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December 25, 2024

हॉकी प्लेयर वंदना का भव्य स्वागत, ग्राफिक एरा में फूलों की बारिश, दिया 11 लाख का पुरस्कार, बनाया ब्रांड एंबेसडर

ग्राफिक एरा ने ओलंपियन वंदना कटारिया को 11 लाख रूपये का चैक भेंट किया। ग्राफिक एरा ने वंदना कटारिया को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाने की घोषणा की।

भारतीय महिला हॉकी का पूरी दुनिया में लोहा मनवाने वाली टीम की जुझारू खिलाड़ी वंदना कटारिया का बुधवार 11 अगस्त को दून पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। उनके गृह राज्य के सबसे बड़े विश्वविद्यालय ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में फूलों की बारिश करके इस महान खिलाड़ी का जोरदार स्वागत हुआ। ग्राफिक एरा ने ओलंपियन वंदना कटारिया को 11 लाख रूपये का चैक भेंट किया। ग्राफिक एरा ने वंदना कटारिया को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाने की घोषणा की।
ओलंपियन वंदना कटारिया टोक्यो से भारत लौटने के बाद आज सुबह ही हरिद्वार अपने आवास पहुंची थी। कुछ घंटे अपने घर रोशनाबाद और हरिद्वार में गुजारने के बाद वह अभिनंदन समारोह में शामिल होने देहरादून स्थित ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी पहुंची। विश्वविद्यालय परिसर में ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला और वरिष्ठ पदाधिकारी राखी घनशाला ने ओलंपियन वंदना का स्वागत किया।
अभिनंदन समारोह में ओलंपियन वंदना कटारिया ने ग्राफिक एरा की पहल पर आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि शानदार प्लेसमेंट के जरिये ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी देश को खुशियों से रोशन कर रही है। इस साल बीटेक में 54 लाख रुपये से अधिक का पैकेज मिलना ग्राफिक एरा के शिक्षा के उच्च स्तर और उद्योगों की जरूरतों के मुताबिक ट्रेनिंग देने की अच्छी व्यवस्था का प्रमाण है।
समारोह में ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने कहा कि वंदना कटारिया ने ओलंपिक में अपने शानदार प्रदर्शन से पूरी दुनिया में उत्तराखंड का गौरव बढ़ाया है। वंदना कटारिया ओलंपिक में गोल की हैट्रिक लगाने वाली पहली भारतीय महिला हैं। वंदना कटारिया की हैट्रिक न होती, तो टीम सेमीफाइनल में न पहुंच पाती। ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी का चौथे नंबर पर पहुंचना भी इतिहास रचने वाली उपलब्धि है। अगले ओलंपिक में तीन साल बाद भारत गोल्ड जरूर जीतेगा। उन्होंने ओलंपियन वंदना कटारिया को ग्राफिक एरा का ब्रांड एंबेसडर बनाने की घोषणा की।

डॉ. घनशाला ने कहा कि उत्तराखंड की महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत सक्षम होती हैं। उत्तराखंड के विकास में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान है। यहीं की लड़कियों और लड़कों को अच्छी ट्रेनिंग मिले, तो उत्तराखंड खेलों में ज्यादा पदक पाने वाले राज्य के रूप में पहचान बना सकता है। वंदना कटारिया को किसी ट्रेनिंग के लिए जरूरत होगी, तो ग्राफिक एरा उन्हें सहयोग करेगा। अन्तर्राष्ट्रीय खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले दूसरे खिलाड़ियों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
फूलों की वर्षा के बीच डॉ. घनशाला ने ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी की ओर से वंदना कटारिया को 11 लाख रुपये की सम्मान राशि भेंट की। ग्राफिक एरा मैनेजमेंट की वरिष्ठ पदाधिकारी श्रीमती राखी घनशाला ने शॉल ओढ़ाकर ओलंपियन वंदना का अभिनंदन किया। इससे पहले समारोह में ओलंपियन वंदना की पिता नाहर सिंह कटारिया को मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।
इससे पहले ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप की वरिष्ठ पदाधिकारी श्रीमती राखी घनशाला ने रोशनाबाद में वंदना कटारिया के घर पहुंच कर उनकी मां स्वर्ण देवी और भाई चंद्रशेखर कटारिया का इस गौरवशाली उपलब्धि पर अभिनंदन किया था। इस अवसर पर श्रीमती राखी घनशाला ने कहा कि वंदना कटारिया ने पूरे देश की महिलाओं और लड़कियों को आगे बढ़ने की राह दिखाई है। विपरीत परिस्थितियों में कठोर परिश्रम और लगन से किसी भी मंजिल तक पहुंचा जा सकता है। वंदना कटारिया से मिली यह प्रेरणा हालात के आगे मायूस हो जाने वाले युवाओं को कामयाबी का रास्ता दिखाएगी। समारोह में ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. संजय जसोला और अन्य पदाधिकारी व शिक्षक मौजूद थे। समारोह के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का खासतौर से ध्यान रखा गया।

जौलीग्रांट एयरपोर्ट में हुआ भव्य स्वागत, घर पहुंचते ही मां से लिपटकर रोई बंदना
हैट्रिक गर्ल वंदना कटारिया का जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर उनके परिजन, खेल प्रेमी और राजनीतिक हस्तियों ने जोरदार स्वागत किया। ढोल-नगाड़ों की गूंज के बीच वंदना अपनों के गले लगी और फिर उन्होंने सभी का अभिनंदन किया। वहीं, दूसरी ओर घर पहुंचते ही मां के गले लग वंदना फफक-फफक कर रो पड़ी और कहा कि मेरी हर असफलता पर मेरी हिम्मत बढ़ा कर मुझे सफलता के लिए दोगुने जोश, मेहनत और उत्साह से तैयारी करने की हौसला देने वाला चला गया। पिता की याद में उन्हें इस तरह मां के गले लग रोता देख वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंख नम हो गई।

इससे पहले वंदना ने अपने स्वजनों, राजनेताओं और खेल प्रेमियों का अभिनंदन स्वीकार किया। वंदना के आते ही एयरपोर्ट का माहौल काफी खुशनुमा हो गया। उनके आते ही सभी की आंखें चमक उठी और वे देश की बेटी का भव्य स्वागत किया। जौलीग्रांट एयरपोर्ट से लेकर हरिद्वार पहुंचने तक देश की बेटी वंदना कटारिया का जगह-जगह स्वागत हुआ। ये देखकर वंदना भी अभिभूत हुई और उन्होंने कहा कि मुझे अपने देश और देशवासियों पर बेहद गर्व है। आगे वो और बेहतर करने की कोशिश करेंगे। वंदना की बड़ी बहन रचना उनके स्वागत के लिए नोटों की माला लेकर एयरपोर्ट पहुंची थी, जैसे ही वंदना बाहर आईं बहन के गले लग गई। ये बेहद ही भावुक पल था। दोनों की आंखें नम हो गईं।
पापा को कर रही हूं मिस
टोक्यो ओलिंपिक में इतिहास रचने के बाद उत्तराखंड पहुंचते ही हैट्रिक गर्ल की आंखे नम हो गईं। वो कहने लगी कि जब भी मैं कहीं से खेलकर घर वापस आती थी तो पिता एयरपोर्ट के बाहर खड़े मेरा इंतजार करते थे। मैं पापा को बहुत मिस कर रही हूं। पता नहीं मैं घर पहुंचकर खुद को कैसे संभाल पाऊंगी।

मई माह में हुआ था पिता का निधन
भारतीय महिला हाकी खिलाड़ी वंदना कटारिया के पिता अब इस दुनिया में नहीं है। मई में उनके पिता का हृदयगति रुकने से निधन हो गया था। उस वक्त वे बंगलुरू में टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियों में जुटी हुई थीं। वंदना पिता के बेहद करीब थीं। उनके पिता ने हमेशा उनका साथ दिया और इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए उसे हिम्मत दी।

कौन मेरी हिम्मत बढ़ाएगा
पिता के निधन के बाद वंदना पहली बार घर आई। उन्होंने कहा कि निधन के बाद पहली बार घर जा रही हूं। उनके बिना घर को देख पता नहीं कैसे खुद को संभाल पाऊंगी। कहा कि पिता हर बात में उसकी हौसला-अफजाई करते थे, उसकी हिम्मत बढ़ाते थे। हर असफलता पर निराश नहीं होने देते थे। दोगुने उत्साह के साथ सफलता के लड़ने, खेलने को प्रेरित करते थे। मैंने हमेशा उनमें, मेरे लिए खुद से ज्यादा जोश और हिम्मत देखी। उनके जाने के बाद अब मुझे वह हिम्मत और जोश कौन देगा, असफलता पर मेरी पीठ थपथपाकर मुझे दोबारा उठकर सफलता के लिए कौन मेरी हिम्मत बढ़ाएगा।

पिता की इच्छा थी कि वंदना जीते ओलिंपिक में स्वर्ण
वंदना के पिता की इच्छा थी कि बेटी ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता टीम का हिस्सा बनें। पिता के इस सपने को साकार करने के लिए भारतीय टीम के कैंप में वंदना ने अपनी तैयारियों के लिए जी-जान एक कर दी थी। तैयारियों के दौरान पिता की मृत्यु का समाचार उसे मिला। असमंजस की स्थिति यह कि एक तरफ मन कह रहा था कि पिता के अंतिम दर्शन के साथ अंतिम विदाई देने को घर जाना है, दूसरी तरफ पिता के सपने को साकार करने की ख्वाहिश।
ऐसे समय में वंदना के भाई पंकज व मां सोरण देवी ने संबल प्रदान किया। मां सोरण देवी का कहना है कि हमने वंदना से कहा कि जिस उद्देश्य की कामना को लेकर मेहनत कर रही हो पहले उसे पूरा करो, पिता का आशीर्वाद सदैव तुम्हारे साथ रहेगा। हालांकि, टोक्यो ओलिंपिक में वे पदक तो नहीं जीत पाए पर अपने शानदार प्रदर्शन और हैट्रिक लगाकर इतिहास रच वंदना ने अपने पिता को श्रद्धांजलि दी।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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