हॉकी की खिलाड़ी के घर की फोटो हुई वायरल, यूजर्स ने पीएम को किया टैग-सर देखो देश का मान बढ़ाने वाली का महल, पढ़िए दुख भरी कहानी
अबतक हम क्रिक्रेट के हर खिलाड़ी के बारे में तो जानते रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय खेल हॉकी में विश्वस्तर पर अपना दबदबा कायम रखने वाले भारत के हॉकी खिलाड़ियों के बारे में कम लोग ही जानते हैं। वहीं, महिला खिलाड़ी तो ओलंपिक से पहले गुमनामी की जिंदगी जी रही थीं। आज पूरा देश इन लड़कियों के जज्बे को सलाम कर रहा है और उन्हें पहचान भी रहा है। अब हर कोई उनके बारे में जानना चाहता है. भले ही भारतीय महिला हॉकी टीम टोक्यो ओंलंपिक में इतिहास रचने से चूक गईं हों, लेकिन इस स्तर तक उनका पहुंचना ही देश के लिए किसी सम्मान से कम नहीं है।
लोग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनके लिए गर्व महसूस कर रहे हैं और उनके जज्बे का सम्मान कर रहे हैं, लेकिन, दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर जब महिला हॉकी टीम की प्लेयर के घर की तस्वीरें वायरल हुईं, तो ये देखकर लोगों का दिल टूट गया है। महिला हॉकी प्लेयर के घर की ये तस्वीरें न्यूज एजेंसी एएनआई ने सोशल मीडिया पर शेयर की हैं। फोटो के साथ लिखा है- झारखंड के सिमडेगा जिले के बड़कीचापर गांव में हॉकी खिलाड़ी सलीमा टेटे के आवास का दृश्य। टेटे भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा हैं, जो शुक्रवार की सुबह टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक के लिए ग्रेट ब्रिटेन से लड़ीं।
सोशल मीडिया पर जब यूजर्स ने सलीमा टेटे के घर की ये तस्वीरें देखीं तो वो हैरान रह गए। यूजर्स कहने लगे की देश को सम्मान दिलाने वाले प्लेयर के घर की ऐसी हालत कैसे हो सकती है। एक यूजर ने तो पीएम मोदी को टैग करते हुए लिखा- सर, देखो सर, देखो ओलम्पिक में देश का मान बढ़ाने वाली लडकी का महल। ऐसे ही कई यूजर्स ने महिला हॉकी प्लेयर की ऐसी हालत देख अत्यंत दुख जताया है।
बता दें कि, टोक्यो ओलंपिक में खेले जा रहे कांस्य पदक के मुकाबले में भारतीय महिला हॉकी टीम पदक से चूक गई है। ब्रिटेन ने भारतीय शेरनियों को 4-3 से हराकर कांस्य पदक पर कब्जा कर लिया है। मैच में हारने के कारण टीम की खिलाड़ियां फूट-फूटकर रोने लगीं। उनकी आंखों में आंसू देखकर पूरा हिन्दुस्तान रोने लगा। इससे पहले भारत की महिला हॉकी टीम कभी भी सेमीफाइनल में नहीं पहुंची थी। न ही टीम कभी कांस्य पदक के लिए लड़ी थी। भले ही भारतीय महिला हॉकी टीम कोई पदक लेकर नहीं आई, लेकिन कमाल का प्रदर्शन कर इतिहास में नाम दर्ज कर लिया। साथ ही भविष्य की संभावनाओं को जगा दिया।
पिता रहे गुरु
सलीमा जो हॉकी की नर्सरी कहे जाने वाले झारखंड के सिमडेगा से निकलकर आज विश्व पटल पर पहुंच चुकी है। उसके हॉकी के पहले गुरु कोई और नहीं बल्कि उसके पिता सुलक्षण टेटे हैं। जिन्होंने घर पर ही सलीमा को हॉकी खेलना सिखाया और सर्वप्रथम लट्ठाखम्हन हॉकी प्रतियोगिता में शामिल कराकर उसे आगे की राह दिखाई। बता दें कि सलीमा के पिता भी हॉकी खिलाड़ी रहे हैं। जब सलीमा छोटी थी, तब उसके पिता अंगुली पकड़कर हॉकी मैदान में ले जाते थे। पिता हॉकी खेलते थे, वहीं सलीमा मैदाने के किनारे खड़ी होकर घंटो हॉकी का खेल देखा करती थी। यहीं से सलीमा के मन में भी हॉकी का बीजारोपण हुआ। इसके बाद पिता के साथ जब हॉकी की स्टिक पकड़ी तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
विभिन्न प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए सिमडेगा मुख्यालय स्थिति आवासीय हॉकी प्रशिक्षण केन्द्र के लिए चयनित हुई। जहां कोच प्रतिमा बरवा ने एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम में उसकी क्षमता एवं प्रतिभा को और तराशा। विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मैच का सफर करते हुए सलीमा विश्व के सबसे बड़ी प्रतियोगिता ओलिंपिक में भारतीय महिला टीम का प्रतिनिधित्व कर रही है। एक साधारण परिवार से पल-बढ़कर व गांव के मैदान से हॉकी का ककहारा सीखने वाली सलीमा जापान की धरती पर भी अपनी स्टिक से शानदार प्रदर्शन किया।
ओलिंपियन बेटी का खेल देखने को थम गया गांव
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम से खेल रहीं सिमडेगा की बेटी सलीमा टेटे को ऑन स्क्रीन देखने को बड़कीछापर गांव कुछ समय के लिए थम सा जाता था। मैच शुरू होते ही सलीमा के घर का टेलीविजन जैसे ही चालू होता तो लोग दिल थाम के बैठ जाते। पूरे खेल के दौरान लोगों की नजरें टीवी से नहीं हटती थी। परिवार के साथ गांव के लोग भी टीवी के पास आ बैठ जाते थे।
गांव में नहीं था टीवी सेट
सलीमा के गांव में एक भी टीवी सेट नहीं था। जब मीडिया वाले गांव जाते तो परिवार के साथ ही गांव वालों को लगता कि सलीमा ने अच्छा खेल दिखाया। यहां तक सलीमा जब हॉकी चैंपियनशिप खेलने गई तो उसके पास ट्रॉली बैग तक नहीं था। इस पर किसी ने उसे पुराना बैग लाकर दिया। टीवी न होने की बात प्रशासन तक पहुंची। इसके बाद सलीमा के घर में टीवी और डीटीएच लगाया गया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।