Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 12, 2024

पेगासस जासूसी कांड पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, सीजेआइ बोले-यदि रिपोर्ट सही तो आरोप गंभीर

सुप्रीम कोर्ट में पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध करने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई जारी है।

पेगासस जासूसी कांड को लेकर सड़क से लेकर संसद तक हंगामा मचा है। वहीं, इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट में पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध करने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। इन याचिकाओं में पेगासस जासूसी कांड की कोर्ट कि निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं में राजनेता, एक्टिविस्ट, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकारों एन. राम और शशि कुमार की अर्जियां भी शामिल हैं। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ इसकी सुनवाई कर रही है। इस दौरान सीजेआइ ने कहा कि अगर रिपोर्ट सही है तो इसमें कोई शक नहीं कि आरोप गंभीर हैं।
याचिकाकर्ता एन.राम और अन्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह स्पाइवेयर केवल सरकारी एजेंसियों को बेचा जाता है और निजी संस्थाओं को नहीं बेचा जा सकता है। एनएसओ प्रौद्योगिकी अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में शामिल है। उन्होंने आगे कहा कि पेगासस एक दुष्ट अथवा कपटी तकनीक है, जो हमारी जानकारी के बिना हमारे जीवन में प्रवेश करती है। यह हमारे गणतंत्र की निजता, गरिमा और मूल्यों पर हमला है।
CJI रमन ने शर्मा से कहा, आपकी याचिका में अखबारों की कटिंग के अलावा क्या डिटेल है? आप चाहते हैं कि सारी जांच हम करें और तथ्य जुटाएं. ये जनहित याचिका दाखिल करने का कोई तरीका नहीं है। यह आश्चर्य की बात है कि 2019 में पेगासस का मुद्दा सामने आया और किसी ने भी जासूसी के बारे में सत्यापन योग्य सामग्री एकत्र करने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया। उन्होंने कहा कि अधिकांश जनहित याचिकाएं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के समाचार पत्रों की कटिंग पर आधारित हैं।
उन्होंने कहा, हम ये नहीं कह सकते कि इस मामले में बिल्कुल कोई सामग्री नहीं है। हम सबको समाचार पत्रों की रिपोर्ट और प्रतिष्ठित पत्रकारों की सामग्री नहीं कहना चाहते हैं। जिन लोगों ने याचिका दायर की उनमें से कुछ ने दावा किया कि उनके फोन हैक हो गए हैं। आप आईटी और टेलीग्राफिक अधिनियम के प्रावधानों को अच्छी तरह जानते हैं। ऐसा लगता है कि उन्होंने शिकायत दर्ज करने का कोई प्रयास नहीं किया। ये चीजें हमें परेशान कर रही हैं।
सीजेआई की दलील पर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, सूचना तक हमारी सीधी पहुंच नहीं है। एडिटर्स गिल्ड की याचिका में जासूसी के 37 सत्यापित मामले हैं। CJI ने कहा कि- मैं यह भी नहीं कहना चाहता कि दलीलों में कुछ भी नहीं है। याचिका दायर करने वाली कुछ याचिकाएं प्रभावित नहीं होती हैं और कुछ का दावा है कि उनके फोन हैक हो गए हैं लेकिन उन्होंने आपराधिक शिकायत दर्ज करने का प्रयास नहीं किया है। CJI ने कहा कि जिन लोगों को याचिका करनी चाहिए थी वे अधिक जानकार और साधन संपन्न हैं. उन्हें अधिक सामग्री डालने के लिए अधिक मेहनत करनी चाहिए थी।
CJI ने कहा कि हलफनामे के मुताबिक कुछ भारतीय पत्रकारों की भी जासूसी की गई है। ये कैलिफोर्निया कोर्ट ने भी कहा है, लेकिन ये बयान गलत हैं। कैलिफोर्निया कोर्ट ने ऐसा कुछ नहीं कहा है। इसके बाद CJI ने पूछा कि अभी वहां कोर्ट का क्या स्टेटस है? इस पर सिब्बल ने कहा कि अभी केस चल रहा है। इसके अलावा सिब्बल ने कहा, हम भी यही कह रहे हैं कि सरकार सारी बातों का खुलासा करे। मसलन, किसने कांट्रेक्ट लिया, किसने पैसा दिया?
बता दें कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने एक खबर में दावा किया है कि 300 सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाईवेयर के जरिये जासूसी के संभावित निशाने वाली सूची में शामिल थे। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अपनी अर्जी में अनुरोध किया है कि पत्रकारों और अन्य के सर्विलांस की जांच कराने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाए। सिब्बल ने कहा कि व्हाट्सएप के मुताबिक इजरायली एजेंसी ने इसे 1400 लोगों के लिए बनाया, जिसमें 100 भारतीय हैं। उन्होंने कहा कि मंत्री ने भी बयान दिए हैं। उन्होंने पूछा कि लोकसभा के जवाब में नाम कैसे आए?

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page