दिल्ली की छात्रा एवं कवयित्री रीना सिंह की कविता- पिता

ऊँगली पकड़ कर चलना उन्होंने सिखाया
बुरे अच्छे में फ़र्क करना भी उन्होंने सिखाया।
दुसरो की खुशिओ को तबज्जू देना उन्होंने सिखाया
अपनी खुशिओं को परे रख कर, जीना भी उन्होंने सिखाया।
पैसे बचाना भी उन्होंने सिखाया
उन पैसों को अपनों पर लुटाना भी उन्होंने सिखाया।
जिम्मेदारिओं को लेना भी उन्होंने सिखाया
गम में मुस्कुराना भी उन्होंने सिखाया।
पिता को दर्द में देख कर भी,
आँसुओ को छुपाना उन्होंने सिखाया
पूरे घर को संभालना भी उन्होंने सिखाया।
ये पिता है एक नारियल की तरह
ऊपर से जितना ही कठोर अंदर से उतना ही कोमल…
कवयित्री का परिचय
लेखिका रीना सिंह दिल्ली की रहने वाली हैं। इन्होने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया है और वर्तमान में एमए कर रही हैं। कवितायें और शायरियाँ लिखाना इनका शौक है। उन्होंने स्कूल और कॉलेज की पत्रिकाओं में एडिटर की भूमिका निभाई है। इनका मानना है की अपने भावनाओं को लिख कर व्यक्त करना एक बहुत ही अच्छा ज़रिया है।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
सुन्दर रचना पिता के ऊपर