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March 12, 2025

अफगानिस्तान में अभी और बिगड़ सकते हैं हालात, विरोधी गुट से लड़ने को तालिबान लड़ाके पंजशीर घाटी की ओर रवाना

तालिबान ने अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी की ओर सैकड़ों लड़ाकों को रवाना कर दिया है। इस घाटी में तालिबान के खिलाफ आवाजें उठना शुरू हो गई हैं।

तालिबान ने अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी की ओर सैकड़ों लड़ाकों को रवाना कर दिया है। इस घाटी में तालिबान के खिलाफ आवाजें उठना शुरू हो गई हैं। पंजशीर घाटी में सरकार समर्थक सैनिकों के जमा होने की खबरे हैं। पंजशीर काबुल के उत्तर में पड़ता है और लंबे समय से तालिबान विरोधी गढ़ रहा है। तालिबान ने रविवार को एक बयान में कहा कि पंजशीर घाटी की ओर सैकड़ों लड़ाकों को भेजा गया है। यह अफगानिस्तान के कुछ चुनिंदा हिस्सों में से एक है, जहां तालिबान का अभी तक कब्जा नहीं हो पाया है।
इन हालातों में साफ है कि अफगानिस्तान के भीतर फिर लड़ाई छिड़ने की आशंका है। तालिबान ने ट्विटर अकाउंट पर अरबी भाषा में लिखा कि- इस्लामिक अमीरात के सैकड़ों मुजाहिदीन को पंजशीर पर कब्जा करने के लिए भेजा गया है। स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने शांतिपूर्वक इस इलाके को तालिबान को सौंपने से इनकार किया है।
तालिबान ने जिस तीव्र गति से कंधार, हेरात और काबुल पर कब्जा जमाया है, उसके बाद तालिबान विरोधी फोर्स तैयार करने के लिए तमाम लड़ाके पंजशीर घाटी की ओर रवाना हो गए थे। पंजशीर में नामचीन मुजाहिदीन कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने मोर्चा संभाल रखा है। अहमद शाह मसूद की हत्या अलकायदा लड़ाकों ने 11 सितंबर 2001 के हमले के दो दिन पहले कर दी थी। अब उसके बेटे अहमद मसूद ने 9 हजार से ज्यादा लड़ाकों की एक फौज तैयार की है, जो तालिबान से मुकाबले को तैयार है। गौरतलब है कि तालिबान को काबुल या कंधार जैसे शहरों में अफगान फौज के किसी भी विरोध का सामना करना नहीं पड़ा था। अफगान सैनिकों ने अपने हथियार डाल दिए थे।
हालांकि अब देश के अन्य इलाकों में तालिबान विरोधी आवाजें तेज हो गई हैं। वहीं तालिबान काबुल में नई सरकार के गठन के पहले ही बगावत के इन सुरों को लेकर चिंतित है। एएफपी की ओर से ली गई तस्वीरों में लड़ाकों को फिटनेस ट्रेनिंग करते हुए देखा गया है। साथ ही हथियारबंद वाहनों को भी पंजशीर घाटी में देखा गया है। तालिबान विरोधी गुट का कहना है कि वो सरकार का नया सिस्टम लाना चाहते हैं और जरूरत पड़ी तो जंग के लिए तैयार हैं। उसका दावा है कि सरकार समर्थक तमाम लोग हर प्रांत से पंजशीर घाटी की ओर आ रहे हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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