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June 20, 2025

अफगानिस्तान में मारे गए तालिबान के 300 लड़ाके, क्रिकेट बोर्ड के ऑफिस में घुसा तालिबान, पूर्व क्रिकेटर भी आतंकियों में शामिल

अफगानिस्तान में तालिबानी लड़ाकों को अब विद्रोहियों से चुनौती मिल रही है। बगलान प्रांत के तालिबान पर घात लगाकर किए गए हमले में तालिबान के 300 लड़ाके मारे जाने की सूचना है।

अफगानिस्तान में तालिबानी लड़ाकों को अब विद्रोहियों से चुनौती मिल रही है। बगलान प्रांत के तालिबान पर घात लगाकर किए गए हमले में तालिबान के 300 लड़ाके मारे जाने की सूचना है। वहीं, टोटो न्यूज को उत्तरी अफगान प्रांत बगलान के स्थानीय सूत्रों ने यह जानकारी दी है कि स्थानीय विद्रोही बलों ने तीन जिलों को तालिबान के नियंत्रण से वापस ले लिया है। सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों के भारी हताहत होने की खबर है। 34 में से 33 प्रांतों के पतन के बाद तालिबान की ओर से काबुल पर नियंत्रण करने के बाद इस तरह की लड़ाई का यह पहला उदाहरण है। हालांकि तालिबान ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है।
बानू के पूर्व पुलिस प्रमुख असदुल्ला ने कहा कि ऊपर वाले और मुजाहिदीन के समर्थन से तीन जिलों को मुक्त किया गया है। हम अब खिनजान जिले की ओर बढ़ रहे हैं। जल्द ही बगलान प्रांत को साफ कर देंगे। बगलान में राजमार्ग के प्रभारी पूर्व पुलिस कमांडर गनी अंदाराबी ने कहा कि-अल्लाह की मदद से हमने तालिबान को बड़े पैमाने पर हताहत किया है। वर्तमान में बानू जिला सार्वजनिक विद्रोही ताकतों के नियंत्रण में है।
सूत्रों ने बताया कि बगलान में घुसने के बाद तालिबान ने घर-घर जाकर तलाशी ली, जिसका लोगों ने जवाबी हमला किया। हालांकि तालिबान ने आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन ऐसी अपुष्ट खबरें हैं कि तालिबान इन जिलों पर फिर से कब्जा करने की तैयारी कर रहा है।
अहमद मसूद ने तालिबान को दी चुनौती
इससे पहले अफगानिस्तान में पंजशीर के शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने तालिबान के साथ जाने के दावे को खारिज कर दिया है। मसूद ने कहा है कि वह अपने पिता के नक्शेकदम पर चलेगा और तालिबान के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेगा। साथ ही तालिबान को ललकारते हुए कहा कि विरोध की शुरुआत हो चुकी है।
फ्रांसीसी दार्शनिक बर्नार्ड-हेनरी लेवी ने बताया कि मैंने अहमद मसूद से फोन पर बात की। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं अहमद शाह मसूद का बेटा हूं। मेरी डिक्शनरी में सरेंडर जैसा कोई शब्द नहीं है। अहमद के पिता पहले सोवियत संघ और फिर तालिबान के खिलाफ विरोध का प्रमुख चेहरा थे। काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अब मसूद की विरासत उनके 32 वर्षीय बेटे ने संभाली है।

तालिबानियों का क्रिकेट बोर्ड पर कब्जा
अफगानिस्तान को पूरी तरह से अपने कब्जे में लेने के बाद तालिबान की नजर अब वहां के क्रिकेट बोर्ड पर है। ये खूंखार आतंकी संगठन काबुल स्थित अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (ACB) के ऑफिस में दाखिल हो चुका है, जिसकी तस्वीर सामने आई है। तालिबान के इन आतंकियों के साथ पूर्व क्रिकेटर अब्दुल्लाह मजारी भी हैं। बता दें कि अब्दुल्लाह मजारी बाएं हाथ के स्पिनर हैं।  उन्होंने अफगानिस्तान के लिए 2 वनडे मैच भी खेले हैं। इसके अलावा वह 21 फर्स्ट क्लास मैच, 16 लिस्ट ए और 13 टी20 मुकाबले भी खेल चुके हैं। अब्दुल्लाह मजारी  शपागीजा टी 20 लीग की टीम काबुल ईगल्स से भी खेल चुके हैं।
इससे पहले अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने दुनिया को इस बात का भरोसा दिलाया था कि तालिबानी खौफ के बीच भी खेल को नुकसान नहीं पहुंचेगा। एसीबी के सीईओ हामिद शेनवारी ने यह दावा किया था कि क्रिकेट को इससे कोई नुकसान नहीं होगा। क्योंकि तालिबान इस खेल को ‘पसंद’ करता है और इसका समर्थन करता है। शेनवारी ने कहा कि तालिबान क्रिकेट को प्यार करता है। शुरुआत से ही उन्होंने हमारा समर्थन किया है। वे हमारी गतिविधियों में हस्तक्षेप नहीं करते।
अफगानिस्तन पर तालिबान के कब्जे के बाद देखना होगा कि एसीबी महिला क्रिकेट के कार्यक्रमों का कैसे संचालन करता है। वर्तमान में 25 महिला क्रिकेटरों का एसीबी के साथ करार है। तालिबान ने कहा है कि वे इस्लामी कानून के तहत महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करेंगे, लेकिन उन्होंने इस बात का कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है कि वे महिलाओ के खेल के साथ कैसा व्यवहार करेंगे। तालिबान ने अपने पिछले कार्यकाल में ज्यादातर महिलाओं और लड़कियों को काम करने या स्कूल जाने से रोक दिया था। वह महिलाओं को बुर्का पहनने और साथ में एक में एक पुरुष रिश्तेदार के साथ ही बाहर जाने की इजाजत देता था।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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