चंद्र ग्रहण आज, सभी राशियों पर पड़ेगा प्रभाव, नेतृत्व के लिए अशुभ, बीमारियों का द्योतकः आचार्य डॉ. संतोष खंडूड़ी
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इस बार वृश्चिक राशि पर बन रहा चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र माना जाएगा। क्योंकि बैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णमासी 25 मई 2021 की शाम आठ बजकर 31 मिनट पर प्रारंभ होकर 26 मई बुधवार सांय चार बजकर 45 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। अर्थात जिस समय चंद्रग्रहण लग रहा है, भारत वर्ष में वह समय 26 मई के अपराह्न का है। यह चंद्रग्रहण दिन में दो बजकर 17 मिनट से प्रारंभ होकर शाम को सात बजकर 19 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। इस समय चंद्र ग्रहण भारत वर्ष में सूर्य के प्रभाव से नहीं दिखाई देगा। इसीलिए इसको उपछाया चंद्र ग्रहण कहा जाएगा। सूर्य शत्रु राशि पर होने से राजपक्ष प्रभावित रहेगा।
राजपक्ष के प्रति बनी रहेगी अविश्वास की भावना
यह ग्रहण वृश्चिक राशि पर पूर्ण रूप से प्रभावित रहेगा। चंद्रमा केतु से प्रभावित होकर अनुराधा नक्षत्र पर यह ग्रहण पूर्ण रूप से संपूर्ण धरती के लिए प्रभावित होता दिखाई दे रहा है। वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल मिथुन राशि पर गोचर करते हुए यह दिखाई देता है कि यह वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण किसी न किसी प्रकार का विशेष जीव जगत पर प्रभाव डालने वाला होगा। सूर्य शत्रु राशि पर होने से राजपक्ष प्रभावित रहेगा। राजनीति में उथल पुथल बनने के योग हैं। निरंतर अविश्वास की स्थिति बनने की संभावना रहेगी।
सूर्य भी प्रदान करेगा रोगकारक किरणें
वर्तमान समय में ग्रह गोचर स्थिति को देखा जाए तो शनि मकर राशि पर बकरी है। यानि इसका कोई प्रभाव नहीं रहेगा। उसी प्रकार वृहस्पति कुंभ राशि पर हैं। यह भी शुभफल न देकर अशुभ फल प्रदान करेगा। चंद्रमा के प्रभाव से प्रभावित सूर्य शत्रु राशि पर गोचर कर रहा है। जो कि उस दिन आने वाली सूर्य की किरणों का प्रभाव भी धरती पर रोगकारक किरणें प्रदान करेगा, जबकि 26 मई को ही बुध वृष राशि से मिथुन राशि पर प्रवेश करेगा। सूर्य राहु और शुक्र से पीड़ित रहेगा।
हो सकती है दिव्य औषधी प्राप्त
इस कारण नई प्रकार की ब्लैक फंगस जैसी बीमारी अधिक हो सकती है। क्योंकि सूर्य, राहु और शुक्र एक साथ घूमने के कारण यह चंद्र ग्रहण के दिन अधिक नकारात्मक फल प्रदान कर सकते हैं। एक ओर देखें तो वृष राशि का शुक्र स्वराशि पर दिव्य औषधी प्रदान करने का कारक है। यह भी समझ में आएगा कि कोई न कोई दिव्य औषधी प्राप्त हो जाएगी।
इन कार्यों से बचें
ग्रहण के दौरान तेल लगाना, जल पीना, कपड़े धोना, ताला खोलना शुभ नहीं है। ग्रहण के अंतराल में भोजन बनाना, भोजन खाना, उदर से संबंधित बीमारियों का द्योतक है। ग्रहण के दौरान शयन करना, भोग करना यह त्वचा रोग से संबंधिक कष्ट का जनक है। ग्रहण के काल में तीनों पहर में भोजन न करें। चंद्र ग्रहण में नौ घंटे पूर्व सूतक लग जाता है। अर्थात चंद्र ग्रहण के दौरान किसी भी मंदिर में जाना, पूजा करना वर्जित होता है। इसीलिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण के दौरान फूल, पत्ती, लकड़ी, फल आदि नहीं तोड़ने चाहिए। ग्रहण के अंतराल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
ये करें उपाय
गरुड़ पुराण के अनुसार, उपछाया चंद्रग्रहण में ऐसी स्थिति पर क्या कुछ किया जाना चाहिए। यहां इसके बार में बताया जा रहा है। ग्रहण के दौरान अधिक से अधिक जप, तप, दान और यज्ञ कर सकते हैं। इसका कई हजार गुना लाभ मिलता है। ग्रहण के दौरान गंगा जल, कुशा को लेकर अपने अन्नादिक वस्तुओं में जैसे दूध, पका भोजन, प्रसाद, मिठाई आदि में छिड़काव करें। ऐसा करने से यह वस्तु पूरी तरह शुद्ध व पवित्र रहती है। ग्रहण समाप्ति के उपरांत हर व्यक्ति को चाहिए कि वह गंगाजल मिले पानी से स्नान करे।
राशियों के अनुरूप चंद्र ग्रहण का प्रभाव
मेष राशि, वृश्चिक राशि, सिंह राशि, कर्क राशि, कुंभ राशि, मीन राशि, धनु राशि वालों को सावधान रहने की जरूरत है। बाहर की वस्तुओं का ग्रहण नहीं करना चाहिए। अन्यथा किसी प्रकार का एलर्जी रोग हो सकता है। वृष राशि, तुला राशि, मिथुन राशि, कन्या राशि, मकर राशि इनके लिए ये अवधि शुभ रहेगी।
हर वस्तु पर रहेगा प्रभाव
यूं तो चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के अंतराल किया गया कोई भी शुभ कार्य जप, तप, दान और यज्ञ जो कई गुना लाभ दे सकता है। इसलिए हर व्यक्ति को चाहिए कि वह सकारात्मक होकर मानसिक जप करे। चंद्र ग्रहण सभी भूवासियों के लिए प्रभावशाली रहेगा। भूकंप, भूस्खलन, आहार व्यवहार, हर प्रकार की वस्तुओं को प्रभावित करेगा।
आचार्य का परिचय
आचार्य डॉ. संतोष खंडूड़ी
(धर्मज्ञ, ज्योतिष विभूषण, वास्तु, कथा प्रवक्ता)
चंद्रविहार कारगी चौक, देहरादून, उत्तराखंड।
फोन-9760690069
-9410743100
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
ये सब बेवकूफ बनाते हैं। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के प्रति भी सतर्क कर देते।
जै हो आचार्य जी की, जानकारी देने हेतु