढाई मील ऊंचा गोलाकार स्थान है। कहा जाता है कि इस स्थान पर उद्यान, सरोवर एवं मछली कुण्ड थे। इनके इनके बीच ही दो मठ थे, जिसमें बौद्ध धर्मानुयायी रहते थे। नगर के बाहर एक बड़े मठ में 200 फुट ऊंचा अशोक का स्तूप था। इसके अलावा दो छोटे-छोटे स्तूप थे, जिनमें भगवान बुद्ध के नाख एवं बाल रखे गए थे। इन मठों में भगवान बुद्ध ने लोगों को धर्म उपदेश दिए थे।
महाराज ने कहा कि काशीपुर स्थित गोविषाण टीले की ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्ता को देखते हुए यहां अति शीघ्र उत्खनन करवाया जाना चाहिए, जिससे मिट्टी में दबी यह विरासत विश्व के सामने उजागर हो सके। पर्यटन मंत्री ने कहा कि ऐतिहासिक, औद्योगिक और धार्मिक नगरी काशीपुर पर्यटन की दृष्टि से काफी समृद्ध है। काशीपुर के ऐतिहासिक गोविषाण टीले के पूर्व में हुए उत्खनन में छठी शताब्दी तक के अवशेष मिले हैं। भगवान बुद्ध की स्मृतियों के दृष्टिगत निश्चित रूप से यह स्थान बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण आस्था का केंद्र बन सकता है।
उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग की ओर से प्रस्तावित बुद्ध सर्किट में भी इस स्थान को शामिल किया गया है। इसलिए यदि इस ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व के स्थान पर उत्खनन करवाया जाए तो भगवान बुद्ध से जुड़े अनेक विषयों कि हमें जानकारी मिल सकती है। इतना ही नहीं बौद्ध सर्किट विकसित करने के लिए हमें कई बुद्धिस्त देशों का भी सहयोग मिल सकता है।
टूर ऑपरेटरों एवं होटल व्यवसायियों ने किया महाराज का सम्मान
हाईकोर्ट की ओर से चारधाम यात्रा खोलने के निर्णय से उत्साहित अनेक टूरऑपरेटरों एवं होटल एसोसिएशन से जुड़े लोगों ने शनिवार को प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से भेंट कर इसके लिए उनका आभार व्यक्त किया। सतपाल महाराज के सुभाष रोड स्थित कैंप कार्यालय पर शनिवार को प्रदेश के अनेक टूर ऑपरेटर एवं होटल एसोसिएशन से जुड़े लोगों ने उनसे भेंट की। साथ ही उनका सम्मान भी किया।
इस मौके पर टूर ऑपरेटर एवं होटल एसोसिएशन से जुड़े अभिषेक अहलूवालिया, अंकित कुमार, प्रतीक कंडवाल, दिनेश डोभाल, संदीप सहानी, दीपक भल्ला, चंद्रकांत शर्मा, सुनील जायसवाल, जगदीश चंदोला, टी. एस. भंडारी, विक्रम राणा, गगनदीप विष्ट, आशुतोष शर्मा, गिरीश भाटिया, विशेष जगूडी, संजय शर्मा एवं हरीश भाटिया अधिक मौजूद थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
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