पढ़िए माधव सिंह नेगी की कविता-शरद का पूनम
शरद का पूनम
ऋतुओं में शरद ऋतु की बात कुछ निराली है।
इस ऋतु में फैली रहती चहुँ ओर हरियाली है।
फल फूलों से लदती डाली, झुक जाती हैं अन्न की बाली।
धान, झंगोरा, कौणी, मंडुवा, साग अरू भाजी करते।
खेत- बगीचे सब अन्न धन से धानी – 2 पीले – पीले।
त्योहारों का सुखद एहसास, घर – घर में अन्न-धन का वास।
सबके जीवन में भर देता, मधुर – 2 उल्लास।
आयी शरद की पूनम, आसमान से छटा बिखरायेगी।
अपनी सोलह कलाओं से अमृत मोती बरसायेगी।
रोग-दोष सब दूर करेगी, अनुपम छटा बिखरायेगी।
माता लक्ष्मी भ्रमण कर घर – 2 में अपना वैभव बरसायेगी।
लूट सको जितना लूटो तुम, धन कुबेर को मनाओ तुम।
खीर पकाओ, पुए पकाओ, माँ लक्ष्मी को खूब रिझाओ तुम।
गौरी शंकर को न्योता दो, गणपति सहित उन्हें मनाओ तुम।
पूजा- पाठ, भक्तिमय जीवन, रामायण पाठ सुनो- सुनाओ तुम।
महर्षि बाल्मीकि के मधुर वचनों को जीवन में अपनाओ तुम।
ज्योति खिलेगी, चमक उठेगी, अँधियारा सब दूर भगेगा।
नभ मण्डल से धरती पर जब अमर मोती बिखरेगा।
आओ पूनम का त्योहार मनाओ घर – घर में खुशियाँ बाँटो।
नाचो-गाओ खुशी मनाओ, पूनम का त्योहार मनाओ।
कवि का परिचय
माधव सिंह नेगी
प्रधानाध्यापक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय जैली,
विकासखंड-जखौली,
जनपद-रुद्रप्रयाग,
उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
मेरी कविता को लोकसाक्ष्य में स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद ? ? ? ? ?